Published On: Sat, Aug 10th, 2024

Manish Sisodia : केजरीवाल सरकार के लिए संजीवनी है मनीष सिसोदिया की जेल से रिहाई? कैसे होगा फायदा


दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की रिहाई के बाद अब ठप पड़ा दिल्ली सरकार का कामकाज पटरी पर लौटने की उम्मीद की जा रही है। अधिकारियों और संवैधानिक विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि यदि सिसोदिया को उनके पिछले पद पर बहाल कर दिया जाए तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से प्रभावित दिल्ली सरकार का कामकाज पटरी पर लौट सकता है।

सिसोदिया ने गिरफ्तारी के बाद पिछले साल 28 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले उनके पास शिक्षा, वित्त, आबकारी, स्वास्थ्य और पीडब्ल्यूडी सहित 18 विभागों का प्रभार था। इसके अलावा वह केजरीवाल सरकार में उपमुख्यमंत्री भी थे।

केजरीवाल जब कुछ दिनों के लिए विपश्यना ध्यान के वार्षिक सत्र के लिए जाते थे, तो उनकी अनुपस्थिति में पूर्व उपमुख्यमंत्री दिल्ली सरकार का कामकाज संभालते थे।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज शराब नीति संबंधी मामलों में शुक्रवार को सिसोदिया को जमानत दे दी। सीबीआई द्वारा 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किए जाने से पहले सिसोदिया आम आदमी पार्टी (आप) और दिल्ली सरकार में केजरीवाल के बाद सबसे प्रमुख नेता थे।

केजरीवाल और सिसोदिया की अनुपस्थिति में, एक दर्जन से अधिक विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहीं मंत्री आतिशी वर्तमान में अपने कैबिनेट सहयोगियों सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत और इमरान हुसैन के साथ दिल्ली सरकार का कामकाज संभाल रही हैं।

‘आप’ के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संदीप पाठक ने कहा, ‘‘मनीष सिसोदिया हमारे नेता हैं। वह आगे बढ़कर नेतृत्व करेंगे। हमारी सरकार के कामकाज में बाधाएं पैदा की गई हैं। उनकी रिहाई से हमें ताकत मिलेगी और शासन भी मजबूत होगा। पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति आगे की रणनीति तय करेगी।’’

एलजी को भेजनी होगी सिफारिश

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि तकनीकी रूप से सिसोदिया फिर से उपमुख्यमंत्री बन सकते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के जेल में होने के कारण कई पेचीदगियों से निपटना होगा। अधिकारी ने कहा, ‘‘सिसोदिया को अपनी कैबिनेट में शामिल करने के लिए केजरीवाल को तिहाड़ जेल से उपराज्यपाल को अपनी सिफारिश भेजनी होगी, जो फिलहाल मुश्किल लग रहा है।’’

संविधान के अनुसार कोई रुकावट नहीं : आचार्य

हालांकि, संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के नाते केजरीवाल अपनी सरकार में किसी को भी मंत्री के रूप में शामिल करने की सिफारिश कर सकते हैं। लोकसभा के पूर्व महासचिव ने कहा कि चूंकि केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है, इसलिए उनके पास उपराज्यपाल को सिफारिश भेजने के बाद मंत्रिपरिषद में किसी को भी मंत्री नियुक्त करने का अधिकार है। संविधान में ऐसा कुछ भी नहीं है जो उन्हें ऐसा करने से रोकता हो। आचार्य ने यह भी कहा कि अगर केजरीवाल चाहें तो सिसोदिया को फिर से उपमुख्यमंत्री नियुक्त कर सकते हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई मामले में केजरीवाल की जमानत याचिका हाल में खारिज कर दी थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में, ‘आप’ सरकार का शासन संबंधी नियमित मामलों में उपराज्यपाल कार्यालय और वरिष्ठ अधिकारियों से कई बार टकराव हो चुका है।

अधिकारियों ने बताया कि केजरीवाल के जेल में होने के कारण सरकार की परियोजनाओं के लंबित रहने के अलावा दिल्ली विधानसभा सत्र बुलाने और रिक्त मंत्री पदों पर नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर भी कोई स्पष्टता नहीं है।

उनमें से एक ने कहा कि अगर सिसोदिया उपमुख्यमंत्री के तौर पर वापस आते हैं, तो स्थिति काफी अलग हो सकती है। हालांकि, अब ज्यादा समय नहीं बचा है, क्योंकि अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं।

इस बीच, एक अन्य संवैधानिक विशेषज्ञ एस.के. शर्मा ने कहा कि सरकार में उपमुख्यमंत्री किसी भी अन्य मंत्री की तरह होता है, जिसके पास कोई विशेष शक्तियां नहीं होती हैं।

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