Published On: Sun, Dec 29th, 2024

Acharya Kishore Kunal : धीरेंद्र शास्त्री के पोस्टरों पर कालिख पुता था; आचार्य कुणाल से बदलसूकी पर गरम था पटना


Bihar News : People against bageshwar baba after Acharya Kishore Kunal Disgrace in mahavir mandir patna

यह तस्वीर इतनी वायरल हुई थी कि पूरे पटना में हंगामा मच गया।
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल

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वह धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष बने तो बहुत सारे दुश्मन बने। लेकिन, कोई हस्ती ऐसी थी कि कोई मुंह खोल नहीं सका। मतलब, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी से आचार्य किशोर कुणाल तक के सफर में उनके जितने भी दुश्मन बने, वह महावीर मंदिर न्यास के सामाजिक योगदान को देखकर चुप रहने को विवश हुए। ऐसे में एक ऐसा वाकया पटना के विश्व विख्यात महावीर मंदिर में ही हो गया, जिसकी कल्पना किसी ने कभी नहीं की होगी। हां, यह घटना तब हुई जब बागेश्वर धाम वाले आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महावीर मंदिर आए थे। मंदिर दर्शन के दौरान बागेश्वर बाबा के सुरक्षाकर्मियों ने आचार्य किशोर कुणाल को धकेल दिया। इसके बाद तो पूरे पटना में बागेश्वर बाबा को लेकर माहौल बदला नजर आने लगा। उनके पोस्टरों पर कालिख पुती जाने लगी।

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क्या हुआ था महावीर मंदिर पटना में

मई 2023 में बागेश्वर वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री का पटना में बड़ा कार्यक्रम हुआ था। लाखों की भीड़ उमड़ रही थी। उसी दौरान 16 मई को धीरेंद्र शास्त्री महावीर मंदिर के दुर्लभ विग्रहों का दर्शन करने आए थे। इस दौरान धीरेन्द्र शास्त्री के सुरक्षाकर्मियों ने उनके लिए सुरक्षा कवच बनाते समय आचार्य किशोर कुणाल को भी उनके पास नहीं जाने दिया। यहां तक कि सुरक्षाकर्मियों के कंधे से आचार्य किशोर कुणाल को धक्का भी लग गया। इसके बाद पटना में जगह-जगह पर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के पोस्टरों को फाड़ा जाने लगा। पोस्टर पर लगी उनकी तस्वीरों पर कालिख पोतकर चोर 420 लिखा जाने लगा। 

“बोलूंगा नहीं, समर कालनेमियों का… में लिखूंगा”

इस घटनाक्रम से आचार्य किशोर कुणाल और उनके अनुयायी व्यथित थे। इसके बाद 19 मई 2023 को आचार्य कुणाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा- “हमलोग रचनात्मक काम करने वाले आदमी हैं। किताब लिखूंगा तो बतला दूंगा कि उस दिन क्या घटना हुई। बीच में नहीं पूछिए। अभी मेरी किताब आई थी- दमन तक्षकों का, जबतक मैं पुलिस में था उसपर। दूसरी किताब का नाम भी सुन लीजिए- समर कालनेमियों से। मेरी जब किताब आएगी, रिटायरमेंट के बाद जो काम कर रहा हूं, जैसे मंदिर बन रहा है, क्या बन रहा है आदि। इसलिए, बोलना नहीं है।” वह दु:ख समझने लायक था। समर कालनेमियों से… का इंतजार रह गया। आचार्य कुणाल के असामयिक निधन ने पटना के उस घाव को हरा कर दिया।

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