ज्योतिष और विज्ञान की मदद से इसरो लगाएगा बिहार में बाढ़ का अनुमान, अंतरिक्ष से होगी नदियों की निगरानी

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बिहार में बाढ़ के कहर से लोगों को बचाने के लिए आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नई पहल कर रहा है। अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों से मिले डेटा की मदद से नदियों की गहराई मापी जाएगी। इससे बाढ़ आने का पहले ही अनुमान लगा लिया जाएगा। बिहार मौसम सेवा केंद्र इसके लिए जल्द ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से करार करेगा। इसके अलावा प्राधिकरण ने आपदा प्रबंधन में ज्योतिषीय गणना का सहारा लेने का फैसला लिया है। डेटा का उपयोग बाढ़ के अलावा भूकंप, लू शीतलहर, वज्रपात जैसी आपदाओं के पूर्वानुमान में भी किया जाएगा।
इसरो बिहार के नदियों के स्वभाव और बाढ़ पूर्वानुमानों पर कार्य करेगा। नदियां अक्सर अपनी धारा बदलती हैं। इसरो द्वारा उपलब्ध मानचित्र और डेटा से देखा जाएगा कि कौन सी नदी की धारा बदलने की रफ्तार कितनी है। पता चल सकेगा कि किस खास इलाके में बाढ़ आने का प्रमुख कारण क्या है? बाढ़ की रोकथाम के उपाय किए जाएंगे। जल प्रवाह अनुमान के साथ बिहार में बाढ़ से होनेवाली क्षति को भी कम किया जा सकेगा।
ज्योतिषीय गणना कर जारी होगा पूर्वानुमान
भूकंप एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं के लिए मेदिनी ज्योतिष आधारित भारतीय ज्ञान परंपरा को आधार मानकर काम करने पर भी विचार चल रहा है। ज्योतिष भी गणना पर आधारित है। प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा में ज्योतिषीय गणना के हिसाब से बारिश, सूखा, भूकंप आदि का पूर्वानुमान लगाया जाता रहा है। इसमें आर्ट़िफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग का सहयोग लेकर ज्योतिषीय गणना की जाएगी। इससे भी आपदा पूर्वानुमानों पर कार्य किया जाएगा।
इसरो की टीम ने पटना मुख्यालय का किया दौरा
इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (स्पेस एप्लीकेशन सेंटर) के निदेशक नीलेश एम. देसाई और उनके सहयोगियों ने पटना स्थित प्राधिकरण मुख्यालय का दौरा कर लिया है। प्राधिकरण उपाध्यक्ष डॉ उदय कांत, बिहार मौसम सेवा केंद्र के निदेशक सीएन प्रभु व अन्य विशेषज्ञों से इसरो की टीम मिल चुकी है। प्रारंभिक वार्ता के बाद इसरो और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मिलकर काम करने पर सहमति जता चुके हैं। इस संबंध में जल्द ही एमओयू होगा।