Published On: Fri, Oct 18th, 2024

Chandragupta Literature Festival, Rajendra Arlekar, Jaipur Lit Fest, Himachal Lit Fest, Anti-national Ideology – Amar Ujala Hindi News Live – Bihar Governor :’जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में भारत विरोधी तत्व जुटते हैं’


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चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव में दीप प्रज्ज्वलित करते राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर तथा अन्य
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शुक्रवार को दरभंगा में आयोजित तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव 2024 में शिरकत की। मिथिला की पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ राज्यपाल का भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल ने देश के प्रमुख साहित्य उत्सवों, विशेष रूप से जयपुर और हिमाचल प्रदेश के सोनम में आयोजित साहित्य महोत्सवों पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने इन उत्सवों को देश विरोधी विचारधाराओं का मंच बताया, जहां ऐसे लोग जुटते हैं जो राष्ट्रविरोधी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करते हैं।

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साहित्य के नाम पर होने वाली बातें देश के लिए चिंता का विषय 

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि देश भर में कई साहित्य महोत्सव होते हैं, जिनमें साहित्यकार, विचारक और चिंतक हिस्सा लेते हैं। ये कार्यक्रम समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए होते हैं। लेकिन जयपुर साहित्य महोत्सव के बारे में सभी जानते हैं कि यह कैसा मंच है। वहां बार-बार भारत विरोधी विचारधाराओं के लोग आते हैं और अपनी बात रखते हैं, जो न केवल साहित्य के लिए बल्कि देश के लिए भी चिंता का विषय है।

 

उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ जयपुर तक सीमित नहीं है। हिमाचल प्रदेश के सोनम क्षेत्र में भी ऐसा ही एक साहित्य महोत्सव आयोजित होता है, जहां भी ऐसे ही मानसिकता और विचारधाराओं के लोग इकट्ठा होते हैं। ये फेस्टिवल साहित्य और विचार-विमर्श के नाम पर देश विरोधी एजेंडा चलाने का माध्यम बन रहे हैं।

 

चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव का महत्व और आयोजन

राज्यपाल ने चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव की सराहना करते हुए कहा कि यह महोत्सव समाज में सकारात्मक सोच और राष्ट्रवादी विचारधारा को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव का आयोजन दरभंगा राज परिसर में हो रहा है, जिसने शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक योगदान दिया है। यहां पर राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकार, विचारक और चिंतक एकत्रित होकर समाज को नई दिशा देने पर विचार कर रहे हैं, जो अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे साहित्य महोत्सवों को सिर्फ हिंदी भाषा तक सीमित नहीं रखना चाहिए। अन्य भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों को भी इसमें शामिल करना आवश्यक है, ताकि यह महोत्सव सभी भाषाओं के साहित्यकारों और विचारकों के लिए एक मंच बन सके।

 

प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति

इस साहित्य महोत्सव में कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने हिस्सा लिया। दरभंगा राज परिवार के सदस्य कपिलेश्वर सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ठाकुर, मोहन सिंह, राज किशोर, राजन प्रसाद गुप्ता और साहित्य अकादमी दिल्ली की उपाध्यक्ष कुदोम शर्मा मंच पर मौजूद रहे।

 

देश विरोधी विचारधाराओं पर चिंता

राज्यपाल की टिप्पणियां साहित्यिक आयोजनों के संदर्भ में एक गंभीर बहस को जन्म दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि साहित्यिक आयोजनों को सकारात्मक विचारों के आदान-प्रदान का मंच होना चाहिए, न कि देश विरोधी विचारधाराओं के प्रचार का। इस पर विचार करते हुए उन्होंने जोर दिया कि देश में ऐसे मंचों की जरूरत है, जहां राष्ट्रवादी विचारधारा को बल मिले और समाज सही दिशा में आगे बढ़ सके।

 

मिथिला की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा

चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव का आयोजन मिथिला की धरोहर और सांस्कृतिक परंपरा के तहत किया गया, जहां साहित्य और संस्कृति को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया। राज्यपाल ने कहा कि ऐसे आयोजनों से मिथिला की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपरा को नया आयाम मिलेगा। यह आयोजन देश भर के साहित्यकारों के बीच मिथिला की पहचान को मजबूती प्रदान करेगा।

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