Hathras Stampede An Incident Like Hathras Had Happened In Rajasthan Too 216 People Had Died In Mehrangarh Fort – Amar Ujala Hindi News Live
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![Hathras Stampede: राजस्थान में भी हुआ था हाथरस जैसा 'अ-मंगल,' 16 साल पहले भगदड़ में 216 लोगों ने गंवाई थी जान Hathras Stampede An incident like Hathras had happened in Rajasthan too 216 people had died in Mehrangarh Fort](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2024/07/03/rajasthan_a63e2c069eb20ffba6a917182805adc7.jpeg?w=414&dpr=1.0)
216 लोगों ने गंवाई थी जान
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
हाथरस में बाबा नारायण हरि साकार उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस भगदड़ की न्यायिक जांच कराने का निर्णय लिया है। हादसे के बाद बुधवार को हाथरस पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ ने मीडिया को इसकी जानकारी दी।
सीएम योगी ने घटना में साजिश की तरफ इशारा करते हुए कहा, यह हादसा था या कोई साजिश और अगर साजिश थी तो इसमें किसका हाथ है। इन सभी पहलुओं को जानने के लिए हम न्यायिक जांच भी कराएंगे, जो उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में की जाएगी। हाथरस के हादसे ने राजस्थान के जोधपुर स्थित मेहरानगढ़ किले में हुए हादसे की याद दिला दी। बता दें कि साल 2008 में जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में नवरात्रि के पहले दिन चांमुडा माता के दर्शन के लिए भारी भीड़ जुटी थी। इसी दौरान वहां भी भगदड़ मची और उस भगदड़ में 216 बेकसूर लोग बेमौत मारे गए।
16 साल बाद भी नहीं आई जांच रिपोर्ट
जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में हुए हादसे के अब 16 साल बीत चुके हैं। हाथरस वाले हादसे की तरह ही मेहरानगढ़ दुखांतिका की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन हुआ था। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 216 लोगों की मौत मामले में हुई जांच की रिपोर्ट आज 16 साल बाद भी सार्वजनिक नहीं हो सकी है।
मेहरानगढ़ हादसे की जांच रिपोर्ट सामने नहीं आने से अब यह सवाल उठता है कि हाथरस भगदड़ पर गठित होने वाली कमेटी की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होगी या नहीं। मालूम हो कि हाथरस वाले मामले में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, इसमें प्रशासन और पुलिस के सेवानिवृत अधिकारियों को रखकर घटना की तह में जाएंगे, जो भी इसके लिए दोषी होगा उन सभी को सजा दी जाएगी।
‘ऐसी घटनाएं फिर न हो, इसके लिए बनेगी एसओपी’
योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा, इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जाएगी। ताकि भविष्य में होने वाले इस तरह के किसी भी बड़े आयोजन में उसे लागू किया जा सके, इन सभी चीजों को सुनिश्चित किया जाएगा।
अब बात जोधपुर के मेहरानगढ़ किले के हादसे की
जोधपुर शहर में एक सालों पुराना किला है मेहरानगढ़ किला। जोधपुर रेलवे स्टेशन से यह किला करीब तीन-चार किलोमीटर दूर है। इस किले में चामुंडा माता का एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। नवरात्र में यहां चामुंडा माता की पूजा के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटती है। 30 सितंबर 2008 को यहां नवरात्र के पहले दिन पूजा करने के लिए मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा थी। इसी दौरान अचानक भगदड़ मच गई और इस भगदड़ में 216 लोगों की मौत हो गई। मेहरानगढ़ किले में हुए इस दु:खद घटना को दुखांतिका कहते हैं। यह हादसा मेहरानगढ़ दुर्ग में हुई थी, इसलिए इस घटना को मेहरानगढ़ दुखांतिका कहा जाता है।
रिपोर्ट ठंडे बस्ते में
साल 2008 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे। 30 सितंबर को हुई इस दुर्घटना के बाद दो अक्तूबर को सरकार ने जस्टिस जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में एक न्यायिक जांच आयोग का गठन किया। जांच आयोग ने करीब ढाई साल बाद अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी। लेकिन जब रिपोर्ट सौंपी गई कि तब राज्य में बीजेपी की सरकार थी। कहा जाता है कि सरकार ने उस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया और इस घटना के पीड़ितों के परिवारजन न्याय पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
अगली सुनवाई 29 जुलाई को
इसी साल मई में राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ में जोधपुर के मेहरानगढ दुखांतिका को लेकर चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट एवं दो कैबिनेट उप समितियों की रिपोर्ट को पेश किया गया था। इस दौरान महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा, अब इस मामले को 16 साल हो चुके हैं। इसीलिए सामाजिक सद्भाव और शांति-व्यवस्था को देखते हुए इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पूरी रिपोर्ट को राज्य सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए। अब मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को है।