उकलाना के ग्रामीण SDM का घेराव करेंगे: बोले- ट्यूबवेल से गंदा पीने के पानी सप्लाई हो रहा, बीमार हो रहे – Uklanamandi News

उकलाना के लोगों ने पानी की समस्या को लेकर प्रदर्शन किया।
उकलाना गांव के लोग बरवाला में स्थित एसडीएम और जनस्वास्थ्य विभाग के कार्यालय का 28 मई घेराव करेंगे। बिठमड़ा और सुरेवाला गांव में सालों से चली आ रही पीने के पानी की समस्या के लिए ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे।
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इस धरने की तैयारियों को लेकर गांवों में लगातार बैठकें की जा रही हैं। रविवार को नफे सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सरपंच कुलदीप धत्तरवाल, मिया सिंह बिठमड़ा, ईश्वर सिंह, हरिकेश, कालाराम, बिराराम, शमशेर सिंह, सतीश पातड़, नरेश व सैंकड़ों ग्रामीणों ने और ग्राम पंचायत सदस्यों ने भाग लिया। आंदोलन को लेकर रणनीति तैयार की।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा ट्यूबवेल से पानी सप्लाई किया जा रहा है, जिसकी टीडीएस मात्रा 2000 तक है, जो पीने योग्य नहीं है। परिणामस्वरूप ग्रामीणों को कई किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ रहा है। दूषित जल के कारण गांव में बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है, खासतौर पर कैंसर जैसे गंभीर रोगों के मामले सामने आ रहे हैं।
लंबित पड़ा करोड़ों का प्रोजेक्ट ग्रामीणों का कहना है कि पिछली सरकार के दौरान भाखड़ा नहर से पानी लाने के लिए लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत से स्वीकृत पाइपलाइन योजना अभी तक कागजों में ही दबी हुई है। यह योजना बिठमड़ा और सुरेवाला तक शुद्ध जल पहुंचाने के लिए बनाई गई थी, लेकिन कार्यान्वयन न होने से गांववासी आज भी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं।
ग्रामीणों ने प्रशासन को 26 मई तक समस्या का समाधान करने का अंतिम अल्टीमेटम दिया है। इसी दिन सुबह 10 बजे पंचायती चबूतरे पर ग्रामीणों की बैठक होगी, जिसमें जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। यदि समाधान नहीं हुआ तो 28 मई को सुबह 8 बजे सभी ग्रामीण गांव के बस स्टैंड पर इकट्ठा होकर बरवाला में धरना देंगे।
हाईवे जाम की चेतावनी ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो वे बरवाला धरने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर हिसार-चंडीगढ़ हाईवे को सुरेवाला चौक पर जाम करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। ग्रामीणों ने हरियाणा सरकार और मुख्यमंत्री से मांग की है कि वे इस गंभीर समस्या पर तत्काल संज्ञान लें और संबंधित अधिकारियों को समाधान हेतु निर्देश जारी करें।
ग्रामीणों का कहना है कि अब पीछे हटने का समय नहीं, बल्कि निर्णायक संघर्ष का समय है।