Every Friday, read the story of a village or panchayat, today read about Notada Bhopat Panchayat | हर शुक्रवार एक गांव या पंचायत की कहानी, आज पढ़िए नोताड़ा भोपत पंचायत के बारे में – Bundi News

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नोताड़ा भोपत ग्राम पंचायत गुलाब की खेती के लिए जानी जाती है। पंचायत के तीतरवासा और बख्शपुरा गांवों में 70 प्रतिशत से ज्यादा किसान गुलाब उगा रहे हैं। दोनों गांवों के 200 से ज्यादा किसान इस खेती से जुड़े हैं। इनका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपए से ज्यादा है। यहां 200 से 300 बीघा जमीन पर गुलाब, हजारा किस्म के फूल लगाए जाते हैं।
जिला मुख्यालय से 23 किमी दूर इस ग्राम पंचायत में किसानों के पास जमीन कम है। इसलिए पिछले 23 साल से फूलों की खेती कर रहे हैं। एक बार पौधे लगाने के बाद 6 से 8 महीने में फूल आना शुरू हो जाते हैं। सही देखभाल से ये पौधे 20 साल तक आमदनी देते हैं। शुरुआत में एक बीघा में 20 से 30 हजार रुपए खर्च आता है। एक बीघा से रोज 30 से 40 किलो फूल मिलते हैं। सालभर में 80 हजार से 1 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है। जिनके पास ज्यादा जमीन है, वे सालाना 5 लाख रुपए तक के फूल बेचते हैं।
किसान रामप्रकाश कुशवाहा ने बताया कि पहले गेहूं, चना, सरसों और सब्जी की खेती होती थी। इनमें नुकसान ज्यादा होता था। 23 साल पहले उनके मामा प्रभुलाल कुशवाहा ने गुलाब की खेती शुरू की। इसके बाद गांव के अन्य किसान भी इससे जुड़ते गए। किसान विनोद मेहरा ने बताया कि गुलाब की खेती मेहनत का काम है। पौधों की देखभाल बच्चों की तरह करनी पड़ती है। गर्मी में दो दिन छोड़कर पानी देना होता है। सर्दी में 8 से 10 दिन के अंतराल में पानी देना पड़ता है। अच्छे फूलों के लिए सुबह 2 से 3 बजे खेत जाना पड़ता है। किसान रात में भी फूल तोड़ते हैं। जहरीले कीड़ों का डर रहता है, लेकिन बचाव के बंदोबस्त रहते हैं।
फूल तोड़ने के लिए चार लोगों की जरूरत होती है। पूरा परिवार मिलकर काम करता है। तभी मुनाफा होता है। फूल तोड़ने के बाद सुबह 6 से 8 बजे के बीच कोटा मंडी पहुंचाना होता है। तभी अच्छे दाम मिलते हैं। अभी गुलाब 20 से 30 रुपए किलो बिक रहा है। त्योहारों में यही दाम 150 से 300 रुपए किलो तक पहुंच जाते हैं। जब उत्पादन ज्यादा होता है तो दाम गिर जाते हैं। कम होने पर बढ़ जाते हैं। एक बीघा से रोज 500 से 1000 रुपए की आमदनी हो जाती है। किसान रामचन्द्र राठौर ने बताया कि जब मंडी में गुलाब की आवक ज्यादा होती है तो दाम गिर जाते हैं। तब किसान फूलों की पत्तियां तोड़कर भोपतपुरा गांव की मंडी में बेचते हैं। वहां पत्तियां 300 से 400 रुपए किलो बिकती हैं। एक किलो गुलाब में 100 ग्राम पत्तियां निकलती हैं। किसानों को सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
अगर सरकार प्रोत्साहन दे तो जिले में और किसान इस खेती से जुड़ सकते हैं। पंचायत की मुख्य सड़क कोटा फोरलेन से जुड़ी है। गांव की सड़कें पक्की हैं। इससे लोगों के जरूरी काम समय पर हो जाते हैं। गांव में सीनियर सैकंडरी स्कूल है। यहां के लोग बच्चों की पढ़ाई पर भी ध्यान दे रहे हैं। गांव में 7 मंदिर हैं। चारभुजानाथ मंदिर पर लोगों की आस्था है। अधिकतर लोग पशुपालन करते हैं। इससे अच्छी आमदनी हो जाती है। कुछ ग्रामीण खेती कर गेहूं, धान व अन्य फसलें करते हैं। जनसंख्या : 5000 साक्षरता दर : 80% कनेक्टिविटी : केवल सड़क मार्ग पहचान : गुलाब की खेती मुख्य उत्पादन : गुलाब, हजारा, गेहूं आय का प्रमुख स्रोत : खेती व पशुपालन