Published On: Thu, Jun 5th, 2025

JEE Toppers का U-Turn, क्यों छोड़ रहे हैं IITs और पकड़ रहे हैं नया रास्ता?


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IIT Toppers Leaving for MIT: अक्सर देखा गया है कि हर साल कोई न कोई जेईई टॉपर IIT छोड़कर MIT की ओर रुख कर रहे हैं. इस साल भी 8वीं रैंक लाने वाले ने आईआईटी छोड़कर एमआईऊ में एडमिशन लेने का फैसला किया है.

JEE Toppers का U-Turn, क्यों छोड़ रहे हैं IITs और पकड़ रहे हैं नया रास्ता?

JEE टॉपर्स IIT छोड़कर इस संस्थान को क्यों चुन रहे हैं?

हाइलाइट्स

  • जेईई टॉपर्स MIT में दाखिला ले रहे हैं.
  • 8वीं रैंक लाने वाले ने IIT छोड़कर MIT चुना.
  • इस कारण से छात्र विदेश जा रहे हैं.

IIT Toppers Leaving for MIT: हर साल देखा गया है कि जेईई टॉपर्स IIT छोड़कर MIT जैसे संस्थान की ओर रुख करते हैं. इस साल भी जेईई एडवांस्ड में ऑल इंडिया रैंक 8 हासिल करने वाले देवेश भैया ने भारत के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों को छोड़कर एमआईटी में दाखिला लेने का फैसला किया है. यह केवल देवेश ही नहीं हैं, जो ऐसा कर रहे हैं. पिछले साल रैंक 1 पर आने वाले वेद लाहोटी भी एमआईटी में पूरी तरह से फाइनेंशियल सपोर्ट के साथ पढ़ाई कर रहे हैं.

MIT में जाने का बढ़ता चलन

यह कोई नई बात नहीं है. वर्ष 2020 में चिराग फालोर ने भी IIT छोड़कर एमआईटी चुना था. उससे पहले चित्रांग मुर्डिया ने IIT बॉम्बे में एक साल पढ़ाई के बाद एमआईटी में ट्रांसफर किया और अब वे बर्कले से पीएचडी कर रहे हैं. इस ट्रेंड को लेकर विशेषज्ञ प्रोफेसर विजय सिंह कहते हैं कि एमआईटी जेईई एडवांस्ड जैसी कठिन परीक्षा और ओलंपियाड मेडलिस्ट्स की प्रतिभा पर भरोसा करता है.

देवेश भैया का बेहतरीन रिकॉर्ड

जलगांव के देवेश के नाम तीन अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड स्वर्ण पदक हैं. इनमें दो जूनियर साइंस ओलंपियाड में और एक केमेस्ट्री ओलंपियाड शामिल है. वर्ष 2020 में उन्हें बाल शक्ति पुरस्कार भी मिला था. मात्र 12 साल की उम्र में जब अन्य बच्चे आकाश में तारे गिन रहे थे, तब देवेश लाइट पॉल्यूशन के बारे में सोच रहे थे. उन्होंने मार्च में एमआईटी में प्रवेश लिया, फिर भी जेईई एडवांस के लिए बैठे, जिसे वे “बैक-अप” कहते हैं.

भारतीय संस्थानों को छोड़कर विदेशी संस्थान को क्यों चुन रहे हैं छात्र

टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार कई टॉपर्स ने विदेश के विश्वविद्यालयों को चुना क्योंकि IIT जैसे संस्थान वैश्विक स्तर पर रिसर्च में पिछड़े हुए हैं. वेद लाहोटी कहते हैं कि IIT बॉम्बे ने उन्हें संतुष्ट किया, लेकिन वैश्विक रैंकिंग में IIT टॉप 100 में भी नहीं है. इसलिए उन्होंने एमआईटी में दाखिला लिया और अब इसे बेहतर विकल्प मानते हैं.

अनुभव साझा करते छात्र

निशंक अभंगी और महित गढ़ेवाला जैसे छात्र जिन्होंने IIT बॉम्बे में एक साल पढ़ाई के बाद एमआईटी चले गए. प्रोफेसर सिंह के अनुसार सबसे पहले रघु महाजन ने IIT दिल्ली में एक साल पढ़ाई के बाद एमआईटी का रुख किया और बाद में स्टैनफोर्ड से पीएचडी की. अब वे भारत के इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल साइंसेज में काम कर रहे हैं.

वापस भारत लौटने की इच्छा

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Munna Kumar

पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin…और पढ़ें

पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin… और पढ़ें

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