Published On: Wed, Jun 18th, 2025

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सरहदी बाड़मेर जिले के मोतियोंनियो का तला,सांजटा निवासी भरत कुमार के पिता केशाराम बालोतरा कपड़ा फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. उन्होंने नीट एग्जाम को क्रैक कर पूरे जिले में नाम रोशन किया है, आइए उनकी सफलता की कहानी…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • भरत कुमार ने NEET में 575 अंक हासिल किए.
  • भरत ने OBC कैटेगरी में 1706वीं रैंक पाई.
  • पिता की अफीम की लत के बावजूद भरत ने हिम्मत नहीं हारी.

बाड़मेर:- बालोतरा की कपड़ा फैक्ट्री से निकले भरत की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. पिता फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं, लेकिन उनकी कमाई अफीम में उड़ जाती है. घर में तंगी हालातों के बावजूद भरत ने किताबों से दोस्ती की और NEET में चयनित होकर सफलता के झंडे गाड़ दिए.

सरहदी बाड़मेर जिले के मोतियोंनियो का तला,सांजटा निवासी भरत कुमार के पिता केशाराम बालोतरा कपड़ा फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. मजदूरी की कमाई भी अफीम की लत में झोंक दी जाती है. ऐसे मुश्किल हालात में पले-बढ़े भरत ने न हार मानी और न ही हालातों से समझौता किया. आज नतीजा ये है कि भरत ने NEET पास कर दिखा दिया है कि अगर हौसले बुलंद हो, तो गरीबी और बेबसी भी राह नहीं रोक सकती है.

OBC कैटेगरी में 1706वीं रैंक के साथ मिली सफलता
भरत कुमार ने नीट 2025 में 720 में से 575 अंक हासिल किए हैं. तीसरे प्रयास में भरत ने ऑल इंडिया 4466वीं और ओबीसी कैटेगरी में 1706वी रैंक हासिल की है. भरत लोकल 18 को बताते हैं कि उनकी घर की हालत ठीक नहीं थी, तो दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करने चला गया था.

50 विलेजर्स में रहकर की निःशुल्क पढ़ाई
इसके बाद भरत कुमार को 50 विलेजर्स के बारे में जानकारी मिली, तो प्रवेश के लिए परीक्षा दी, तो पारिवारिक हालातों व हुनर के जरिए 50 विलेजर्स में भरत का चयन हो गया. इसके बाद यहां रहकर भरत ने अपनी तैयारी की और तीसरे प्रयास में नीट क्लियर किया है.

आर्थिक तंगी के कारण मिले तानों को बनाया हथियार
भरत शुरुआत से मेधावी छात्र रहा है. लेकिन पारिवारिक हालातों के कारण न तो कोचिंग ले पाया और न ही किताबें खरीदी. भरत ने 10वीं और 12वीं में 94 फीसदी अंक हासिल किए हैं. भरत का सपना था कि वह डॉक्टर बनकर गांव के लोंगो की सेवा करें. अब भरत ने नीट में ऑल इंडिया 4466वीं रैंक हासिल की है. भरत बताते हैं कि पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण किसी ने भी आर्थिक मदद नहीं की, बल्कि उन्हें खूब ताने दिए. उन्होंने कहा कि उसी तानों का जवाब नीट में चयनित होकर उन्होंने दिया है.

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