Published On: Mon, Jul 22nd, 2024

100 किलोमीटर दूर तक बच्चों को देखने जाते हैं डॉक्टर-नर्स: अस्पताल ने मां के स्पर्श से किया इलाज, 90% प्रीमैच्योर बच्चें स्वस्थ, 3 साल में 2600 बच्चों की जान बचाई


बहराइच50 मिनट पहलेलेखक: कृष्ण मोहन तिवारी

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फोटो: लवी पंत - Dainik Bhaskar

फोटो: लवी पंत

उत्तर प्रदेश के नेपाल से लगे बहराइच में महाराजा सुहेलदेव स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज ने 3 साल में 2600 से ज्यादा प्रीमैच्योर बच्चों की जान बचाई है। ये बच्चे 36 हफ्ते से पहले पैदा हुए और जन्म के समय इनका वजन 1800 ग्राम से भी कम था। मेडिकल कॉलेज के सिक एंड न्यूबॉर्न केयर यूनिट के इंचार्ज डॉ. असद अली भी अचंभे में हैं।

वे कहते हैं कि मां की ममता में किसी भी मशीन से ज्यादा शक्ति होती है। मां का स्पर्श प्रीमैच्योर बच्चे के लिए दवा जैसा है। हमने इलाज में इसी ममता का इस्तेमाल किया। अगस्त 2021 में हमने एक अमेरिकी संस्था के साथ मिलकर जन्म के समय अंडरवेट बच्चों को कंगारू थेरेपी के जरिए बचाने की कोशिश की। 3 साल में हमने ऐसे 90% बच्चों को बचा लिया।

इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. संजय खत्री कहते हैं कि हर महीने हम औसत 65 प्रीमैच्योर बच्चों की देखभाल कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के मुख्य तौर पर 4 हिस्से हैं। पहला अस्पताल में मां की उचित देखभाल, कंगारू केयर, फोन कॉल से परामर्श और घर जाकर बच्चों की स्वास्थ्य जांच। वे कहते हैं, हमने कंगारू मेडिकल केयर वॉर्ड बनाया है।

‘कवच’ के जरिए मां बच्चे को सीने से चिपकाए रहती है

नेपाल बॉर्डर के पास के एक गांव में रहने वाली रूपा 28 हफ्ते में पैदा हुए अपने प्रीमैच्योर बच्चे को ‘कवच’ के जरिए हर वक्त सीने से चिपकाए रहती है। यह करीब वैसी ही थैली है, जैसी मादा कंगारू के पास होती है, जिसमें वह अपने शिशुओं को रखती है।

अस्पताल से उसके घर की दूरी करीब 100 किमी है। नर्स मां को बच्चे का तापमान, पल्स और अन्य जरूरी संकेतों को रिकॉर्ड करना भी सिखाती है। वह मां को ब्रेस्ट फीडिंग से लेकर हर उन संकेतों को समझना सिखाती है, जो बच्चे की सेहत के लिए जरूरी हैं, ताकि मां आपात स्थिति को समझ सके।

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