Published On: Sat, Nov 30th, 2024

Bihar News: जिला परिषद सदस्य शिवचंद्र महतो की मौत- हत्या या हादसा? नए खुलासे से प्रशासन में हड़कंप


बेगूसराय जिले के जिला परिषद सदस्य शिवचंद्र महतो की मौत का मामला उलझता जा रहा है। शुक्रवार की शाम तेघड़ा थानाक्षेत्र में उनकी लाश बरामद हुई, जिसे पुलिस ने दुर्घटना बताया था। लेकिन परिजनों के खुलासे और शरीर पर मिले तीन गोलियों के निशान से मामले ने नया मोड़ ले लिया है। इससे पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

 

मौत को बताया गया था दुर्घटना

जानकारी के मुताबिक, शिवचंद्र महतो की मौत को शुरुआत में सड़क दुर्घटना बताया गया। पुलिस के अनुसार, उनकी बाइक किसी बड़े वाहन की चपेट में आ गई थी। स्थानीय लोगों ने उन्हें तेघड़ा अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

 

परिजनों का दावा और हंगामा

जब शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, परिजनों ने देखा कि शरीर पर तीन गोलियों के घाव थे। इस खुलासे के बाद फुलवरिया थानाक्षेत्र में एनएच-28 पर परिजनों ने प्रदर्शन किया और पुलिस पर हत्या को दुर्घटना का रूप देने का आरोप लगाया।

 

पोस्टमार्टम पर उठे सवाल

इसके बाद स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठे।

  • तेघड़ा अस्पताल के डॉक्टरों ने बुलेट इंजरी की पुष्टि क्यों नहीं की?
  • सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के दौरान गोलियों के घाव क्यों नहीं बताए गए?
  • क्या पोस्टमार्टम सही तरीके से किया गया, या फिर जानबूझकर साक्ष्य छिपाए गए?
  • परिजनों की मांग पर फोरेंसिक टीम की देखरेख में दोबारा पोस्टमार्टम कराने की बात कही जा रही है।

     

    राजनीति बनी हत्या की वजह!

    शिवचंद्र महतो हाल ही में जन सुराज पार्टी में शामिल हुए थे। वह आगामी विधानसभा चुनाव में विधायक टिकट के लिए प्रयासरत थे। इससे घटना के राजनीतिक कारणों की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। वहीं, पुलिस पर आरोप है कि वह हत्या को हादसे में बदलने की कोशिश कर रही है। स्थानीय लोगों और राजनीतिक दलों ने इस मामले में पुलिस की नीयत पर सवाल उठाए हैं।

    मुख्य सवाल जो उठ रहे हैं:

  • पोस्टमार्टम में बुलेट इंजरी की बात क्यों छिपाई गई?
  • क्या पुलिस हत्या को दुर्घटना का रूप देकर अपनी साख बचाने की कोशिश कर रही है?
  • मामले की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?
  • परिजनों और राजनीतिक दलों के दबाव के बाद पुलिस ने दोबारा जांच का आश्वासन दिया है। अब सबकी नजर फोरेंसिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर है, जो मामले की सच्चाई सामने लाएगी। इस घटना से पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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