8 दिनों में 4 पुलों के गिरने के बाद जागी बिहार सरकार, ब्रिज हादसों की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन
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बिहार में बीते 8 दिनों में 4 पुलों के ढहने की घटनाओं के बाद अब बिहार सरकार ने जांच के लिए मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। जो तीन दिनों में इस मामले की रिपोर्ट देगी। उच्च स्तरीय समिति पुल ढहने के कारणों का पता लगाएगी और आवश्यक कदम उठाने के उपाय भी सुझाएगी। समिति विभाग के निर्माणाधीन और बनाए जा चुके पुलों के इस तरह गिरने की घटनाओं की जांच करेगी।
दरअसल दो हफ्तों में पुल ढहने की 6 घटनाएं हो चुकी हैं। ताजा घटना रविवार को किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड के खौसी डांगी गांव की जहां वर्ष 2009-10 में बूंद नदी पर बनाया गया छोटा पुल ढह गया था। इससे पहले अररिया, पश्चिम चंपारण और सीवान जिले में भी पुल गिर चुके हैं। वहीं बीते 18 जुलाई को पड़ोसी जिले अररिया में एक पुल उद्घाटन से पहले ही ध्वस्त हो गया था। इससे उसके निर्माण कार्य पर जमकर सवाल उठे।
23 जून को पश्चिम चंपारण जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाए जा रहे एक निर्माणधीन पुल का हिस्सा गिर गया था। 22 जून को सीवान के महाराजगंज में भी ऐसा ही हादसा हुआ और एक छोटा पुलिस गंडक नहर में समा गया। अररिया पुल हादसे में लापरवाही बरतने के आरोप में नीतीश सरकार ने चार अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया था।
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वहीं इस मामले पर आरडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चौधरी ने मंगलवार को बताया कि चीफ इंजीनियर की अध्यक्षता वाली कमेटी इन पुलों के ढहने के पीछे के कारणों का विश्लेषण करेगी और आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई की सिफारिश करेगी। जीतन मांझी ने बिहार में पुलों के गिरने की लगातार घटनाओं पर कहा था कि राज्य में अचानक इतने सारे पुल क्यों ढह रहे हैं? लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा क्यों हो रहा है? मुझे इसके पीछे साजिश का संदेह है, संबंधित अधिकारियों को इस पर गौर करना। फिलहाल अब पुल हादसों की जांच उच्च स्तरीय समिति को सौंप दी गई है।