चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसा; पटरी में खराबी के कारण पलटी ट्रेन? एक दिन पहले ही ट्रैक की हुई थी मरम्मत
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यूपी के गोंडा में गुरुवार दोपहर चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के ट्रैक में खामी के कारण दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका जताई जा रही है। एक दिन पहले ट्रैक पर काम चलने के कारण यात्री ट्रेनों को 15-20 किलोमीटर प्रति घंटा की धीमी रफ्तार पर चलाया गया। इसके अगले दिन उसी स्थान पर ट्रेन हादसे का शिकार हो गई।
रेलवे के दस्तावेज के अनुसार गोंडा-मनकापुर सेक्शन पर ट्रैक ठीक करने के लिए 17 जुलाई, 2024 सतर्कता आदेश जारी किया गया था। इसके तहत ही ट्रेनों को धीमी रफ्तार से वहां से गुजारा गया।
इसी सेक्शन पर 27 अगस्त, 2023 व 10 जून, 2022 को सतर्कता आदेश जारी कर ट्रेनों को 15 किमी प्रति घंटे की प्रतिबंधित रफ्तार पर चलाया गया था। रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग ट्रैक को बदलने-मरम्मत करने के लिए उक्त आदेश जारी करते हैं। गुरुवार को किसी प्रकार का सर्तकता आदेश न जारी होने के कारण चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस अपनी अधिकतम रफ्तार पर दौड़ते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
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विशेषज्ञों के अनुसार ट्रेन के बेपटरी होने के दो ही कारण होते हैं। इनमें ट्रैक की खामी या इंजन-कोच के पहियों में गड़बड़ी प्रमुख हैं। पिछले तीन वर्षों से उक्त सेक्शन में निरंतर ट्रैक का काम किया जा रहा है। इसलिए हादसे का कारण ट्रैक में गड़बड़ी को माना जा रहा है। हालांकि, इसका असली कारण रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की जांच के बाद ही पता चलेगा।
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ठेकेदारी से बढ़ी समस्या
रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य यातायात श्रीप्रकाश ने बताया कि मानसून में कई बार ट्रैक के नीचे की जमीन धंस जाती है। इससे हादसे की संभावना बढ़ जाती है। रेलवे में बढ़ती ठेका पद्धति के चलते भी ट्रैक में गड़बड़ी बढ़ रही है। ट्रैक बदलने व मरम्मत में मशीनों का उपयोग किया जाता है, लेकिन निजी ठेकेदारों के कर्मियों में दक्षता के अभाव में त्रुटियां रह जाती हैं।
तोड़फोड़ की आशंका से इनकार नहीं
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया है कि चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे में तोड़फोड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। कहा कि ट्रेन के चालन ने हादसे से पहले तेज धमाके की आवाज सुनी थी। इसके अलावा रेलवे बोर्ड ने तोड़फोड़ की आशंका को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश भी जारी कर दिए हैं।