Published On: Wed, Oct 9th, 2024

जोधपुर में कांगो फीवर से एक महिला की मौत, अलर्ट मोड पर स्वास्थ्य विभाग


राजस्थान के जोधपुर में कांगों बुखार से एक महिला की मौत हो गई है। करीब पांच साल बाद जोधपुर में एक बार फिर कांगो फीवर (सीसीएचएफ) का मामला समाने आया है। अहमदबाद से रिपोर्ट मिलने के बाद स्वास्थ्य महकमा मृतका के निवास स्थान पर पहुंचा है। आस पास के लोगों और परिजनों के खून के सैंपल एकत्र किए जा रहे हैं। डिप्टी सीएमएचओ डॉ. प्रीतम सिंह ने बताया कि जोधपुर ग्रामीण क्षेत्र के नांदडा कलां निवासी 51 वर्षीय महिला गत दिनों बीमार हुई थी, जिसे परिजन उपचार के लिए अहमदाबाद लेकर गए थे। वहां पर उसका निधन हो गया।

परिजनों ने शव को गांव लाकर अंतिम संस्कार कर दिया है। पुणे से कांगो फीवर की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद क्षेत्र से सैंपल एकत्र किए जा रहे हैं। पशुओं की भी जांच की जा रही है। मृतक महिला पशुपालन से जुड़ी हुई थी। पशुओं के साथ रहने वालों को कांगों फीवर का खतरा अधिक होता है। पशुओं की चमड़ी से चिपके रहने वाला ‘हिमोरल’ नामक परजीवी इस रोग का वाहक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कांगो फीवर से संक्रमित होने पर बुखार के एहसास के साथ शरीर की मांसपेशियों में दर्द, चक्कर आना और सिर में दर्द, आंखों में जलन और रोशनी से डर जैसे लक्षण पाए जाते हैं।

प्रदेश में कॉन्गो फीवर से एक मौत की पुष्टि होने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर में इस बीमारी की रोकथाम एवं बचाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अहमदाबाद के एनएचएल म्यूनिसि​पल मेडिकल कॉलेज में उपचाराधीन कॉन्गो फीवर से पीड़ित जोधपुर निवासी 51 वर्षीय महिला की बुधवार को मौत हो गई। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी, पुणे में हुई जांच में महिला का सैंपल पॉजिटिव पाया गया।

निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि जोधपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रभावित क्षेत्र में रेपिड रेस्पॉन्स टीम भेजकर संक्रमण की रोकथाम के लिए निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, क्षेत्र में संदिग्ध एवं सिम्पटोमेटिक रोगियों की ट्रेसिंग कर उन्हें आइसोलेशन में रखने को कहा गया है।

डॉ. माथुर ने बताया कि कॉन्गो फीवर एक जूनोटिक वायरल डिजीज है, जो टिक (पिस्सू) के काटने से होती है। इसे देखते हुए पशुपालन विभाग को इस बीमारी से बचाव एवं रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में इस बीमारी की रोकथाम एवं बचाव के लिए सभी सुरक्षात्मक कदम उठाने तथा आमजन को जागरूक करने के भी निर्देश दिए गए हैं, ताकि संक्रमण का प्रसार नहीं हो। सभी निजी एवं राजकीय चिकित्सा संस्थानों को निर्देशित किया गया है कि किसी व्यक्ति में कॉन्गो फीवर के लक्षण नजर आएं तो तत्काल प्रभाव से सैम्पल लेकर जांच के लिए भिजवाएं। साथ ही, चिकित्सा विभाग को इसकी सूचना दें।

जोधपुर में साल 2014 में पहला केस क्रीमियन-कांगो हेमोरेजिकफीवर (सीसीएचएफ) का आया था, जिसमें रेजिडेंसी रोड स्थित निजी अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ को कांगो हुआ और मौत हो गई थी। इसके बाद 2019 में तीन बच्चों में लक्षण नजर आए थे। साथ ही एम्स में दो रोगियों की मौत हुई थी। अब पांच साल बाद जोधपुर से सटे नांदडा गांव में मामला समाने आया है, जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है।

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