Published On: Sat, Jul 20th, 2024

बेपरवाह शासन ने नहीं दिलाई नाव, पानी भरा होने से इलाज में हुई देरी, बीमार बुजुर्ग की हुई मौत


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बिहार के अररिया में भीषण बारिश के साथ-साथ शासन-प्रशासन की लापरवाही के कारण एक बुजुर्ग की जान चली जाने का मामला सामने आया है। यहां की कालाबलुवा पंचायत के वार्ड एक के डेढ़ सौ से अधिक घरों के लोग पिछले एक महीने से नाव की मांग कर रहे हैं। मगर शासन इनकी मांग को ध्यान देने के बजाय नजरअंदाज करता आया है। इस कारण बीते चार दिनों से बीमार एक बुजुर्ग की घर में ही मौत हो गयी। परिजनों का आरोप है कि गांव चारो ओर से नदी से घिरा हुआ है। पानी भरा होने के कारण बुजुर्ग को इलाज के लिये तुरंत बाहर नहीं ले जा सके। इस कारण उनकी मौत हो गयी। इस मामले को लेकर वार्ड सदस्य देवान टुड्डू ने बताया कि उन लोगों को नदी पार करने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है, क्योंकि यह गांव गांव फरियानी नदी से घिरा है। कालाबलुवा पंचायत के वार्ड संख्या एक निवासी 55 वर्षीय श्यामलाल टुड्डू  बीते 4 दिनों से बीमार चल रहे थे। इलाज न मिलने के कारण उनकी मौत हो गई है।

नाव न होने के चलते नहीं जा सके अस्पताल

लोगों ने बताया कि ज्यादा बुखार होने पर वे लोग किसी तरह खटिया से नदी पारकर कोशकापुर होते हुए 12 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय कर इलाज के लिए पूर्णिया ले गए। शनिवार को इलाज के बाद घर आ गए थे, लेकिन इसी दौरान उन्हें फिर से तेज बुखार आ गया। मगर गांव में नाव नहीं होने के कारण ईलाज के लिए दोबार जल्दी नहीं ले जा सके, नतीजतन बीमार श्यामलाल की मौत हो गयी। इधर श्यामलाल की मौत के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

जल्द नाव उपलब्ध कराने का दिया आश्वासन

इस संबंध में सीओ प्रियवर्त कुमार ने बताया कि नाव फ़िलहाल उपलब्ध नहीं रहने के कारण उक्त घाट पर नाव मुहैया नहीं कराया जा सकी है। परसों हर हाल में पनभरणी घाट पर नाव उपलब्ध करा दी जाएगी। वहीं बीडीओ रितम कुमार ने बताया कि पूर्व में ही आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी को उक्त घाट पर नाव उपलब्ध कराने के लिये कहा गया था, लेकिन नाव उपलब्ध नहीं कराया गया।

नाव के अभाव में सामना करते समस्याएँ

रानीगंज क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक घाटों पर फिलहाल नाव की कोई सुविधा नहीं है। रानीगंज के कदम घाट, कालाबलुवा के बद्दो घाट, दीरा घाट, पनभरणी घाट, परिहारी पंचायत के गोपालपुर घाट आदि में नाव नहीं रहने से यहां के हजारों की आबादी को प्रखंड मुख्यालय आने के लिए आठ से दस किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। यही नहीं इस समय किसानों को धान की रोपनी करनी है। कालाबलुवा के कई बड़े किसानों की जमीन नदी के उसपार रहने के कारण धान की रोपनी अबतक नहीं हो सकी है। इसके अलावा भी क्षेत्र के कई जगहों पर जर्जर व पुराने नाव से किसी तरह काम चलाया जा रहा है।

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