Published On: Mon, May 13th, 2024

The world’s biggest solar storm came after 20 years | 20 सालों बाद आया दुनिया का सबसे बड़ा सौर तूफान: लद्दाख से फ्लोरिडा तक कई शहरों में ऑरोरा लाइट्स से रंग-बिरंगा हुआ आसमान


21 मिनट पहले

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सौर तूफान के कारण कई सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचा है। - Dainik Bhaskar

सौर तूफान के कारण कई सैटेलाइट्स को नुकसान पहुंचा है।

दुनिया का सबसे शक्तिशाली सौर तूफान 20 सालों बाद शुक्रवार 10 मई को धरती से टकराया। तूफान के कारण तस्मानिया से लेकर ब्रिटेन तक आसमान में तेज बिजली कड़की। वहीं कई सैटेलाइट्स और पावर ग्रिडस को भी नुकसान पहुंचा। सोलर तूफान के कारण दुनिया की कई जगहों पर ध्रुवीय ज्योति (ऑरोरा) की घटनाएं देखने को भी मिलीं। इस दौरान सौर तुफान की वजह से आसमान अलग-अलग रंगों को दिखाई दिया।

अमेरिकी वैज्ञानिक संस्था ‘नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (NOAA) के मुताबिक इस सौर तूफान का असर सप्ताह के अंत तक रहेगा। इसे मुख्य तौर पर दुनिया के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में देखा जा सकेगा। लेकिन अगर यह तेज होता है तो इसे और भी कई जगहों पर देखा जा सकता है। दुनिया भर में सैटेलाइट ऑपरेटर्स, एयरलाइंस और पावर ग्रिड को ऑपरेटर अलर्ट पर हैं।

लद्दाख से फ्लोरिडा तक सौर तूफान का असर तस्वीरों में देखें…

शिर्के , जर्मनी

शिर्के , जर्मनी

एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड

एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड

क्रॉस्बी, इंग्लैंड

क्रॉस्बी, इंग्लैंड

लद्दाख , भारत

लद्दाख , भारत

फ़ोर्ट लॉडरडेल, फ़्लोरिडा

फ़ोर्ट लॉडरडेल, फ़्लोरिडा

जर्मनी ब्रैंडेनबर्ग

जर्मनी ब्रैंडेनबर्ग

आसमान में दिख रही है रंग-बिरंगी रोशनी
सौर तूफान आने का कारण सूर्य से निकलने वाला कोरोनल मास इजेक्शन है। दरअसल कोरोनल मास इजेक्शन के दौरान सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स धरती की मैग्नेटिक फील्ड में एंट्री करते हैं। पार्टिकल्स के धरती पर एंट्री करने के बाद एक रिएक्शन होता है , जिसके कारण पार्टिकल्स चमकदार रंग- बिरंगी रोशनी के रूप में दिखते हैं। आसान शब्दों में कहे तो कोरोनल मास इजेक्शन यानि सूर्य की सतह से प्लाज्मा और मैग्नेटिक फील्ड ( चुंबकीय) का निकलना।

सौर तूफान धरती पर मैग्नेटिक फील्ड को प्रभावित करते हैं। ऐसे तूफानों के कारण पावर ग्रिड को भी नुकसान पहुंचता है। साथ ही विमानों में भी टर्बुलेंस की दिकक्त होती है। इसके चलते नासा ने भी अपने एस्ट्रोनॉट्स को तूफान के दौरान स्पेस स्टेशन के अंदर रहने की सलाह देती है।

2003 में आखिरी बार आया था सौर तूफान
यह सौर तूफान अक्टूबर 2003 के बाद आए “हैलोवीन तूफान” के बाद दूसरा बड़ा तूफान है। हैलोवीन तूफान के कारण स्वीडन में ब्लैकआउट हुआ था। तूफान के कारण दक्षिण अफ्रीका में ग्रिड ठप पड़ गए थे।अब वैज्ञानिकों ने इस सौर तूफान को लेकर भी कहा है कि आने वाले दिनों में और भी CME पार्टिकल्स की धरती में एंट्री हो सकती है।

अगर बात दुनिया के सबसे शक्तिशाली सौर तूफान की करें तो यह 1859 में धरती से टकराया था। इसका नाम कैरिंगटन इवेंट था। इस तूफान के कारण टेलीग्राफ लाइनें पूरी खराब हो गई थी। कई टेलीग्राफ लाइन्स में आग भी लग गई थी।

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