स्टूडेंट्स सुसाइड मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: IIT खड़गपुर और कोटा में 4 मई को सुसाइड हुए थे; इस साल 16 छात्रों ने आत्महत्या की

5 मिनट पहले
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स्टूडेंट्स सुसाइड मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे पहले 6 मई को कोर्ट ने स्टूडेंट्स सुसाइड के दो मामलों में स्वतः संज्ञान लिया था। इन्हीं दोनों मामलों को लेकर आज सुनवाई होगी जिसमें राजस्थान पुलिस और IIT खड़कपुर के अधिकारियों से जवाब मांगा गया है।
क्या है पूरा मामला?
4 मई को NEET एग्जाम से कुछ ही घंटे पहले कोटा के हॉस्टल में 17 साल की छात्रा का शव मिला था। 4 मई को ही, IIT खड़कपुर में पढ़ने वाले 22 साल के स्टूडेंट ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा ली थी। इन्हीं दोनों मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को स्वतः संज्ञान लिया था। IIT खड़कपुर सुसाइड को लेकर कोर्ट ने कहा था वो सिर्फ यह पता लगाने के लिए संज्ञान ले रहे हैं कि प्रशासन ने ‘अमित कुमार एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य’ मामले में जारी कोर्ट के निर्देशों का पालन कर FIR दर्ज कराई है या नहीं।
वहीं, कोटा में हुए सुसाइड को लेकर कोर्ट ने जवाब मांगा था कि FIR दर्ज क्यों नहीं की गई। जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने ये सुनवाई की थी। इसी के साथ कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश भी दिया था कि मेंटल हेल्थ और सुसाइड प्रिवेंशन के लिए बनने वाली नेशनल टास्क फोर्स यानी NTF के गठन के लिए 20 लाख रुपए दो दिन में जमा कराएं।

मार्च में NTF के गठन का आदेश दिया था
IIT दिल्ली के दो स्टूडेंट्स की सुसाइड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था…
- पूर्व जज जस्टिस एस. रविंद्र भट NTF के चेयरपर्सन होंगे।
- इसके अलावा साइकेट्रिस्ट डॉ. आलोक सरीन और अन्य एक्सपर्ट को भी इसमें शामिल किया गया था।
- कोर्ट ने सरकार को दो हफ्तों के भीतर NTF के शुरुआती संचालन के लिए ₹20 लाख जमा करने के निर्देश दिए थे।
2016 से लंबित याचिका के बावजूद कानून नहीं- राजस्थान HC
19 मई को कोटा में हो रहे स्टूडेंट्स के सुसाइड के मामलों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने चिंता जताई थी। कोर्ट ने कहा था 2016 से लंबित जनहित याचिका के बावजूद अब तक इसे लेकर कोई कानून नहीं बना है। चीफ जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस मुकेश राजपुरोहित की बेंच ने कहा कि कोर्ट के बार-बार निर्देश के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले में दो हफ्तों बाद अगली सुनवाई होगी।

2024 में 17 स्टूडेंट सुसाइड, 2023 में 26 हुए थे
बात पिछले सालों की करें, तो साल 2024 में कोटा में रहने वाले 17 स्टूडेंट्स ने सुसाइड किया था। पिछले साल जनवरी के महीने में 2 और फरवरी के महीने में 3 सुसाइड हुए थे। वहीं साल 2023 में कोटा में स्टूडेंट सुसाइड के कुल 26 मामले सामने आए थे।

‘बच्चों को फेलियर हैंडल करना सिखाते ही नहीं’
MP सुसाइड प्रिवेंशन टास्क फोर्स के मेंबर और साइकेट्रिस्ट डॉ सत्यकांत त्रिवेदी ने कोटा में हो रहे स्टूडेंट सुसाइड को लेकर कहा, ‘किसी भी आत्महत्या का कोई एक कारण नहीं होता। वही एग्जाम सभी बच्चे दे रहे होते हैं। ऐसे में सुसाइड के लिए मिले-जुले फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं। इसमें जेनेटिक्स कारण, सामाजिक कारण, पियर प्रेशर, माता-पिता के एक्सपेक्टेशन्स, शिक्षा तंत्र सब शामिल है।’
डॉ त्रिवेदी कहते हैं कि कहीं न कहीं हम बच्चों को ये सिखाने में नाकामयाब हो जाते हैं कि स्ट्रेस, रिजेक्शन या फेलियर से कैसे डील करना है। आज बच्चा ये मानने लगा है कि उसका एकेडमिक अचीवमेंट उसके एग्जिस्टेंस से भी बड़ा है। बच्चा तैयारी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, जीवन छोड़ने के लिए तैयार है। सोसायटी ने प्रतियोगी परीक्षाओं को बहुत ज्यादा महिमामंडित कर दिया है जिसकी वजह से बच्चा ये महसूस करता है कि मैं पूर्ण तभी हो सकूंगा जब कोई एग्जाम क्रैक कर लूंगा।

कोई एग्जाम 14-16 लाख स्टूडेंट्स दे रहे हैं लेकिन सीट्स सिर्फ कुछ हजार हैं। ऐसे में सब जानते हैं कि इसमें सिलेक्शन ना होने वाले बच्चों का नंबर ज्यादा रहेगा। लेकिन फेलियर से डील करने के लिए बच्चों को कोई तैयार करता ही नहीं है। बाल सभा में मोटीवेशन लेक्चर लगा देने से, काउंसलर लगा देने से, कोई मूवी दिखा देने से कुछ नहीं होगा। पूरे सिस्टम पर काम करना होगा।
2024 में कोचिंग सेंटर्स के लिए गाइडलाइंस, पर नही रुके सुसाइड
स्टूडेंट्स की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, कोचिंग सेंटर्स में आग की घटनाओं और कोचिंग सेंटर्स में सुविधाओं की कमी को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के लिए गाइडलाइंस जारी की।

भारत में स्टूडेंट सुसाइड की रोकथाम के लिए सरकार ने ये नियम बनाए
1. मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017
इस एक्ट के अनुसार मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्ति को इसके लिए ट्रीटमेंट लेने और गरिमा के साथ जीवन जीने का पूरा हक है।
2. एंटी रैगिंग मेजर्स
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, रैगिंग की शिकायत आने पर सभी एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को पुलिस के पास FIR दर्ज करानी होगी। साल 2009 में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में रैगिंग की घटनाओं की रोकथाम के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन यानी UGC ने रेगुलेशन जारी की थी।
3. स्टूडेंट काउंसलिंग सिस्टम
स्टूडेंट्स की एंग्जायटी, स्ट्रेस, होमसिकनेस, फेल होने के डर जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिए UGC ने 2016 में यूनिवर्सिटीज को स्टूडेंट्स काउंसलिंग सिस्टम सेट-अप करने को कहा था।
4. गेटकीपर्स ट्रेनिंग फॉर सुसाइड प्रिवेंशन बॉय NIMHANS, SPIF
NIMHANS यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस और SPIF यानी सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फाउंडेशन इस ट्रेनिंग को कराते हैं। इसके जरिए गेटकीपर्स का एक नेटवर्क तैयार किया जाता है जो सुसाइडल लोगों की पहचान कर सके।
5. NEP 2020
टीचर्स स्टूडेंट्स की सोशियो-इमोशनल लर्निंग और स्कूल सिस्टम में कम्यूनिटी इनवॉल्वमेंट पर ध्यान दें। साथ ही स्कूलों में सोशल वर्कर्स और काउंसलर्स भी होने चाहिए।

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