Published On: Sat, Aug 31st, 2024

1984 सिख विरोधी दंगे : गवाह और एक वीडियो 40 साल बाद जगदीश टाइटलर को कठघरे तक लाए


वर्ष 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय का रास्ता साफ हो गया है। गवाह और एक वीडियो 40 साल बाद टाइटलर को कठघरे तक ले आए हैं।

सीबीआई ने इस मामले में पहले तीन बार टाइटलर को क्लीनचिट देते हुए अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, लेकिन हर बार अदालत द्वारा पुन: जांच के आदेश के बाद चौथा आरोपपत्र दायर किया गया और इसी आरोपपत्र के आधार पर टाइटलर के खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया।

इस आरोपपत्र में एक तरफ चश्मदीद गवाहों के बयानों को अहम माना गया, वहीं टाइटलर का एक वीडियो भी महवत्पूर्ण साक्ष्य के तौर पर सामने आया। इस आरोपपत्र के साथ संलग्न वीडियो में टाइटलर एक नवंबर 1984 को लोगों को दंगों के लिए भड़काते नजर आ रहे हैं। हालांकि, यह वीडियो स्पष्ट नहीं है, लेकिन अदालत ने इसे प्रथमदृष्टया टाइटलर की आवाज को साक्ष्य के तौर पर स्वीकार किया है।

भाषण वाले वीडियो की फॉरेंसिक जांच कराई : दिल्ली में 1984 में हुए सिख दंगों के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ सीबीआई ने पिछले साल मई में आरोपपत्र दायर किया था। इसमें टाइटलर द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण का हवाला दिया गया। यही भाषण 40 साल बाद इस मुकदमे को आगे बढ़ाने का आधार बना है। सीबीआई ने टाइटलर की आवाज के नमूने की फॉरेंसिक जांच कराई थी। इसी नमूने को आरोपपत्र में महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया गया।

सीबीआई ने कहा- नए सबूत मिले : सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा कि टाइटलर पर मुकदमा चलाने के लिए उन्हें नए सबूत मिले हैं। इसमें आवाज का नमूना सबसे महत्वपूर्ण है। सीबीआई को घटना के समय भीड़ को सिखों के खिलाफ उकसाने और दंगे भड़काने वाले भाषण का वीडियो मिला है। इसकी आवाज का मिलान टाइटलर की आवाज से कराया गया है। आवाज का नमूना पिछले साल 11 अप्रैल को लिया गया था।

नानावती आयोग का गठन हुआ

जांच के लिए भारत सरकार ने 2000 में जस्टिस नानावती जांच आयोग का गठन किया। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय ने तत्कालीन सांसद टाइटलर समेत अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई को जांच सौंप दी। सीबीआई ने इस बाबत वर्ष 2005 में दंगों के सभी मामलों में कई बड़े नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।

पत्नी इंसाफ के लिए लड़ती रही

पुल बंगश के गुरुद्वारे में अपने पति बादल सिंह को खोने वाली लखविन्द्र कौर अदालत में सीबीआई की रिपोर्ट का विरोध करती रही है। वह अदालत के समक्ष बार-बार खुद को घटना की चश्मदीद गवाह बताती रही। इसी का नतीजा है कि सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को बार-बार कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

सबूत के लिए मंजीत सिंह जीके ने दिया था वीडियो

घटना में नया मोड़ तब आया जब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने 2018 में स्टिंग वीडियो जारी किया। उन्होंने दावा किया था कि उन्हें दिल्ली के एक कारोबारी ने वीडियो डाक के जरिये भेजा है। वीडियो में जगदीश टाइटलर भीड़ को उकसाते दिख रहे हैं। हालांकि, वीडियो की गुणवत्ता ज्यादा स्पष्ट नहीं थी, लेकिन आवाज सुनाई दे रही थी। सीबीआई के लिए यही अहम सबूत बना।

चार्जशीट पर खुशी जताई

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलो ने सीबीआई द्वारा 1984 के सिख दंगों में चार्जशीट दाखिल होने पर खुशी जताई है।

मामले से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण तारीखें

28 अक्टूबर 2007 

क्लीनचिट दी : पहली बार जगदीश टाइटलर को सिख विरोधी दंगों के मामले में क्लीनचिट देते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, लेकिन अदालत ने पुन: जांच के आदेश दिए।

02 अप्रैल 2009

आरोपी कैसे बनाएं : सीबीआई ने मामला बंद करने की सिफारिश कर कहा कि बिना साक्ष्य किसी को आरोपी कैसे बनाएं। कोर्ट ने मृतक बादल सिंह की पत्नी लखविन्द्र कौर का पक्ष सुनने के बाद क्लोजर रिपोर्ट खारिज की। नए सिरे से जांच का आदेश दिया।

केस बंद करने का आग्रह : सीबीआई ने जांच में कुछ सामने न आने का हवाला देते हुएए केस बंद करने का अनुरोध किया। पीड़ित अपने बयान पर अड़े रहे। कोर्ट ने सीबीआई की तीसरी क्लोजर रिपोर्ट नामंजूर कर दी।

नए सबूत मिले : सीबीआई ने कुछ नए सबूत आने की बात कहकर अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया। यह पहली बार था कि जांच एजेंसी ने जगदीश टाइटलर को सिख विरोधी दंगा मामले में आरोपी बनाया। इसके बाद एक साल चार महीने तक आरोपपत्र पर जिरह सुनने के बाद अदालत ने 30 अगस्त 2024 को टाइटलर के खिलाफ प्रथमदृष्टया आरोपों को सही ठहराया।

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