50 डिग्री में भी AC की जरूरत नहीं, अंडे जैसी दिखने वाली ये स्कूल है रेगिस्तान की शान, डिजाइन की हो रही चर्चा

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राजस्थान के तपते रेगिस्तान जैसलमेर में एक स्कूल ऐसा है जिसकी वास्तुकला की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल के किसी भी कमरे में एसी या कूलर नहीं लगा हुआ है. इसके बावजूद 50 डिग्र…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल बिना AC के भी ठंडा रहता है.
- स्कूल की बिल्डिंग वास्तु कला का बेजोड़ उदाहरण है.
- स्कूल में 400 से ज्यादा लड़कियां पढ़ सकती हैं.
जैसलमेर. राजस्थान के जैसलमेर की भीषण गर्मी में जहां कूलर भी जवाब दे देते हैं, वहीं रेत के बीच बना एक स्कूल बिना एसी के भी ठंडा रहता है. जैसलमेर का राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल किसी महल से कम नहीं है. डिजाइन इसकी सबसे बड़ी खासियत है. इस वजह से यहां 50 डिग्री सेल्सियस में भी गर्मी का कोई असर नहीं होता है. यहां न तो एसी है और न ही कूलर, फिर भी इस स्कूल का हर कमरा आरामदायक है, जानिए कैसे…
तपते रेगिस्तान में बनी यह बिल्डिंग वास्तु कला की बेजोड़ बेमिसाल है. गर्मी से बचने के लिए जालीदार दीवारें और हवादार छत बेहद गर्म मौसम में भी सुकून देती है. इसे पीले बलुआ पत्थर से अंडाकार डिजाइन में बनाया गया है. ये पूरा स्कूल सोलर और पूरा स्कूल सोलर एनर्जी से संचालित हो रहा है.
स्कूल ड्रेस की वजह से भी है खास
राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों के लिए उनकी यूनिफॉर्म को फैशन डिजाइनर सब्यासाची मुखर्जी ने डिजाइन किया है. सब्यासाची ने यूनिफॉर्म को अजरक के जरिए डिजाइन किया है. ये डिजाइन राजस्थान और गुजरात में खासा प्रसिद्ध है. स्कूल की ड्रेस में अजरक प्रिंट वाला घुटनों तक का नीला कुर्ता और मरून कलर की पेंट शामिल है.
दूर-दूर तक रेत ही रेत और भयंकर गर्मी के बावजूद, यहां बच्चे हंसते-खेलते पढ़ाई करने आते है. इस स्कूल की खास बिल्डिंग को न्यूयॉर्क की आर्किटेक्ट डायना केलौग ने डिजाइन किया है. इसमें 400 से ज्यादा लड़कियां पढ़ सकती हैं. रेगिस्तान के बीचों बीच बसा ये स्कूल 22 बीघा जमीन में फैला हुआ है जिसे सूर्यगढ़ पैलेस होटल के मालिक मानवेंद्र सिंह शेखावत ने दिया है. इस स्कूल को तैयार करने के लिए जैसलमेर के शाही परिवार के चैतन्य राज सिंह और राजेश्वरी राज्य लक्ष्मी ने भी सहयोग दिया है.
गर्ल्स को मिलती है स्पेशल फैसिलिटी
ये स्कूल को गर्ल्स एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है. यहां लड़कियों की पढ़ाई के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है. इसके अलावा बच्चों को यह खाना भी दिया जाता है. अंग्रेजी और कंप्यूटर शिक्षा पर भी अधिक ध्यान दिया जाता है. राजस्थान में महिलाओं की साक्षरता दर महज 52% है. ऐसे में जैसलमेर के कनोई गांव का यह स्कूल साक्षरता दर को बढ़ाने का बेहतरीन प्रयास है.
एक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से News18Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे…और पढ़ें
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