Agriculture: Red ‘carpets’ Are Visible On The Hill Of Kwar From Dodra – Amar Ujala Hindi News Live
डोडरा क्वार का नजारा।
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करीब 14,830 फीट की ऊंचाई चढ़ने के बाद चांशल टॉप आता है। चांशल दर्रे को लांघकर जब दूसरी ओर नीचे उतरते हैं तो पहले डोडरा आता है। फिर नीचे रूपिन खड्ड पर पुल को पार कर उस तरफ क्वार की पहाड़ी है। डोडरा से देखने पर क्वार की पहाड़ी पर लाल-लाल गलीचे जैसे बिछाए दिखते हैं। जब स्थानीय ग्रामीणों से पूछा कि ये क्या हैं तो वे बोले कि ये बाथू की फसल है। बाथू से रोटी बनती है। इससे लिमबड़ी तैयार होती है। लिमबड़ी डोडरा और क्वार की एक प्रमुख डिश है, यानी यह एक तरह की बाथू की खीर है।
इसकी तासीर गर्म होती है। सर्दियों में जब चांशल घाटी बर्फ से ढक जाती है और डोडरा व क्वार ठंड के आगोश में होते हैं तो यहां पर गर्म चीजें ही खाई जाती हैं। इस क्षेत्र में बाथू के अलावा कोदा, कावणी, फाफरा, ओगला, चिणी उगाए जाते हैं, जो दुनिया भर में मिलेट्स के नाम से पौष्टिक अनाजों में शामिल हैं। कोदा और ओगला की रोटी बनती है। चिणी का सिड्डू के अंदर बीड़न डाला जाता है। मिलेट्स पर बेशक दुनिया भर में बड़े अभियान चलाए जा रहे हों, मगर डोडरा और क्वार में यह फसलें सदियों से प्राकृतिक तरीके से उगाई जाती हैं।
आत्मा परियोजना के जिला शिमला के निदेशक देवी चंद कश्यप भी क्वार में हुए इस आयोजन में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में प्राकृतिक खेती के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। डोडरा क्वार क्षेत्र मिलेट्स की प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। यहां पर भी इस परियोजना में विशेष काम होगा। उन्होंने कहा कि डोडरा क्वार में जीवामृत्त और बीजामृत्त बनाने के लिए एक हजार ड्रम 50 फीसदी अनुदान पर दिए जाएंगे। पांचों पंचायतों को 200-200 ड्रम दिए जाएंगे।