Published On: Fri, Dec 20th, 2024

Bihar News: बिहार में पांच साल से बन रहा यह पुल, पूरा तो नहीं हुआ, पर पानी में बहा पिलर का हिस्सा


Kaimur News: lower part of pillar of bridge being built on Durgavati river was washed away in water

ग्रामीणों ने पुल निर्माण में घटिया सामग्री के प्रयोग का लगाया आरोप
– फोटो : अमर उजाला

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कैमूर जिले के दुर्गावती प्रखंड के मचाखियां गांव के पास दुर्गावती नदी पर बन रहे पुल का निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गया है। स्थानीय ग्रामीणों ने पुल निर्माण में घटिया सामग्री और लापरवाही का आरोप लगाया है। नदी में बने पुल के पिलर का निचला हिस्सा पानी के तेज बहाव में बह जाने से लोगों की चिंताएं और बढ़ गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह पुल पूरा होने से पहले ही टूट सकता है, जिससे जनहानि का खतरा मंडरा रहा है।

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जानकारी के मुताबिक, दुर्गावती नदी के एक छोर पर बसे मचाखियां गांव और दूसरे छोर पर स्थित विद्यालय के बीच पुल निर्माण की मांग सालों पुरानी है। बरसात के दिनों में जब नाव बंद हो जाती थी, तब बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते थे। आए दिन नाव दुर्घटनाओं की खबरों के कारण 2019 में पुल निर्माण का कार्य शुरू हुआ था। लेकिन पांच साल बाद भी पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल निर्माण में अनियमितता और घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। पुल निर्माण के लिए बनाए गए पिलर का निचला हिस्सा पानी में बह चुका है और पिलर केवल सरिया पर टिका हुआ है।

 

स्थानीय निवासियों का गुस्सा, प्रशासन पर सवाल

मचाखियां के निवासी अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि निर्माण कार्य में घोर लापरवाही हो रही है। पिलर बह चुका है और पुल के गिरने का खतरा हर समय बना रहता है। यह पुल बच्चों और ग्रामीणों के लिए सुरक्षा नहीं, बल्कि खतरा बन सकता है।

 

ग्रामीणों ने पुल निर्माण के दौरान इस्तेमाल हो रही सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो पुल गिरने से बड़ी दुर्घटना हो सकती है। एक ग्रामीण ने कहा कि पहले कम से कम नाव की वजह से सिर्फ कुछ हादसे होते थे। अब पुल गिरा तो कई जानें जा सकती हैं।

 

पांच साल में अधूरा पुल

पुल निर्माण का कार्य 2019 में शुरू हुआ था, लेकिन 2024 तक यह अभी भी अधूरा है। बरसात के मौसम में नाव संचालन बंद हो जाने के कारण ग्रामीण चार महीने तक प्रखंड मुख्यालय और विद्यालय से कट जाते हैं। बच्चों की शिक्षा पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। पुल का निर्माण कार्य धीमा होने के साथ-साथ अनियमितता का शिकार हो चुका है। ग्रामीणों ने कहा कि पुल से पहले के विकल्प, जैसे नाव भले ही अस्थायी समाधान थे, लेकिन उन्होंने कभी इतना खतरा पैदा नहीं किया जितना यह अधूरा पुल कर रहा है।

 

प्रशासन की चुप्पी और लोगों की अपील

स्थानीय लोगों ने प्रशासन और संबंधित विभाग से अपील की है कि पुल निर्माण में इस्तेमाल की जा रही सामग्री की जांच की जाए और कार्य में पारदर्शिता लाई जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो वे प्रदर्शन करने पर मजबूर हो जाएंगे।

 

सवालों के घेरे में सरकार और ठेकेदार

ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से पुल निर्माण कार्य में लापरवाही हो रही है। निर्माण में इस्तेमाल की जा रही घटिया सामग्री और धीमे काम की वजह से परियोजना अब तक पूरी नहीं हो सकी है।

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