Published On: Mon, Jul 15th, 2024

एल्गार परिषद- माओवादी लिंक केस: ज्योति जगताप की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, हाईकोर्ट का फैसला बदलने से इनकार किया


नई दिल्ली9 मिनट पहले

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जगताप को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। वे मुंबई के भायखला महिला जेल में बंद हैं। - Dainik Bhaskar

जगताप को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। वे मुंबई के भायखला महिला जेल में बंद हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (15 अप्रैल) को एल्गार परिषद- माओवादी लिंक केस में एक्टिविस्ट ज्योति जगताप की मुख्य जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि हम अंतिरम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं हैं।

दरअसल, 17 अक्टूबर, 2022 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ज्योति जगताप की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जगताप ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट का कहना था कि पहली नजर में जगताप के खिलाफ NIA का केस सही लगता है। वह माओवादी संगठन की रची गई साजिश में शामिल थीं।

2020 से जगताप जेल में बंद हैं
हाईकोर्ट ने कहा था कि जगताप उस कबीर कला मंच (KKM) समूह की सक्रिय सदस्य थीं, जिसने 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद के प्रोग्राम में अपने नाटक के दौरान भड़काऊ नारे लगाए थे। जगताप को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह मुंबई के भायखला महिला जेल में हैं।

जांच एजेंसी के मुताबिक, एल्गार परिषद के सम्मेलन में दिए भड़काऊ भाषणों के कारण 1 जनवरी 2018 को पुणे के कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की थी। इसके बाद जगताप पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (UAPA) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

जनवरी 2018 में भीमा कोरेगांव वॉर मेमोरियल में हिंसा भड़क गई थी। (फाइल फोटो)

जनवरी 2018 में भीमा कोरेगांव वॉर मेमोरियल में हिंसा भड़क गई थी। (फाइल फोटो)

NIA का दावा- ज्योति जगताप पैसे का हिसाब-किताब रखती थी
जांच एजेंसी NIA का दावा है कि ज्योति जगताप एल्गार परिषद का कार्यक्रम आयोजित करने वालों में से एक थी। पैसे के हिसाब-किताब का काम जगताप ही देखती थी। NIA के वकील संदेश पाटिल ने बताया कि जगताप ने हथियार और गोली-बारूद चलाने की भी ट्रेनिंग ली है।

वहीं, जगताप के वकील मिहिर देसाई का कहना है कि उनको तब गिरफ्तार किया गया, जब केस पुणे पुलिस से NIA को दिया गया। उन्होंने यह भी बताया की उनका आतंकवाद के साथ कोई संबंध नहीं है और जांच एजेंसी के पास किसी भी आरोप का कोई सबूत नहीं है।

एल्गार परिषद केस क्या है
महाराष्ट्र के पुणे में साल 2017 में एल्गार परिषद का एक कार्यक्रम हुआ था। इसके अगले ही दिन पुणे के पास भीमा-कोरेगांव इलाके में हिंसा भड़की थी। पुलिस का मानना है की एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कुछ लोगों के द्वारा दिए गए भाषण की वजह से हिंसा भड़की थी।

पुलिस के मुताबिक, इस केस में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से एक फादर स्टेन स्वामी की 5 जुलाई 2021 को जेल में मौत हो गई थी। इसके अलावा 14 मई को एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को जमानत दी गई थी। इस केस में अब तक 5 लोग जमानत पर हैं।

क्या है भीमा कोरेगांव मामला?
1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र में पुणे के भीमा कोरेगांव में एल्गार परिषद के बैनर तले हुए कार्यक्रम के दौरान हिंसा हुई थी। इसमें एक युवक की मौत हुई थी। इस केस में वामपंथी वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, स्टेन स्वामी, वेरनन गोंजाल्वेज, गौतम नवलखा और अरुण फरेरा समेत 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इन सभी पर जातीय हिंसा भड़काने का आरोप था।

NIA ने इन पर ISI और नक्सलियों से संबंध होने का आरोप भी लगाया था। यह कार्यक्रम 1818 में दलित बहुल सेना की पेशवा गुट पर हुई जीत की 200वीं वर्षगांठ के मौके पर रखा गया था।

1818 के युद्ध में मराठाओं की हार हुई थी
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा के पेशवा गुट के बीच 1 जनवरी 1818 को युद्ध हुआ था। ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना को उस समय के अछूत माने जाने वाले महार समुदाय के सैनिकों का समर्थन मिला था। उन्होंने अंग्रेजों की तरफ से लड़ाई लड़ी। युद्ध में मराठाओं की हार हुई थी।

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