Published On: Fri, May 23rd, 2025

आंध्र प्रदेश में ₹600 करोड़ का स्कैम का खुलासा: फर्जी कॉल सेंटर के जरिए अमेरिकी नागरिकों को ठगते थे, खुद को अमेजन सपोर्ट-बैंक अधिकारी बताते थे


विशाखापट्टनम1 घंटे पहले

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पुलिस ने बताया कि फेक कॉल सेंटर कॉल के 33 सदस्यों को गिरप्तार किया गया है। इनमें दो मास्टर माइंड भी शामिल हैं। - Dainik Bhaskar

पुलिस ने बताया कि फेक कॉल सेंटर कॉल के 33 सदस्यों को गिरप्तार किया गया है। इनमें दो मास्टर माइंड भी शामिल हैं।

आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली जिले के इंडस्ट्रीयल एरिया अच्युतपुरम में इंटरनेशनल फर्जी कॉल सेंटर खुलासा हुआ है। पुलिस ने बताया कि इस मामले में 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें दो मास्टरमाइंड भी हैं।

पुलिस ने कहा है कि कॉल सेंटर ऑपरेट करने वालों ने पिछले 2 साल में करीब ₹600 करोड़ की धोखाधड़ी की है। ज्यादातर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाया गया है।

शुक्रवार को अनकापल्ली DSP विष्णु स्वरूप ने कहा कि 22 मई को ​​​​​​लोकल रेवेन्यू ऑफिसर और गुप्त सूचना के आधार पर तीन जगहों पर रेड मारी गई थी। मौके से ₹3 लाख कैश, कंप्यूटर, नेटवर्क डिवाइस, लग्जरी कार और दूसरा सामान बरामद हुआ है।

पुलिस के मुताबिक, इन जगहों पर कम्पलीट कॉल सेंटर ऑपरेट किया जा रहा था। अमेजन सपोर्ट और वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VOIP) के जरिए धोखाधड़ी को अंजाम दिया जा रहा था।

ऑनलाइन पोर्टल के जरिए काम पर रखे जाते थे लोग

पुलिस ने बताया कि कॉल सेंटर के ऐसे लोगों को ढूंढा जाता था जिन्हें नौकरी की तलाश होती थी। इसके लिए बकायदा ऑनलाइन जॉइनिंग प्रोसेस कराई जाती थी। इनमें ज्यादातर लोग नॉर्थ ईस्ट राज्यों के होते थे। इन्हें रहने और खाने-पीने की सुविधा दी जाती थी।

इसके बाद सभी को करीब एक हफ्ते तक कॉल सेंटर की वर्किंग के लिए ट्रेंड किया जाता था। इन्हें हाईटेक इक्विपमेंट का यूज करना सिखाया जाता था। इसके बाद ये लोग अमेरिकी नागरिकों की फाइनेंशियल डिटेल निकालते थे। उन्हें फेक कॉल करते थे।

5 स्टैप में स्कैम को अंजाम दिया जाता था

5 स्टेप में स्कैम को अंजाम दिया जाता था। कॉलर अमेरिकी नागरिकों को खुद को अमेजन सपोर्ट में काम करने वाला बताता था। इसके अलावा अमेरिका का किसी बैंक का एम्पलॉयी या बड़ा अधिकारी बताता था।

इसके बाद स्कैमर्स अमेरिकी नागरिकों को गिफ्ट कार्ड रिडेम्पशन समेत दूसरे लालच देते थे। जो लोग इनकी बातों में फंस जाते थे उन्हें कहा जाता कि गिफ्ट कार्ड खरीदें।

उन्हें कोड शेयर करने का कहा जाता। जैसे ही लोग कोड शेयर करते वे इनके जाल में फंस जाते।

स्कैमर्स इंटरनेशनल चैनल्स का यूज करके इन्हें दूसरे स्कैमर्स को भेजते।

पांचवी और आखिरी सुपर लेयर (स्टेप) वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) जो नकली नंबरों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग को संभालती थी।

लगभग ₹600 करोड़ का स्कैम

पुलिस ने बताया कि मामले के दो मास्टरमाइंड महाराष्ट्र से पुनीत गोस्वामी और राजस्थान से अविहंत डागा को गिरफ्तार किया गया है। अन्य लोगों से पूछताछ की जा रही है ताकि पूरे सिंडिकेट का पता लगाया जा सके। लगभग ₹600 करोड़ रुपए से ज्यादा की धोखाधड़ी सामने आ रही है। हालांकि सटीक आंकड़े की जानकारी निकाली जा रही है।

फर्स्ट लाइन स्कैमर्स महीने-दो महीने की टिकते

पुलिस ने बताया कि फर्स्ट लाइन स्कैमर्स महीने दो महीने की कंपनी में टिकते थे। डील क्लोज करने वाले क्लोजर और मैनेजमेंट में शामिल लोग 8 से 12 महीने तक टिकते थे। पुलिस ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ BNS की धारा 318(4), धारा 61(2), धारा 111(2)(बी)(3) , IT एक्ट की धारा 66C और 66D और IPC की धारा 420, 120B और 34 के तहत मामला दर्ज किया है।

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