Published On: Sun, Jun 30th, 2024

Bihar Police: अजब मोतिहारी पुलिस का गजब का खेल! हत्यारोपी को गिरफ्तार कर पहले हाजत में बंद किया, फिर छोड़ दिया


Bihar Police: Motihari police arrested murder accused and first put him in custody, then released him

चकिया डीएसपी की ओर से भी कोई जवाब नहीं दिया गया है
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


मोतिहारी में पुलिस की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां चकिया अनुमंडल के कल्याणपुर थाना क्षेत्र में बाकायदा हत्या के आरोपी को पकड़कर थाने के हाजत में बंद कर दिया गया। फिर देर रात उसे छोड़ भी दिया गया। इससे पहले एक पत्रकार के घर पर चकिया पुलिस की मौजूदगी में तोड़फोड़ का मामला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ था।

जानकारी के मुताबिक, ताजा मामला कल्याणपुर थाना के बहुरूपिया गांव का है। जहां 19 जून को वशिष्ठ सिंह की मौत हो गई थी। तब वशिष्ठ सिंह की मौत को लेकर उनकी छोटी बहू रीता देवी ने हत्या का आरोप लगाते हुए चार लोगों पर कल्याणपुर थाने में कांड संख्या 179/24 दर्ज करवाया था। एफआईआर में रीता ने जमीन विवाद को लेकर लाठी-रॉड से पीटकर और गला दबाकर अपने ससुर की हत्या किए जाने के मामले में अर्चना देवी, विवेक कुमार, अरुण सिंह और संजय सिंह को नामजद आरोपी बनाया। उसके बाद कल्याणपुर थाना पुलिस ने आनन-फानन में हत्या के एक आरोपी संजय सिंह को घटना के ही दिन गिरफ्तार कर थाने की हाजत में बंद कर दिया। फिर उसी दिन की रात में नाटकीय ढंग से छोड़ भी दिया।

इधर, हत्या के आरोपी को थाने की हाजत से मुक्त कर देने के बाद पुलिस की कार्रवाई को लेकर लोग जितने मुंह उतनी बातें कर रहे हैं। कानून के जानकारों के बीच भी हाजत से हत्या के आरोपी को छोड़ना चर्चा का विषय बना हुआ है।

कानून के जानकार सिविल कोर्ट के वरीय अधिवक्ता अजीत सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संजीव बनाम सीबीआई के मामले में सुप्रीम कोर्ट का एक ताजा आदेश आया है कि जब तक ठोस सबूत नहीं हों तब तक किसी भी आरोपी को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती है। कानून में यह भी प्रवधान है कि सात वर्ष से कम सजा वाली एफआईआर में आरोपी को गिरफ्तार कर संबंधित थाना 41A सीआरपीसी के अधीन बांड बनवाकर छोड़ सकती है। लेकिन हत्या के आरोपी को छोड़ना बिल्कुल ही गैरकानूनी बात है। इसमें पुलिस की लापरवाही साफ झलकती है। पुलिस को सात वर्ष से ज्यादा की सजा वाले मामले में थाने से आरोपी को छोड़ने का अधिकार बिल्कुल ही  नहीं है।

वहीं, पुलिस के एक दारोगा ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब ऊपर से आदेश आएगा तो हम क्या करेंगे? अब सवाल उठता है कि   हत्या के आरोपी संजय सिंह को हाजत से किनके आदेश पर छोड़ा गया? क्या कोर्ट का आदेश था? स्टेशन डायरी में छोड़ने का क्या जिक्र हुआ  है? क्या गिरफ्तारी के दिन ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई और एसडीपीओ के सुपरविजन रिपोर्ट में आरोपी संजय सिंह निर्दोष साबित हो गए? क्या कानून में ऐसा प्रावधान है कि पुलिस हत्या के नामजद को हाजत में बंद कर छोड़ सकती है? हमारे इन तमाम सवालों का जवाब पुलिस की तरफ से नहीं मिल सका है।

संभव है पुलिस के आलाधिकारी हमारे सवालों को रद्दी की टोकरी में डाल दें। पर अगर थाना स्तर की मिलीभगत और लापरवाहियों को  आलाधिकारी इसी तरह नजरअंदाज करते रहेंगे तो आम लोग न्याय के लिए किस दरवाजे को खटखटाएंगे। अमर उजाला की टीम ने इस मामले में चकिया डीएसपी से उनका पक्ष जानना चाहा तो उनका सरकारी मोबाइल बंद पाया गया।

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