Published On: Sat, Jul 20th, 2024

After 2018, 2.53 Lakh Farmers Joined Natural Farming In Himachal – Amar Ujala Hindi News Live


After 2018, 2.53 lakh farmers joined natural farming in Himachal

मंडी में प्राकृतिक खेती से उगाई गई फसल।
– फोटो : संवाद

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हिमाचल प्रदेश के किसानों का प्राकृतिक खेती में तेजी से रुझान बढ़ रहा है। आंकड़ों से यह पता चला है कि 2018 के बाद 2,53,500 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। राज्य में अब 32,000 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की फसलें लहलहा रही हैं। प्रदेश में सबसे अधिक किसान मंडी, शिमला, कांगड़ा और चंबा में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।  वर्ष 2018 में मात्र 2,500 किसान ही प्राकृतिक खेती से जुड़े थे. लेकिन अब तेजी से इसकी ओर किसानों का रुझान बढ़ा है। प्रदेशभर में 2024 तक कुल 2,56,295 किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं। इससे किसानों को जहां मुनाफा हो रहा है, वहीं कीटनाशकों और जहरीली दवाओं से मुक्त यह खेती स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। 

प्राकृतिक खेती से तैयार किए गए उत्पाद उपभोक्ताओं की पहली पसंद बने हुए हैं। कृषि निदेशालय शिमला में तैनात उपनिदेशक प्राकृतिक खेती डॉ. महेंद्र सिंह भवानी के मुताबिक वर्ष 2018 से आतमा प्रोजेक्ट के माध्यम से प्राकृतिक खेती का कार्यक्रम शुरू किया गया था। तब सिर्फ 2,500 किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े थे। अब धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले साल 1,52,000 किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े थे। अब तक इस खेती से कुल 2,56,295 किसान जुड़ चुके हैं। विभाग ने वर्ष 2030 तक सभी किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश में कुल 9,61,000 किसान हैं, जिनको इस खेती से जोड़ा जाएगा।  

इस साल 15 करोड़ रुपये का प्रावधान

कृषि निदेशालय शिमला में तैनात उपनिदेशक प्राकृतिक खेती डॉ. महेंद्र सिंह भवानी ने बताया कि किसानों को इस साल खेती से जोड़ने के लिए विभाग ने 15 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। विभाग किसानों को गांव-गांव में शिविर लगाकर प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक कर रहा है। इसके अलावा खेती में जहरीली दवाइयों के दुष्प्रभाव के बारे में भी बताया जा रहा है कि इससे लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

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