Published On: Wed, Jun 19th, 2024

कौन है वह शख्‍स ज‍िसने आंध्र में ल‍िखी चंद्रबाबू नायडू की जीत की स्‍क्र‍िप्‍ट, प्रशांत क‍िशोर से क्‍या है कनेक्‍शन?


हाइलाइट्स

कई नेताओं की जीत की पटकथा ल‍िखने वाले प्रशांत क‍िशार एक बार फ‍िर से चर्चा में हैं. रॉबिन शर्मा भारत में चुनाव रणनीतिकार के पोस्टर बॉय प्रशांत किशोर के शिष्य हैंटीडीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 175 में से 164 सीटें जीतकर राज्य में जीत दर्ज की

नई दिल्ली. कई नेताओं की जीत की पटकथा ल‍िखने वाले प्रशांत क‍िशार एक बार फ‍िर से चर्चा में हैं. पर इस बार वह खुद क‍ि वजह से नहीं बल्‍क‍ि वह अपने चेले के चलते इन द‍िनों चर्चा में हैं. असर में प्रशांत क‍िशोर के साथी रहे रॉबि‍न शर्मा ने आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की वापसी की पटकथा ल‍िखी है. आपको बता दें क‍ि प्रशांत क‍िशोर खुद ब‍िहार व‍िधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं और वह ऐसे में क‍ितना सफल हो पाते हैं ये तो वक्‍त बताएगा पर उनके चंद्रबाबू नायडू की वापसी में उनके श‍िष्‍य के हाथ होने के चलते वह फ‍िर सुर्ख‍ियों में हैं. आंध्र प्रदेश में लोकसभा और व‍िधानसभा के चुनाव एक साथ हुए थे. चुनाव से ठीक छह महीने पहले चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने लोगों से भावुक अपील करते हुए कहा था कि या तो वे उनकी पार्टी को सत्ता में लाएं या फिर वह राजनीति से संन्यास ले लें. कुरनूल में भावुक नायडू ने कहा था क‍ि अगर आप मुझे (और मेरी पार्टी को) विधानसभा में भेजेंगे, तभी आंध्र प्रदेश में विकास होगा. नहीं तो यह मेरा आखिरी चुनाव होगा.

तब लोगों को लगा कि 74 वर्षीय टीडीपी प्रमुख का राजनीतिक करियर खत्म होने वाला है. वे इस बात से अनभिज्ञ थे कि 2024 के चुनावों में नायडू की पार्टी का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने जा रही. आंध्र प्रदेश में हुए उल्लेखनीय बदलाव ने नायडू को 175 में से 135 सीटें जिताकर भारी बहुमत के साथ फिर से सत्ता में वापस ला दिया. 2019 के चुनावों में उनकी पार्टी सिर्फ 23 सीटों पर सिमट गई थी. राज्य में पार्टी के पुनरुत्थान के लिए वरिष्ठ राजनेता की सराहना की जा रही है, लेकिन अंदर की कहानी यह है कि कुशल चुनाव रणनीतिकार रॉबिन शर्मा ने टीडीपी के नाटकीय बदलाव की पटकथा लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

2014 में पीएम मोदी के अभ‍ियान की रणनीत‍ि का श्रेय भी रॉब‍िन शर्मा को
रॉबिन शर्मा भारत में चुनाव रणनीतिकार के पोस्टर बॉय प्रशांत किशोर के शिष्य हैं, जिन्हें 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान की रणनीति बनाने का श्रेय दिया जाता है. दिलचस्प बात यह है कि जब रॉबिन के नेतृत्व वाली शो टाइम कंसल्टेंसी (एसटीसी) ने राज्य में टीडीपी की गिरती साख को फिर से पटरी पर लाने का काम संभाला, तो उनके आलोचकों ने इसका मज़ाक उड़ाया. लेकिन, चुनाव परिणामों ने न केवल आलोचकों को चुप करा दिया, बल्कि वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी खेमे को भी बड़ा झटका दिया. जगन के खेमे की रणनीति प्रशांत किशोर के एक और शिष्य ऋषि राज सिंह ने बनाई थी.

टीडीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 175 में से 164 सीटें जीतकर राज्य में जीत दर्ज की और संभवतः किसी भी राज्य में यह अब तक की सबसे बड़ी जीत है. इसका स्ट्राइक रेट 94 प्रतिशत रहा. रॉबिन शर्मा के नेतृत्व वाली एसटीसी ने टीडीपी के लिए जनता के साथ ‘नए जुड़ाव’ विकसित करने के लिए कई अभियान चलाए. कुछ उल्लेखनीय अभियानों में इधेम खरमा मन राष्ट्रिकी, भदुदे बधुदु, प्रजा गलाम, सुपर सिक्स और नायडू के बेटे नारा लोकेश की युवा गलाम नामक पदयात्रा शामिल थी. यह रॉबिन की एसटीसी द्वारा हासिल की गई पहली जीत नहीं है, जो प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली आई-पीएसी से अलग होने के बाद बनी है.

AAP के ल‍िए भी शुरू क‍िया था अभ‍ियान
रॉबिन की टीम ने 2022 के पंजाब चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के साथ भी काम किया और एक अभिनव अभियान चलाया. इसके परिणामस्वरूप राज्य में नौसिखिए पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली, जबकि दिग्गजों को धूल चाटने के लिए मजबूर होना पड़ा. रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आप के लिए एक लोकप्रिय अभियान गीत भी गढ़ा, “इक मौका केजरीवाल नू, इक मौका भगवंत मान नू”. अनजान लोगों के लिए, रॉबिन और ऋषि ने सिटीजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (सीएजी) में एक साथ काम किया. यह वह संगठन है, जिसने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता में लाने में मदद की थी. सीएजी की स्थापना 2014 के चुनावों से पहले प्रशांत किशोर ने की थी.

चुनावों के एक साल बाद, रॉबिन और ऋषि दोनों ने प्रशांत किशोर के साथ संस्थापक सदस्यों के रूप में आई-पीएसी का गठन किया. कुछ समय बाद, उन्होंने आई-पीएसी से नाता तोड़ लिया और शोटाइम कंसल्टिंग (एसटीसी) नाम से अपनी राजनीतिक परामर्श फर्म शुरू की.

Tags: Andhra pradesh news, Chandrababu Naidu, Prashant Kishor

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