Published On: Tue, Nov 24th, 2020

घर में Waste पड़ी पानी की बोतल से भी होगी कमाई, शुरुआत से ही होगा बंपर मुनाफा…!

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नई दिल्ली: अगर आपके घर में भी ग्लूकोस की बोतल खाली पड़ी हुई हैं तो अब आप इसके जरिए भी कमाई कर सकते हैं. आप कुछ ही समय में लाखों की कमाई कर सकते हैं. बता दें भारत में खेती और किसानी सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, लेकिन कई जगहों पर कम बारिश की वजह से किसानों को उनकी मेहनत का फल नहीं मिल पाता है. तो आज हम आपको एक ऐसी तकनीक के बारे में बताएंगे, जिसके जरिए आप खेती नई टेक्नोलॉजी से खेती करके अच्छी कमाई कर सकते हैं-

आपको बता दें मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले झाबुआ के एक किसान ने वेस्ट पड़ी ग्लूकोस की बोतल से ड्रिप सिस्टम वाली खेती करके बंपर कमाई की है. बता दें पहाड़ी आदिवासी क्षेत्र में खेती करना मुश्किल होता था, जिसकी वजह से इन्होंने यह नई तकनीक निकाली.

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कुछ ही दिनों में बना ली नर्सरी
उन्होंने वर्ष 2009-2010 में NAIP (राष्ट्रीय कृषि नवाचार परियोजना) KVK वैज्ञानिकों से संपर्क किया और उनके गाइडेंस में, सर्दी और बरसात के मौसम में जमीन के एक छोटे से पैच में सब्ज़ी की खेती शुरू की. ये खेती इस तरह की भूमि के लिए बिल्कुल उचित थी. यहां उन्होंने करेला, स्पंज लौकी उगाना शुरू किया. जल्द ही उन्होंने एक छोटी नर्सरी भी बना ली.

NAIP ने दिया सुझाव
वहां पर हुई पानी की कमी की वजह से उनकी फसल खराब हो सकती है उन्होंने NAIP की मदद फिर से मांगी. जहां विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि वे वेस्ट ग्लूकोज की पानी की बोतलों की मदद से एक सिंचाई तकनीक अपनाएं. उन्होंने 20 रुपये प्रति किलोग्राम की ग्लूकोज प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल किया और पानी के लिए एक इनलेट बनाने के लिए ऊपरी आधे हिस्से को काट दिया.इसके बाद, उन्होंने इन पौधों के पास लटका दिया.

एक सीजन में कमाया इतना मुनाफा
आपको बता दें उन्होंने इन बोतलों की मदद से बूंद-बूंद का एक समान रफ्तार में प्रवाह बनाया. इसके बाद अपने बच्चों को सभी बोतलों को सुबह स्कूल जाने से पहले फिर से भरने को कहा, बस इतनी से तकनीक से वो सीज़न समाप्त होने के बाद वह 0.1-हेक्टेयर भूमि से 15,200 रुपये का फायदा कमाया.

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गांव के दूसरे किसानों ने भी अपनाई ये तकनीक
बता दें इस तकनीक से उन्होंने पानी बचाने के साथ-साथ पौधों को सुखाने से भी बचाया. इसके अलावा वेस्ट ग्लूकोज की बोतल प्लास्टिक का उपयोग करने के लिए डाल दिया वरना इन बोतलों को हमेशा कचरे के डिब्बे में ही फेंका जाता है. बता दें इसे जल्द ही गांव के अन्य किसानों ने भी अपनाया. रमेश बारिया को ज़िला प्रशासन और मध्य प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री की सराहना के प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया.



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