Published On: Tue, May 28th, 2024

हिमाचल की भुवनेश्वरी माता राजस्थान आकर बन गयीं कुल्लू देवी, बड़ी रोचक है स्थान परिवर्तन की कहानी 


जयपुर. राजस्थान के जयपुर ग्रामीण में कुल्लू माता का मंदिर है. कुल्लू हिमाचल प्रदेश का शहर है जो राजस्थान से सैकड़ों किलोमीटर दूर है. कुल्लू माता मंदिर की कहानी बेहद रोचक है. कहते हैं हिमाचल की स्थानीय देवी भुवनेश्वरी माता ने किशनगढ़ रेनवाल में रहने वाले एक भक्त के सपने में आकर खुद अपना नाम कुल्लू शहर के नाम पर रखा.

स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार भुवनेश्वरी धाम से रेनवाल का नथुआ राम माता की भव्य मूर्ति लेकर यहां आया था. लोग बताते हैं नथुआ राम रोजी-रोटी की तलाश में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू गए थे. वहां छोटा-मोटा काम कर बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा चला पा रहा था. जब जीवन को परेशानियों में घिरता पाया तो नथुआ ने कुल्लू पहाड़ियों में स्थित भुवनेश्वरी माता को अपनी ईष्ट देवी मानते हुए उनकी पूजा अर्चना शुरू कर दी. धीरे-धीरे भुवनेश्वरी माता के भक्त नथुआ राम की आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगी और उन्होंने हिमाचल प्रदेश में ही कपड़े की दुकान शुरू की.

माता ने भक्त को दिए दर्शन
कहते हैं कई साल बाद भुवनेश्वरी माता ने अपने प्रिय भक्त नथुआ के सपने में आकर कहा “मैं तुम्हारे घर राजस्थान चलना चाहती हूं”. भक्त ने भुवनेश्वरी माता के आग्रह को तुरंत स्वीकार कर लिया और उन्हें राजस्थान ले जाने का वचन दिया. माता को हिमाचल से राजस्थान लाना आसान नहीं था. कई साल ऐसे गुज़र गए एक दिन अचानक नथुआ की दुकान में आग लग गई. सारा सामान जलकर राख हो गया. उसके बाद नथुआ को माता को दिया वचन याद आया. उन्होंने ये बात अपनी पत्नी को बताई और 2006 में चार गाड़ियों में माता रानी का श्रंगार वस्त्र और अन्य सामान भरकर मूर्ति को रथ में विराजमान कर राजस्थान ले आए.

जीण माता मंदिर में मां भुवनेश्वरी का अभिषेक
हिमाचल की देवी भुवनेश्वरी माता को राजस्थान के प्रसिद्ध शक्तिपीठ जीण माता मंदिर लाया गया. यहां पवित्र जल से अभिषेक किया गया. मंदिर के पुजारी ने माता की पूजा अर्चना की. यहां नथुआ राम ने रात्रि जागरण किया और फिर माता की मूर्ति रथ में विराजमान कर अपने घर रेनवाल ले आए.

भुवनेश्वरी माता ने कहा -“मैं कुल्लू माता हूं”
वर्षों तक माता अपने भक्त नथुआ राम के घर की छत पर विराजमान रही. 2023 में माता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई. संत हीरापुरी महाराज और बड़ा मंदिर महंत जुगल किशोर शरण के सानिध्य में माता का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम हुआ. कहते हैं माता भुवनेश्वरी की तीन दिन पूजा करने के बाद भक्त नथुआ राम को फिर माता ने स्वप्न में दर्शन दिए और कहा रेनवाल धाम में मेरी पूजा ”कुल्लू माता” के रूप में होगी. उसके बाद से लेकर आज तक शक्ति स्वरूप के रूप में भक्त कुल्लू माता की पूजा कर रहे हैं.

भक्ति का केंद्र कुल्लू माता मन्दिर
जयपुर ग्रामीण के अंतिम छोर पर स्थित कुल्लू माता मन्दिर आस्था का केंद्र बन गया है. रोजाना भक्त मंदिर में आकर माता के दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं. इसके अलावा नथुआ राम खुद मंदिर में कुल्लू माता की पूजा अर्चना करते हैं. माता के राजस्थान आगमन के दिवस पर हर साल मंदिर परिसर में विशाल कार्यक्रम होता है जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं.

(Disclaimer: चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, फेंगशुई आदि विषयों पर आलेख अथवा वीडियो समाचार सिर्फ पाठकों/दर्शकों की जानकारी के लिए है. इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है. हमारा उद्देश्य पाठकों/दर्शकों तक महज सूचना पहुंचाना है. इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की होगी. Local 18 इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है.)

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