Published On: Tue, Jan 9th, 2024

Dhordo: मोदी के ‘दोस्त’ मियां हुसैन का आदर्श गांव धोरडो, जहां 1963 से नहीं हुए चुनाव

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हमारे देश की राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था में व्यक्ति और परिवार के बाद ‘गांव’ मूल इकाई के रूप में देखे जाते हैं। हमारे नेताओं का मानना रहा है कि यदि देश का विकास करना है, तो पहले गांवों का विकास करना होगा। यही कारण है कि महात्मा गांधी से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक सभी ने इन गांवों का विकास करने के बारे में अपनी-अपनी कल्पनाएं प्रस्तुत की और अपनी सोच के अनुसार इसे मजबूत करने के लिए काम किया।

आदर्श गांव धोरडो

प्रधानमंत्री मोदी के लिए ‘आदर्श गांव’ का मतलब क्या है, इसे गुजरात के कच्छ जिले में आकर देखा जा सकता है। भुज से लगभग 86 किलोमीटर दूर बसा गांव धोरडो (Dhordo) कई मायने में आदर्श और विकसित गांव कहा जा सकता है। पाकिस्तानी सीमा के पास कच्छ के रेगिस्तान में बसे इस गांव में हर वह सुविधा उपलब्ध है, जिसकी एक गांव में होने की कल्पना की जा सकती है। यहां के हर घर में शौचालय है, हर घर में टोंटी से जल की सप्लाई होती है, अस्पताल, स्कूल और हर परिवार के पास आवास की सुविधा है।

स्मार्ट गांव

गांव के स्कूल ब्राड बैंड फाइबर से जुड़े हैं। गांव के स्कूलों में स्मार्ट क्लास में बच्चों की पढ़ाई होती है। गांव में एक समुदाय भवन भी बना है, जिसमें जिले के कलेक्टर यहां के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ मिलकर गांव के विकास की योजनाएं बनाते हैं। वे कभी स्वयं आकर तो कभी ऑनलाइन के माध्यम से यहां की मीटिंगों में हिस्सा लेते हैं। इस गांव के सरपंच मियां हुसैन स्मार्ट टीवी पर गांव के विकास की प्रेजेंटेशन कलेक्टर को दिखाते हैं और उचित सुझाव प्राप्त करते हैं।









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