Ground Report: खुले किनारे, टूटी बाउंड्री, हर साल बढ़ती मौतें… आत्महत्या का अड्डा बन चुकी है ये नहर!

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Bharatpur News: भरतपुर की ऐतिहासिक सुजान गंगा नहर, जो कभी जीवनदायिनी और दुर्ग की सुरक्षा का हिस्सा थी, अब गंदगी और आत्महत्याओं का केंद्र बन गई है. प्रशासनिक लापरवाही और जन उदासीनता के कारण इसकी स्थिति बद से बदत…और पढ़ें

सुजान गंगा नहर बनी सुसाइड पॉइंट और कचरे का अड्डा
हाइलाइट्स
- भरतपुर की सुजान गंगा नहर अब कचरा पॉइंट बन गई है
- नहर में कूदकर आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं
- प्रशासन और जनता की लापरवाही से नहर की हालत बदतर
भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर में स्थित ऐतिहासिक सुजान गंगा नहर कभी शहर की जीवनदायिनी मानी जाती थी. यह नहर न केवल पीने के पानी का स्रोत थी बल्कि लोहागढ़ दुर्ग की सुरक्षा का भी अभिन्न हिस्सा थी. रणनीतिक दृष्टि से यह नहर इतनी महत्त्वपूर्ण थी कि इसकी वजह से शत्रु किले की ओर आंख उठाकर देखने की भी हिम्मत नहीं कर पाते थे. सुजान गंगा नहर भरतपुर की संस्कृति, इतिहास और जीवनशैली से गहराई से जुड़ी हुई थी. पर आज यह नहर अपनी पहचान और गरिमा को खोती जा रही है.
वर्तमान समय में यह नहर गंदगी और उपेक्षा की भेंट चढ़ चुकी है. जहां पहले इसमें स्वच्छ जल बहता था, आज वहां प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन, पुराने जूते-चप्पल, कपड़े और अन्य कचरा तैरता नजर आता है. लोग इसे अब एक कचरा पॉइंट की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण नहर का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि अब इसे देखकर कोई भी इसे पीने योग्य नहीं मान सकता. यह नहर अब एक गंदा नाला और कचरा पॉइंट बन चुकी है. इसकी हालत किसी नाले से भी बदतर हो गई है.
बनती जा रही है आत्महत्या का केंद्र
इसके साथ ही सुजान गंगा नहर एक और गंभीर सामाजिक समस्या का केंद्र बनती जा रही है. यह अब भरतपुर का मुख्य सुसाइड पॉइंट बन गई है. बाउंड्री या सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम न होने के कारण यहां से लोग कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं. इसमें आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. बीते वर्ष में करीब 7 से 8 लोगों ने इस नहर में कूदकर जान गंवाई. खुले और असुरक्षित किनारे, गहराई और लचर निगरानी व्यवस्था ने इसे आत्महत्या करने वालों के लिए एक आसान स्थान बना दिया है.
प्रशासन की लापरवाही बनी कारण
इस दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण है प्रशासन की लापरवाही और जनता की उदासीनता. नहर के चारों ओर कोई बैरिकेडिंग नहीं है. पुरानी बाउंड्री खंडहर बन चुकी है. न कोई नियमित सफाई होती है और न ही निगरानी का कोई इंतजाम है. इससे न केवल पर्यावरणीय संकट पैदा हो रहा है बल्कि लोगों की जान भी जोखिम में है.
जरूरत है ठोस कदम उठाने की
अब भरतपुर प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा. नहर की बाउंड्री कराना, वहां निगरानी की व्यवस्था करना, सीसीटीवी कैमरे लगवाना और नियमित सफाई अभियान चलाना जरूरी है. साथ ही, जनता को भी जागरूक करना होगा कि यह सिर्फ एक नहर नहीं बल्कि हमारी ऐतिहासिक विरासत है. जिसे बचाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह नहर पूरी तरह से इतिहास के पन्नों में गुम हो जाएगी.