सुरजापुरी आम: स्वाद, खुशबू और मिठास का खजाना: अब विलुप्ति के कगार पर है, मक्खन जैसे गूदे के लिए मशहूर है ये आम – Kishanganj (Bihar) News

किशनगंज में एक अनोखा तरीके का आम होता है, जिसका नाम सुरजापुरी आम है। माना जाता है कि ये आम दुनिया के सबसे स्वादिष्ट, रसीले और पचने वाले आम में शामिल है। बिहार के सीमावर्ती जिलों और बंगाल के सटे इलाकों में पैदा होने वाला यह आम न केवल अपने स्वाद और खुश
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क्रीम जैसा गूदा, मिट्टी जैसे कुल्हड़ की महक
इस आम का गूदा इतना मुलायम होता है कि इसे आप मक्खन की तरह रोटी या ब्रेड पर भी लगा सकते हैं। रेशा रहित और पाचन होने के कारण बच्चे भी एक बार में 5 से 7 आम खा लेते हैं, फिर भी पेट पर असर नहीं होता। खास बात यह है कि यह आम कभी सड़ता नहीं, बल्कि धीरे-धीरे प्राकृतिक रूप से सूखता है।

विलुप्त के कगार पर सुरजापुरी आम।
कहां होता है उत्पादन?
इस आम की पैदावार बिहार के किशनगंज, पूर्णिया और पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के कुछ हिस्सों में होती है। चोपड़ा, ग्वालपोखर, शाहपुर, मलिकपुर, दलखोला, कोचाधामन, बहादुरगंज, दिघलबैंक, ठाकुरगंज और पोठिया से लेकर नेपाल और बांग्लादेश सीमा तक फैले इलाकों में सुरजापुरी आम के बागान मिलते हैं।यह वही क्षेत्र है जिसे पहले ‘परगना सुरजापुरी’ कहा जाता था। आज भी कई पुराने दस्तावेजों में इसका उल्लेख मिलता है।
अनदेखी से लुप्त होती परंपरा
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते सरकारी संरक्षण और प्रचार नहीं मिला तो यह आम भी उसी तरह लुप्त हो जाएगा, जैसे कभी इसी क्षेत्र में मिलने वाला ‘हिलसा पेटी’ आम हुआ करता था। बांग्लादेश की हिलसा मछली जैसी खुशबू और स्वाद वाला हिलसा पेटी आम अब इतिहास बन चुका है। अब सुरजापुरी आम भी उसी दिशा में बढ़ रहा है।
किसानों की चिंता– सरकार से कोई मदद नहीं
स्थानीय किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग की योजनाओं में इस आम का कोई स्थान नहीं है। न तो कलम वितरण होता है, न ही तकनीकी सहायता। पिछले 3 सालों से कीड़े लगने की समस्या बढ़ गई है, लेकिन न तो प्रशिक्षण मिला, न दवा मिल रही है। किसानों ने मांग की है कि सुरजापुरी आम को राज्य व केंद्र सरकार ‘विशेष किस्म’ का दर्जा दें और इसके संरक्षण के लिए योजनाएं बनाएं।
“सेब और अमेरिकन मैंगो भी इसके आगे फीके”
स्थानीय लोगों का कहना है कि चाहे मूंगे जैसी रंग बदलने वाली विदेशी ‘अमेरिकन ब्यूटी’ आम हो या मुजफ्फरपुर का हाईब्रिड मैंगो, सुरजापुरी आम का स्वाद, गंध और बनावट किसी से कम नहीं। अंतर बस इतना है कि उसे बाजार और पहचान मिले। सुरजापुरी आम को सरकारी अनदेखी और उदासीनता न मिले।
क्या करना होगा?
इसको महत्व दिलाने के लिए सुरजापुरी आम को GI टैग दिलाने की पहल होनी चाहिए। कृषि विभाग को फलदार पौधों के वितरण में इस प्रजाति को शामिल करना चाहिए। कीट नियंत्रण और उन्नत उत्पादन तकनीक के लिए प्रशिक्षण दिया जाए। स्थानीय जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन को संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।