ट्रंप की कैबिनेट में ईसाई हैं, यहूदी और हिंदू भी…लेकिन कोई मुस्लिम क्यों नहीं
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कैबिनेट में क्षेत्र और धर्म के हिसाब से लोगों की नियुक्तियां की हैंतीन ऐसे हिंदू इस कैबिनेट में, जिन्होंने धर्मिक पहचान में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई मुस्लिम प्रतिनिधि ट्रंप के इस तौरतरीके पर निराशा जाहिर कर रहे हैं
डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपनी होने वाली कैबिनेट को तय कर रहे हैं. उन्होंने इलेक्ट प्रेसीडेंट के तौर पर आमतौर पर ज्यादातर महत्वपूर्ण पदों पर लोगों की नियुक्ति कर दी है. इसमें आमतौर पर उनके करीबी और भरोसेमंद लोग हैं. ट्रंप ने इस वेटिंग कैबिनेट में जिन लोगों की नियुक्ति पर मुहर लगा दी है, उसमें क्रिश्चियन भी हैं. यहूदी भी और तीन हिंदू भी लेकिन उन्होंने अब तक किसी मुस्लिम को आखिर अपनी इस कैबिनेट में जगह क्यों नहीं दी है.
माना जा रहा है कि ट्रंप का मंत्रिमंडल क्षेत्र और धर्म के लिहाज से तय किया जा रहा है, इसमें उन्होंने इस दोनों की चीजों का ना केवल खयाल रखा है बल्कि इसमें संतुलन बनाने की कोशिश की है. चूंकि अमेरिका में मुस्लिमों की अच्छी खासी तादाद है, लिहाजा उन्हें जरूर ट्रंप ने अनदेखा कर दिया. आपको यहां ये बता दें कि आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में मुस्लिमों की जनसंख्या हिंदुओं की तुलना में ज्यादा है.
मुस्लिम ट्रंप से निराश
डोनाल्ड ट्रंप के मंत्रिमंडल के चयन ने मुस्लिम नेताओं के बीच काफी निराशा पैदा की है, माना जाता है कि इस बार चुनावों में पहले से कहीं ज्यादा मुस्लिमों ने ट्रंप का ना केवल समर्थन किया बल्कि ट्रंप ने खुद उनसे समर्थन मांगा भी. इसके मद्देनजर कई गठजोड़ भी किए. अब जबकि ट्रंप दनादन अपनी कैबिनेट को अंतिम रूप दे रहे हैं तो मुस्लिम समुदाय मान रहा है कि उनके साथ विश्वासघात हुआ है.
समर्थक मुस्लिमों की प्रतिक्रिया
रॉयटर की एक रिपोर्ट के अनुसार फिलाडेल्फिया में मुस्लिम्स फॉर ट्रंप रबीउल चौधरी कहते हैं, “ट्रंप हमारी वजह से जीते हैं. हम उनके विदेश मंत्री पद के चयन और अन्य लोगों से खुश नहीं हैं.” रणनीतिकारों का मानना है कि ट्रंप को मुस्लिम समर्थन ने मिशिगन में जीत दिलाने में मदद की तथा अन्य राज्यों में भी जीत में इसका योगदान रहा.
सिख भी नहीं
हालांकि डोनाल्ड ट्रंप मंत्रिमंडल में कोई सिख भी नहीं है. जबकि ट्रंप के समर्थन में सिख समुदाय से महत्वपूर्ण जुड़ाव रहा है, विशेष रूप से धार्मिक स्वतंत्रता पर नीतियों के संबंध में, किसी भी सिख व्यक्ति को प्रमुख कैबिनेट पदों पर नियुक्त नहीं किया गया है. समुदाय के नेताओं ने प्रतिनिधित्व की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन अब तक, ट्रंप के मंत्रिमंडल में कोई भी सिख सदस्य शामिल नहीं है.
पहली बार तीन हिंदू अमेरिकी सरकार में अहम पोजिशन पर
वैसे तो हिंदू पिछले डेढ़ दो दशकों से अमेरिका की राजनीति में अहम पोजिशन लेने लगे हैं लेकिन इस बार डोनाल्ड ट्रंप ने तो हिंदू सहयोगियों पर पूरा भरोसा दिखाया है. ट्रंप के मंत्रिमंडल में कई प्रमुख हिंदू अमेरिकी शामिल हैं. एफबीआई निदेशक के लिए नामित काश पटेल को नामित किया गया है तो राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के लिए तुलसी गबार्ड के नाम को फाइनल कर दिया गया है नए बनाए सरकारी दक्षता विभाग के प्रमुख के रूप में विवेक रामास्वामी को एलन मस्क के साथ नियुक्त किया गया है.
तीनों ने हमेशा अमेरिका में हिंदू पहचान खुलकर दिखाई
इन तीनों की खासियत ये है कि उन्होंने खुले तौर पर अमेरिका में अपनी हिंदू पहचान को हमेशा जाहिर करके रखा है. गबार्ड ने तो विशेष रूप से भगवद गीता पर शपथ ली है. इस चयन को भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है. इन नियुक्तियों से अनुमान लगाया जा रहा है कि ट्रंप के प्रेसीडेंट के तौर पर शपथ लेने के बाद अमेरिका और भारत के संबंध सकारात्मक रहेंगे.
और किस धर्म के मंत्री कैबिनेट में
ट्रंप कैबिनेट में 5 क्रिश्चियन कैथोलिक नेताओं को शामिल किया गया है, जिनमें उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो शामिल हैं. इस कैबिनेट में कई यहूदी भी हैं. न्यूयॉर्क के पूर्व कांग्रेसी ली ज़ेल्डिन को पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया है. इसके अलावा कठोर आव्रजन नीतियों के लिए जाने जाने वाली स्टीफन मिलर डिप्टी चीफ ऑफ़ स्टाफ़ बनने वाले हैं. यहूदी समुदाय से मज़बूत संबंध रखने वाले सीनेटर मार्को रुबियो को विदेश मंत्री के लिए नामित किया गया है. साथ ही प्रोटेस्टेंट ईसाई भी कैबिनेट में शामिल हैं.
ट्रंप खुद मुस्लिमों के कितने साथ या कितने अलग
ट्रंप ने अपने कार्यकाल में कई बार ऐसे बयान दिए जो मुस्लिम समुदाय के खिलाफ समझे गए. उदाहरण के तौर पर, उन्होंने कई मुस्लिम-बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया, जिसे “मुस्लिम बैन” के रूप में जाना गया. ट्रंप और उनकी पार्टी (रिपब्लिकन पार्टी) ने परंपरागत रूप से ऐसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है जो अक्सर मुस्लिम समुदाय के हितों से मेल नहीं खाते. यह विचारधारा उनकी टीम और नीतियों में नजर आ सकती है. ये इस बार ट्रंप के कैबिनेट के गठन में भी ये बात नजर आती है.
क्या अमेरिका में बढ़ा मुस्लिमों के प्रति पूर्वाग्रह
9/11 के बाद से अमेरिका में मुस्लिम समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह बढ़ा. कुछ राजनीतिक नेता इसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं. ट्रंप ने इस धारा का इस्तेमाल करते हुए “अमेरिका फर्स्ट” नीति पर जोर दिया, जिसे कई बार मुस्लिम समुदाय से दूर समझा गया. ट्रंप प्रशासन में पिछली बार भी व्हाइट हाउस में बेशक कुछ मुस्लिम कर्मचारी रहे, लेकिन कैबिनेट स्तर पर कोई मुस्लिम शामिल नहीं था.
अमेरिका में हिंदू ज्यादा या मुस्लिम
अमेरिका में वैसे हिंदू और मुस्लिम दोनों ही अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में मौजूद हैं. हालांकि हिंदू आबादी की तुलना में मुस्लिम आबादी अधिक है.
मुस्लिम: लगभग 3.5 करोड़ (अमेरिका की कुल आबादी का लगभग 1.1%)
हिंदू: लगभग 2.5 करोड़ (अमेरिका की कुल आबादी का लगभग 0.7%)
आर्थिक स्थिति में कौन बेहतर
हिंदू समुदाय आर्थिक रूप से अमेरिका में काफी मजबूत है. औसतन, हिंदू परिवारों की आय अधिक है. वे उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं. आईटी, चिकित्सा, और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में हिंदुओं की प्रमुख मौजूदगी है.
वहीं मुस्लिम समुदाय की आर्थिक स्थिति विविध है. कई मुस्लिम व्यवसायी, डॉक्टर, और इंजीनियर हैं. हालांकि कुछ मुस्लिम परिवार कम आय वाले क्षेत्रों में भी रहते हैं.
धार्मिक और सामाजिक स्थिति
हिंदुओं को आमतौर पर उनकी धार्मिक गतिविधियों और त्योहारों के लिए सकारात्मक समर्थन मिलता है. मंदिर और सांस्कृतिक संगठन तेजी से बढ़ रहे हैं. मुस्लिम समुदाय को कभी-कभी इस्लामोफोबिया और धार्मिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है, खासकर 9/11 के बाद.
अमेरिकी मुस्लिम किस पार्टी से ज्यादा जुड़े हैं
पीऊ रिसर्च कहती है कि अमेरिका के दो तिहाई मुसलमान डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े हैं या उसकी ओर झुकाव रखते हैं. बहुत कम लोग कहते हैं कि वे रिपब्लिकन हैं या रिपब्लिकन की ओर झुकाव रखते हैं. पिछले दशक में मुस्लिम अमेरिकियों के बारे में कहा जाता रहा है कि वो कहीं ज़्यादा मज़बूती से डेमोक्रेटिक बने हुए हैं. हालांकि इस चुनावों में माना जा रहा है कि उन्होंने ट्रंप को ज्यादा वोट दिया.
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FIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 21:17 IST