इमरान जेल में बंद होकर भी सियासत के केंद्र में: सेना और शरीफ सरकार की साजिशों के बाद भी इमरान की लोकप्रियता कम नहीं,
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इस्लामाबाद से भास्कर संवाददाता रजा हमदानी25 मिनट पहले
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की 9 मई 2023 को हुई गिरफ्तारी से भड़के PTI कार्यकर्ताओं के सैन्य छावनियों पर हमले को एक साल पूरा हो गया है। प्रदर्शनकारी रावलपिंडी में सेना मुख्यालय में घुस गए और लाहौर में कोर कमांडर हाउस में तोड़फोड़ की थी।
पाकिस्तान में पहली बार सैन्य ठिकानों पर आम जनता के हमले ने सियासत को बदल दिया। इस हमले के एक साल बाद भी जेल में बंद इमरान देश की सियासत के केंद्र बिंदु बने हुए हैं। सेना और शरीफ सरकार तब भी नाकाम रही और अब भी विफल ही है।
वरिष्ठ पत्रकार आमिर खान का कहना है कि सेना ने पहले इमरान को भ्रष्ट साबित करने की कोशिश की। फिर गैर-शरिया निकाह का केस दर्ज करवाकर धार्मिक कार्ड खेला, लेकिन दोनों बार नाकामी हाथ लगी।
विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार मुहम्मद इलियास का कहना है कि इमरान की लोकप्रियता को कम करने के लिए सेना ने छावनियों पर हमले को मुद्दा बनाया और PTI पर कड़ी कार्रवाई की। सेना को लगा था कि इमरान की लोकप्रियता कम हो जाएगी। लेकिन, 8 फरवरी को आम चुनाव के रिजल्ट से साफ हो गया कि इमरान की लोकप्रियता जस की तस है।
![पाकिस्तान में पिछले साल 9 मई को हुई हिंसा में दंगाइयों ने पुलिस की गाड़ियों में भी आग लगा दी थी।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/05/09/1200x800_1715229236.jpg)
पाकिस्तान में पिछले साल 9 मई को हुई हिंसा में दंगाइयों ने पुलिस की गाड़ियों में भी आग लगा दी थी।
शहबाज सरकार: देश में और बाहर मुसीबत बनी खान की गिरफ्तारी
इमरान ने जेल से ही अपनी सजा को इंटरनेशनल मीडिया में मुद्दा बना रखा है। द इकोनॉमिस्ट और डेली टेलीग्राफ में उन्होंने लिखा कि सैन्य नेतृत्व के लिए उनकी ‘हत्या’ करना ही बचा है। वरिष्ठ पत्रकार इम्तियाज का कहना है कि इमरान खान और पाक आर्मी के बीच गतिरोध लंबे समय तक जारी नहीं रह सकता। पिछले दरवाजे से बातचीत चल रही है।
अमेरिका ने इमरान समेत पाक के सभी कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। पाकिस्तान के दो सबसे बड़े सहयोगी देश चीन और सऊदी अरब ने शहबाज सरकार को पहले आंतरिक मामलों को सुलझाने के लिए कहा है। PTI ने 9 मई को देश भर में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की। वे न्यायिक आयोग बनाने की मांग कर रहे हैं।
सेना: कोर्ट का मामला बता पल्ला झाड़ रही
पाक सेना फंस गई है क्योंकि वह इमरान से 9 मई के हमलों के लिए माफी मांगने के लिए कह रही है। लेकिन इमरान जिद पर अड़े हैं और साफ मना कर रहे हैं। वहीं, सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि आर्मी का इमरान की सजा, जेल और कारावास से कोई लेना-देना नहीं है।
इमरान को सजा कोर्ट ने सुनाई है और कोर्ट ने ही उन्हें जेल में डाला। पाक सेना देश के संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक चल रही है। जिन पर सैन्य कोर्ट में केस चलाया जा रहा है, वह भी संविधान के अनुरूप है।
![इमरान का आरोप है कि पाकिस्तानी फौज के चीफ जनरल आसिफ मुनीर के कहने पर ही शहबाज शरीफ को PM की कुर्सी मिली है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/05/09/giuwk-ix0aay5ih_1715229306.jpeg)
इमरान का आरोप है कि पाकिस्तानी फौज के चीफ जनरल आसिफ मुनीर के कहने पर ही शहबाज शरीफ को PM की कुर्सी मिली है।
कोर्ट: सबूत नहीं होने से इमरान को राहत
- 1 मई: इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने कहा- FIA के पास कोई सबूत नहीं है कि गुप्त दस्तावेज (साइफर) इमरान के पास थे, उनके पास से गायब हुए।
- 4 मई: एक कोर्ट ने 9 मई के दंगा केस में PTI के 14 नेताओं को राहत देते हुए अग्रिम जमानत दी।
- 6 मई: पाक सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला रद्द किया, जिसमें PTI की सहयोगी सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल को रिजर्व सीट देने पर रोक लगा दी थी।
- 7 मई: बुशरा बीबी को अदियाला जेल में ट्रांसफर करने का आदेश। इमरान खान भी यहीं कैद हैं।