राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ (आरएसएस) के नेता सुनील आंबेकर ने शनिवार को कहा कि महात्मा गांधई और संघ के संस्थापक केशव बलिरा हेडगेवार की आपस में तुलना करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों ने देश और समाज के लिए बेहतरीन काम किया है और दोनों ही प्रेरणास्रोत हैं।
यह बात उन्होंने नागपुर में एक किताब ‘डॉ. हेडगेवार और महात्मा गांधी-एक दर्शन’ के विमोचन कार्यक्रम में कही। आंबेकर ने कहा, गांधी और हेडगेवार दोनों ने अपना जीवन देश और समाज के लिए समर्पित किया। दोनों ने देश, जनता और हिंदू समाज की सेवा की है। इसलिए इन दोनों की तुलना करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने आगे कहा, हेडगेवार ने देश के बंटवारे का स्पष्ट विरोध किया था और गांधी ने भी कहा था कि भारत का बंटवारा उनके शव पर होगा।
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आंबेकर ने सवाल किया कि देश का बंटवारा आजादी से पहले हिंदुओं की कमजोरी की वजह से हुआ था या उस समय के नेताओं की कमजोरी की वजह से? उन्होंने कहा, सच यह है कि देश का बंटवारा हुआ और कुछ लोग सोचते हैं कि यह मुद्दा वहीं खत्म हो गया, लेकिन ऐसा नहीं है। हाल की पहलगाम घटना जैसे पाकिस्तान के हमले और पाकिस्तान व बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार दिखाता है कि यह मुद्दा आज भी जिंदा है।
उन्होंने कहा, इतिहास को जानने की जरूरत है। हम भारतीय हैं और हजारों वर्षों से इस भूमि पर हैं। हमारी पंरपरा भी हिंदू रही है। आंबेकर ने कहा, हमें अपने महापुरुषों और आरएसएस जैसे संगठनों का खुले मन से विश्लेषण करना चाहिए, क्योंकि हम एक लोकतांत्रिक देश और प्रगतिशील समाज हैं। अगर हम इतिहास को खुले दिमाग से नहीं देखेंगे, तो भविष्य के लिए बेहतर फैसले नहीं ले पाएंगे।
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उन्होंने कहा, महापुरुषों को किसी एक दल, समूह या विचारधारा तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। वे राष्ट्रपुरुष होते हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आंबेकर ने कहा कि 1937 में गांधी ने एक आरएसएस शिविर में जाकर हेडगेवार से मुलाकात की थी। साथ ही उन्होंने बताया कि 1947 में गांधी ने दिल्ली के वाल्मीकि मंदिर में एक संघ शाखा का भी दौरा किया था।