Ancient Sun Temple: बहुत ही खास है 7वीं सदी का यह प्राचीन मंदिर, यहां पहुंचती है सूरज की पहली किरण, नक्काशी देखकर हैरान लोग
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सिरोही. देश में सूर्यदेव के बहुत कम ही प्राचीन मंदिर बने हुए हैं. इनमें से एक है सिरोही जिले के वरमान गांव का प्राचीन ब्रह्मांड स्वामी सूर्य मंदिर. इस मंदिर का निर्माण 7वीं सदी में हुआ था. इसके बाद दसवीं सदी में इसका जीर्णोद्धार हुआ. वर्तमान में ये पुरातत्व विभाग के अधीन है. मंदिर की देखरेख भी विभाग द्वारा ही की जा रही है.
मंदिर में देखने मिलती है बारीक कलाकारी
मंदिर के गर्भगृह की प्राचीन मूर्तियां पाली के राजकीय संग्रहालय में रखी हुई है. वहीं कुछ खंडित मूर्तियां मंदिर के गर्भगृह में रखी हुई है. मंदिर की दीवारों, द्वार और मंडप में मोर, हाथी और वाद्य यंत्र बजाती महिलाओं की कई सुंदर प्रतिमाएं उकेरी हुई है. इतने पुराने मंदिर में इतनी बारीक कलाकारी देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है. मंदिर के बारे में ज्यादा प्रचार नहीं होने से ज्यादा लोग इसे देख नहीं पाते हैं. मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको रेवदर से मंडार हाइवे पर वरमाण गांव आना होगा. यहां हाइवे पर जैन मंदिर के पास से आप सीधे इस प्राचीन मंदिर तक पहुंच सकते हैं.
गर्भगृह में सूर्य की पड़ती है पहली किरण
वरमान के सरपंच प्रतिनिधि और पूर्व सरपंच वगताराम चौधरी ने लोकल 18 को बताया कि यह जिले का और राजस्थान के सबसे प्राचीन सूर्य मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण इस प्रकार करवाया गया था कि गर्भगृह में सूर्य की पहली किरण मूर्ति पर गिरती थी. यहां के सूर्यदेव मध्यप्रदेश के परमार समाज के कुलदेवता है. आज भी कई परिवार मध्यप्रदेश से यहां के दर्शन करने आते हैं. मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन होने से पंचायत द्वारा इसका विकास नहीं करवाया जा सकता है, लेकिन पंचायत की पहल पर मंदिर के पास लोगों की सुविधा के लिए शौचालय निर्माण और मंदिर तक पहुंचने के लिए सीसी रोड बनवाई गई.
मंदिर में लगा है प्राचीन शिलालेख
इतने वर्ष पुराना होने के बावजूद मंदिर का ढांचा और इस पर बनाई गई काफी कलाकृतियां साफ दिखाई देती है. कुछ प्रतिमाएं मुगल आक्रांताओं ने खंडित कर दी थी. मुख्य मंदिर और सभामंडप अभी तक मौजूद हैं. मंडप में एक प्राचीन शिलालेख भी लगा हुआ है, जिस पर विक्रम संवत 1315 अंकित है. बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के बाद 6 बार इसका जीर्णोद्धार करवाया गया.जिनके शिलालेख इस मंदिर के खम्भों पर लगे हुए थे.
FIRST PUBLISHED : December 6, 2024, 16:00 IST