Published On: Mon, Jul 8th, 2024

बुजुर्ग महिला को प्लेन में छोड़ गया स्टाफ: जयपुर से दिल्ली साथ गया बेटा मदद मांगता रहा, व्हीलचेयर उपलब्ध नहीं करवाई – Jaipur News


जयपुर से दिल्ली गई अलायंस एयरवेज की फ्लाइट में सवार एक बीमार बुजुर्ग महिला को स्टाफ प्लेन में ही छोड़कर चला गया। दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने के बाद महिला को व्हीलचेयर की जरूरत थी। स्टाफ ने व्हीलचेयर उपलब्ध नहीं करवाई। बुजुर्ग महिला को एयरक्राफ्ट में ही छ

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मामला रविवार रात का है। अलायंस एयरवेज की फ्लाइट 91644 को जयपुर से शाम 7.35 बजे दिल्ली के लिए रवाना होना था। फ्लाइट एक घंटे देरी से रवाना हुई। इस फ्लाइट से शशिकला गोस्वामी (86) अपने बेटे सुशील गोस्वामी के साथ जयपुर से दिल्ली जा रही थी।

सुशील गोस्वामी ने बताया- फ्लाइट रात 9.22 बजे दिल्ली पहुंची। दिल्ली पहुंचने के बाद मैंने क्रू मेंबर से व्हीलचेयर की मांग की। स्टाफ ने व्हीलचेयर उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया, लेकिन वे वहां से चला गया। पूरा विमान खाली हो गया। मैं और मेरी मां प्लेन में अकेले बैठे रहे।

दिल्ली एयरपोर्ट पर बुजुर्ग महिला को व्हीलचेयर के लिए करना पड़ा इंतजार।

दिल्ली एयरपोर्ट पर बुजुर्ग महिला को व्हीलचेयर के लिए करना पड़ा इंतजार।

लगेज वाली जगह जाकर छीनकर लाया व्हीलचेयर
सुशील गोस्वामी ने बताया कि मां शुगर के साथ पार्किंसंस की बीमारी से पीड़ित हैं। चलने-फिरने में काफी तकलीफ रहती है। करीब 15 से 20 मिनट तक प्लेन में बैठे रहने के बाद एसी बंद हो गया। हमे गर्मी और घुटन होने लगी। मैं मां को जैसे-तैसे विमान से बाहर लाया।

विमान के पास ग्राउंड पर खड़ा करके व्हीलचेयर लेने के लिए ग्राउंड स्टाफ के पास गया। वहां के स्टाफ ने भी मेरी मदद नहीं की। मैं लगेज वाली जगह गया। वहां रखी व्हीलचेयर लेने लगा तो स्टाफ ने मुझे रोक दिया। मैं जबरदस्ती व्हीलचेयर छीनकर लाया और मां को उस पर बैठाया।

स्टाफ की गाड़ी में पहुंचे टर्मिनल
गोस्वामी ने बताया- ग्राउंड से टर्मिनल तक जाने के लिए भी हमारी किसी ने मदद नहीं की। मैंने वहां मौजूद ग्राउंड स्टाफ, सिक्योरिटी ऑफिसर से भी मदद मांगी। बस या अन्य वाहन उपलब्ध करवाने की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। तभी विमान के पायलट और को-पायलट वापस स्टाफ की कार में प्लेन के पास पहुंचे। ड्यूटी चार्ट पर साइन करके वापस जाने लगे।

इस दौरान मैंने उनसे स्टाफ की गाड़ी में ले जाने की मिन्नत की। उन्होंने मना कर दिया। मैंने जबरदस्ती गाड़ी के सामने खड़े होकर विरोध जताया। कंपनी और उच्च स्तर पर शिकायत करने की बात कही, तब जाकर पायलट अपनी गाड़ी में हमे टर्मिनल तक लेकर पहुंचे।

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