Published On: Sun, Jul 7th, 2024

Rajasthan News: Know Why The Government Came On The Backfoot In The Most Controversial Ias Investigation Case? – Amar Ujala Hindi News Live


Rajasthan News: Know why the government came on the backfoot in the most controversial IAS investigation case?

आईएस अरोड़ा का मामला
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का वादा करके राजस्थान की सत्ता में आई BJP सरकार को अब विधानसभा में इन सवालों पर अपना बचाव करना होगा कि भ्रष्टाचार के प्रकरणों में उसने बड़े अफसरों के खिलाफ ACB को अभियोजन की स्वीकृति क्यों नहीं दी। 

वीडियो वॉल टेंडर सहित अन्य मामलों में ACB की जांच के दायरे में आने वाले राजस्थान के सबसे विवादित IAS अखिल अरोड़ा सहित अन्य पॉवरफुल अफसरों पर सरकार ने क्या कार्रवाई की इस पर अब विधानसभा में लिखित जवाब देना होगा। बजट सत्र में न सिर्फ कांग्रेस बल्कि बीजेपी विधायकों ने भी इस मामले को लेकर सदन में सवाल लगाए हैं। कांग्रेस विधायकों में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, हरिमोहन शर्मा, मनोज कुमार व बीजेपी विधायकों में अतुल भंसाली ने लंबित अभियोजन स्वीकृति को लेकर सरकार से सवाल पूछे हैं।

सरकार का बजट भी उन्हीं हाथों में 

विपक्ष में रहते हुए योजना भवन और डीआईटी में भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाने वाली भाजपा के सारे आरोप सियासी ही साबित हुए। विवादित अफसर अखिल अरोड़ा सरकार से न सिर्फ अपनी अभियोजन स्वीकृति का प्रकरण ठंडे बस्ते में डलवाने में कामयाब रहे बल्कि नई सरकार का पहला बजट भी वही बना रहे हैं। 

516 मामलों में अनुमति लंबित

गौरतलब है कि 16वीं विधानसभा के प्रथम सत्र में राज्य सरकार की तरफ से विधानसभा को ACB के लंबित प्रकरणों की जो जानकारी दी गई थी, उसके अनुसार कुल 38 हजार से ज्यादा परिवाद ACB में दर्ज किए गए। इनमें से 706 परिवादों को गंभीर मानते हुए ACB ने सरकार से अनुमति मांगी। इनमें से 112 मामलों में सरकार ने ACB को मनाही कर दी और सिर्फ छोटे कर्मचारियों से जुड़े 78  मामलों में ही मंजूरी दी गई।

10 महीनों से अटकी फाइल

पिछली गहलोत सरकार में बीजेपी विधायक किरोड़ीलाल मीणा ने DOIT में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था, तब इसका चार्ज अखिल अरोड़ा के पास था। राजस्थान में विधानसभा चुनावों की आचार संहिता लागू होने के बाद ACB के तत्कालीन डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने 6 अक्टूबर 2023 में सरकार को चिट्ठी लिखकर अखिल अरोड़ा के खिलाफ अभियोजना स्वीकृति मांगी लेकिन यह चिट्ठी पहले कार्मिक विभाग और उसके बाद DOIT विभाग में दबा ली गई। हैरानी बात यह है कि जब यह चिट्ठी DOIT में दबी हुई थी उस वक्त महकमे का चार्ज अखिल अरोड़ा के पास ही था। हालांकि इसके बाद सरकार ने अखिल अरोड़ा को DOIT से हटा लिया लेकिन महकमे के अफसर इस पॉवरफुल अफसर की अभियोजन स्वीकृति की फाइल आगे बढ़ाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाए, क्योंकि उन्हें डर था कि मामले में कहीं वे टारगेट पर नहीं आ जाएं।

मुख्य सचिव भी टाल गए 

अफसर के प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्य सचिव सुधांश पंत ने भी इस मामले में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई, जबकि हर पखवाड़े IAS अफसरों की होने वाली सीनियर लेवल ऑफिसर्स मीटिंग में दो बार उन्होंने ऑल इंडिया सर्विसेज की लंबित अभियोजन स्वीकृति के मामले निस्तारित करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए 30 मई की डेडलाइन भी दी गई थी लेकिन इसके बाद कोई एक्शन नहीं लिया।

रिटायर्ड अफसरों की धड़ाधड़ नियुक्ति

इधर बड़े मामलों में सरकार की मंजूरी नहीं मिलने से ACB की जांच ठंडी पड़ती जा रही है उधर भजनलाल सरकार एक के बाद एक रिटायर्ड अफसरों को धड़ाधड़ नियुक्ति देती जा रही है। सरकार को आए अभी आधा साल ही गुजरा है और 4 IAS और IPS को सरकार में नियुक्तियां दी जा चुकी हैं। इनमें पूर्व आईपीएस अशोक गुप्ता को मानवाधिकार आयोग का सदस्य बनाया गया है, इसके साथ ही पूर्व डीजी पुलिस एमएल लाठर को मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्व IAS महेंद्र पारख, सुरेश गुप्ता व विधि विभाग के पूर्व अफसर टीकाराम शर्मा को सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति दी जा चुकी है।

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