Himachal Apples Hit By Drought First Consignment Reaches Market Size Small – Amar Ujala Hindi News Live
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नारकंडा की एमएफए एकांतबाड़ी फल मंडी में पहुंची सेब की पहली फसल
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
विस्तार
शिमला जिले में सूखे की मार सेब सीजन पर भी पड़नी शुरू हो गई है। गुरुवार को नारकंडा की एमएफए एकांतबाड़ी फल मंडी में पहुंची सेब की पहली फसल का आकार छोटा है। इसके चलते प्रति पेटी 800 रुपये दाम मिले। ऊपरी शिमला के मतियाना क्षेत्र से बागवान टीनू चंदेल सेब सीजन की पहली खेप रेड जून के आठ बॉक्स लेकर मंडी पहुंचे। आकर और रंग सही न होने पर दाम कम मिले। इसे शाडू सेब और समर क्वीन के नाम से भी जाना जाता है।
बागवान ने बताया कि सेब की यह किस्म हर वर्ष जल्दी तैयार हो जाती है, लेकिन इस वर्ष मौसम की बेरुखी के चलते इसे तैयार होने में थोड़ा ज्यादा समय लग गया। वहीं इसका आकार और रंग भी सही से नहीं बन पाया है। अप्रैल और मई में सामान्य से भी कम बारिश होने के कारण सेब के पौधे सूख गए हैं। पौधों की पत्तियों का रंग भी पीला पड़ना शुरू हो गया है। ऐसे में बागवानों की परेशानियां बढ़ गई हैं।
आने वाले दिनों में अच्छी बारिश न हुई तो बागवानों को परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। बागवानों का मानना है कि इस वर्ष सेब सीजन पर सूखे की मार पड़ने से फसल 50 फीसदी से अधिक प्रभावित हुई है। कम बारिश होने से चिलिंग ऑवर्स पर असर हुआ है। यही सूखे की स्थिति जनवरी में भी देखने को मिली थी। फरवरी में हिमपात और बारिश ने जनवरी के सूखे की कमी को कुछ कम किया। इससे सेब में फूल आए, लेकिन कई जगह पत्तियां बहुत अधिक और फल कम लगे थे। इसके बाद अब दोबारा अप्रैल और मई में सामान्य से कम बारिश ने सूखे के जैसे हालात हो गए। इसका सभी फसलों पर विपरित असर पड़ रहा है।
एमएफए एकांतबाड़ी के आढ़ती बंटू ने बताया कि मंडी में सेब की फसल पहुंचने से हर कोई हैरान है। गुणवत्ता के अनुसार सेब की स्थिति ठीक नहीं है, न आकार सही है और न ही रंग। इसके चलते सेब बहुत कम दामों में बिक रहा है। यदि आने वाले समय में भी इसी तरह की फसल मंडी में पहुंची तो बागवानों को दाम ज्यादा नहीं मिलेंगे। यदि बारिश हो जाती है तो इस सीजन में फसल की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।