Published On: Mon, Jul 8th, 2024

पंजाब के दो राजा उठाने लगे पड़ोसी राज्य से सुंदर लड़कियां,गुस्से में हुई लड़ाई


हाइलाइट्स

पटियाला के राजा भूपिंदर सिंह को पड़ोसी राज्य सुंदर लड़की पसंद आ गईसेना के अफसरों से उसे घर से उठवा कर हरम में पहुंचा दियापड़ोसी राज्य नाभा के राजा ने भी फिर यही काम किया

पटियाला के महाराजा भूपेंद्र सिंह और नाभा के राजा रिपुदमन कहने को तो रिश्तेदार थे लेकिन उनमें बिल्कुल नहीं बनती थी. दोनों ही राजा अय्यास भी कम नहीं थे. दोनों की रियासतें एकदम अलग बगल थीं. एक बार इन राज्यों के बीच अजीब लड़ाई हुई. दोनों राजाओं ने एक दूसरे पर आरोप लगाया कि वो उनके राज्य की खूबसूरत लड़कियों को उठाकर अपने हरम में ले जा रहे हैं.

जब पंजाब के महाराजा रंजीत सिंह मरे तो सूबा तमाम छोटी-बड़ी रियासतों में बंट गया. इसी में दो रियासतें नाभा और पटियाला भी थीं. दोनों के राजा आपस में चचेरे भाई थे लेकिन दोनों में लगातार झगड़े – फसाद चलते रहते थे. प्रतिद्वंद्विता जबरदस्त थी. दोनों पड़ोसी रियासतें थीं.

पटियाला रियासत में आजादी से पहले लंबे समय तक दीवान रहे जरमनी दास ने अपने अनुभवों के आधार पर एक चर्चित किताब महाराजा लिखी. उसमें पंजाब के कई राजाओं के अलावा देश की कई रियासतों के शासकों की अय्याशी, सनक और महिलाओं के प्रति दीवानगी को लेकर कहानियां हैं. उसमें एक कहानी ये भी हैं.

जब पटियाला के महाराजा ने उस खूबसूरत लड़की को देखा
पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह की नजर एक दौरे में पड़ोसी रियासत के सीमाई गांव की एक खूबसूरत लड़की पर पड़ी.

ये गांव नाभा राज्य की सरहद का गांव था. पटियाला के महाराजा ने जब इस पड़ोसी रियासत की लड़की को देखा तो बस देखते ही रह गए. उसका नाम रजनी था. वह किसान की लड़की थी. बेइंतिहा खूबसूरत. इकहरा बदन. सुनहरे बाल. नीली आंखें. वैसी खूबसूरती पंजाब में कम ही देखने को मिलती है.

महाराजा भूपिंदर सिंह (फाइल फोटो)

इत्तिफाक से राजा की नजर उस पर पड़ी. बात ये हुई कि महाराजा को सड़क के पास एक जंगली बारहसिंगा दिखाई पड़ा. उन्होंने गोली चलाई, मगर निशाना चूक गया. जानवर भाग खड़ा हुआ. महाराजा के कहने पर ड्राइवर ने मोटर दौड़ा कर उसका पीछा किया.

उस भीड़ में वो लड़की भी थी, जो राजा के दिल पर तीर चला गई
आखिरकार सरहद पार के मसाना गाँव के पास महाराजा ने गोली से उसे मार गिराया. गांव के तमाम मर्द, औरतें और बच्चे शिकार को देखने आ पहुंचे. उस भीड़ में रजनी भी थी, जिस पर महाराजा की नजर पड़ गई.

जब लड़की के माता-पिता ने कहना नहीं माना तो उसे घर से उठवा लिया
रचनी से आंखें चार होते ही महाराजा का दिल पर काबू नहीं रहा. महाराजा ने उसके मां-बाप को कई दफ़ा संदेशे भेजे कि अपनी बेटी के साथ पटियाला आएं. मगर उन लोगों ने महाराजा का हुक्म मानने से इन्कार कर दिया. जब समझाना-मनाना कुछ काम न आया तब महाराजा ने कुछ सिख फौजी अफ़सरों को भेज कर रजनी को उसके घर से उठवा लिया.

उसे हरम में शामिल कर लिया गया
पटियाला लाकर उसे महल में पहुंचा दिया गया, जहां महाराजा की तमाम रखैलों और चहेतियों में उसे भी शामिल होना पड़ा. इस घटना से दोनों महाराजाओं के आपसी ताल्लुक़ात में बहुत कटुता आ गई.

जवाब में नाभा के राजा ने कई औरतों को उठवाया
नाभा नरेश ने पटियाला से कितनी ही औरतें जबरदस्ती उठवा ली. इस तरह महाराजा पटियाला से बदला चुकाया. इससे दोनों में झगड़ा और भी बढ़ गया. महाराजा नाभा ने अपनी फ़ौज भेज दी. दोनों रियासतों की फ़ौजों में जम कर मुठभेड़ हुई. कई सिपाही मरे और जख्मी हो गए.

नाभा के राजा रिपुदमन सिंह (फाइल फोटो)

लड़ाई का कसूरवार कौन, जांच के लिए बना कमीशन
खूंरेजी के इस झगड़े में ब्रितानी भारत सरकार ने दखल दिया. एक कमीशन बनाया गया कि वो मामले की जाँच करे. अपनी रिपोर्ट वायसराय को पेश करे. फ़ैसला वायसराय को करना था कि वो इसमें किस राज्य के प्रमुख को क़त्ल, आगजनी, बदअमनी और खूंरेजी जैसे संगीन अपराधों का गुनहगार मानते हैं. दो साल तक जांच-पड़ताल चलती रही. वायसराय ने अंत महाराजा भूपिंदर सिंह पटियाला नरेश को बरी कर दिया. रिपुदमन सिंह को दोषी माना गया. उनसे कहा गया कि वे अपने बेटे के पक्ष में राजगद्दी त्याग दें.

महाराजा नाभा के पास कर्नल भेजा गया
वायसराय ने अपने फ़ैसले के बारे में बताने के लिए अपने एजेंट कर्नल मिन्चिन को महाराजा नाभा के पास भेजा. कर्नल मिन्चिन हथियार बन्द ब्रिटिश पैदल सेना, घुड़सवार अंगरक्षकों का दल और अम्बाला छावनी की एक फ़ौजी रेजिमेन्ट को लेकर नाभा पहुंचा. महाराजा को गवर्नर जनरल के एजेन्ट के आने की खबर दी गई.

महाराजा नाभा को महल से बाहर आने को कहा गया
महाराजा महल से बाहर नहीं निकले. महल के भीतर बहस छिड़ी हुई थी कि महाराजा अधीन हो जायें या लड़ें. गुस्से में भर कर कर्नल मिन्चिन जोर से चिल्लाया- “ऐ अकाली ! बाहर निकल !” उन दिनों भारत में अकाली सिखों ने ब्रिटिश विरोधी आंदोलन छेड़ रखा था. ब्रिटिश सरकार को शक था कि महाराजा नाभा उनकी मदद करते हैं.

फिर राजा को कोडाईकनाल भेज दिया गया
जब रिपुदमन सिंह ने देखा कि कर्नल मिन्चिन ने महल के बाहर फ़ौजी मोर्चा तैनात कर दिया है, तब बाहर आकर उन्होंने आत्म-समर्पण कर दिया. फ़ौरन एक बन्द गाड़ी में बिठा कर उनको रियासत से बाहर अम्बाला भेज दिया गया. वहां से वह दक्षिण भारत में कोडाईकैनाल ले जाकर नजरबंद कर दिए गए. कई सालों बाद वहीं उनकी मृत्यु हो गई.

Tags: Patiala news, Royal Traditions, Royal wedding

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