Published On: Mon, Dec 2nd, 2024

ममता बोलीं- बांग्लादेश में यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग फोर्स तैनात हो: पीएम मोदी हस्तक्षेप करें; त्रिपुरा में बांग्लादेशी असिस्टेंट हाई कमीशन में घुसपैठ


कोलकाता/नई दिल्ली6 मिनट पहले

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ममता ने कहा- भारत सरकार को बांग्लादेश का मामला यूनाइटेड नेशंस में उठाना चाहिए। - Dainik Bhaskar

ममता ने कहा- भारत सरकार को बांग्लादेश का मामला यूनाइटेड नेशंस में उठाना चाहिए।

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बांग्लादेश में यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग फोर्स (शांति सेना) तैनात करने की मांग की। उन्होंने पीएम मोदी से बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए इस संबंध में व्यक्तिगत हस्तक्षेप की भी मांग की।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार को बनर्जी ने कहा- बांग्लादेश में हमारे परिवार हैं, करीबी लोग, प्रॉपर्टियां हैं। भारत सरकार इस पर जो भी रुख अपनाएगी, हम मांनेगें। लेकिन हम दुनिया में कहीं भी धार्मिक आधार पर अत्याचार की निंदा करते हैं। केंद्र सरकार और पीएम मोदी से हस्तक्षेप की अपील करते हैं।

उन्होंने कहा कि हमने इस्कॉन की कोलकाता यूनिट के प्रमुख से बात की है। अगर बांग्लादेश में भारतीयों पर हमला किया जाता है, तो हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम अपने लोगों को वापस ला सकते हैं। भारत सरकार इस मामले को यूनाइटेड नेशंस में उठा सकती है। जिससे बांग्लादेश में पीसकीपिंग फोर्स भेजी जा सके।

दरअसल, 25 नवंबर को चटगांव इस्कॉन के जुड़े चिन्मय प्रभु को राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया था। अगले दिन चिटगांव कोर्ट में पेशी के दौरान हंगामे में एक वकील की मौत हुई। इसके बाद से बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग जारी है। इधर, चिन्मय प्रभु को रिहा करने की मांग पर उनके समर्थक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

त्रिपुरा में बांग्लादेशी असिस्टेंट हाई कमीशन में घुसपैठ

अगरतला में चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के विरोध में रैली निकाली गई थी। तस्वीर- PTI

अगरतला में चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के विरोध में रैली निकाली गई थी। तस्वीर- PTI

सोमवार को अगरतला में बांग्लादेश असिस्टेंट हाई कमीशन के परिसर में प्रदर्शनकारी घुस गए। वे चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे, साथ ही उनकी रिहाई की भी मांग कर रहे थे।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस घुसपैठ की निंदा की। मंत्रालय ने कहा- यह घटना बहुत ही अफसोसजनक है। किसी भी हालात में डिप्लोमैटिक और कांसुलर प्रॉपर्टी को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।

पश्चिम बंगाल में डॉक्टर का बांग्लादेशी मरीजों को मैसेज- पहले तिरंगे को सलाम करें सिलीगुड़ी में डॉक्टर शेखर बंदोपाध्याय ने अपने प्राइवेट क्लिनिक में तिरंगा लगाया है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि मुझे यह देखकर दुख हुआ कि बांग्लादेश में हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हो रहा है।

डॉक्टर ने झंडे के साथ मैसेज में लिखा- भारत का राष्ट्रीय ध्वज हमारी मां की तरह है। कृपया चैंबर में एंट्री करने से पहले तिरंगे को सलाम करें। खासकर बांग्लादेशी मरीज, अगर वे सलाम नहीं करते हैं, तो उन्हें अंदर आने नहीं दिया जाएगा। पूरी खबर पढ़ें…

बांग्लादेश इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु लगातार हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को उठा रहे थे।

बांग्लादेश इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु लगातार हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को उठा रहे थे।

बांग्लादेश हिंसा और इस्कॉन विवाद…

5 अगस्त: बांग्लादेश में आरक्षण मुद्दे पर देश में विरोध प्रदर्शन हुआ था। 5 अगस्त को PM शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं जारी थीं।

बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ। चिटगांव इस्कॉन से जुड़े चिन्मय प्रभु इसके प्रवक्ता बनाए गए थे। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया था। इसमें हजारों लोग शामिल हुए थे।

25 अक्टूबर: को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसमें चिन्मय कृष्ण दास ने भाषण दिया था। इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर ‘आमी सनातनी’ लिखा हुआ था। रैली के बाद 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया की ‌BNP पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। उन पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है।

25 नवंबर: ढाका इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय प्रभु को गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद से इस्कॉन से जुड़े लोग और चिन्मय प्रभु के फॉलोअर्स ने विरोध शुरू किया था।

26 नवंबर: चिन्मय प्रभु को चटगांव कोर्ट में पेश किया गया था। यहां उनकी जमानत खारिज हुई थी। इसके बाद कोर्ट परिसर के बाहर हिंसा भड़क गई। इसमें वकील सैफुल इस्लाम की जान चली गई थी।

27 नवंबर: बांग्लादेश हाईकोर्ट में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई। याचिका दायर करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा था कि सैफुल की मौत के पीछे इस्कॉन के लोग शामिल हैं। ऐसे में इस संस्था को बैन किया जाए। इस अर्जी में चटगांव में इमरजेंसी घोषित करने की भी मांग की गई थी।

28 नवंबर: ढाका हाईकोर्ट ने 28 सितंबर कोइस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को खारिज कर दिया था। अदालत में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि इस्कॉन की गतिविधियों के खिलाफ हमने जरूरी कदम उठाए हैं। यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता है।

इधर इस्कॉन बांग्लादेश ने चिन्मय प्रभु से खुद को अलग कर लिया। महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा था कि अनुशासन भंग करने की वजह से चिन्मय को पहले ही संगठन के सभी पदों से हटा दिया गया था। वह उनके किसी भी बयान या प्रतिक्रिया की जिम्मेदारी नहीं लेते।

29 नवंबर: इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) की भारतीय शाखा ने कहा कि चिन्मय प्रभु संगठन के आधिकारिक सदस्य नहीं थे, लेकिन वे उनके अधिकार और बोलने की आजादी का समर्थन करते हैं। संगठन ने कहा कि हमने खुद को चिन्मय प्रभु से दूरी नहीं बनाई है और न ही ऐसा करेंगे।

30 नवंबर: चटगांव में इस्कॉन से जुड़े एक और धर्मगुरु श्याम दास प्रभु को गिरफ्तार किया गया। श्याम दास प्रभु जेल में बंद चिन्मय प्रभु से मिलने गए थे, जहां से उन्हें बिना वारंट के गिरफ्तार किया गया।

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भारत बोला- बांग्लादेश सरकार हिंदुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले:अल्पसंख्यकों के हालात पर कहा- मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रही कहकर पल्ला न झाड़ें

भारतीय विदेश मंत्रालय ने 30 नवंबर को बांग्लादेश की स्थिति पर बयान जारी किया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था- बांग्लादेश सरकार को हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अंतिरम सरकार यह कहकर जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती है कि इस मामले को मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर कर ही है। पूरी खबर पढ़ें…

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