Hp High Court Imposed One Lakh Cost For Not Giving The Benefit Of Seniority,principal Secretary Will Have To P – Amar Ujala Hindi News Live
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![Himachal: प्रदेश हाईकोर्ट ने वरिष्ठता का लाभ नहीं देने पर प्रधान सचिव को लगाई एक लाख काॅस्ट hp high court imposed one lakh cost for not giving the benefit of seniority,Principal Secretary will have to p](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2024/04/20/court-shimla_4c1e8264d54fffe1c92f9f0790555eea.jpeg?w=414&dpr=1.0&q=50)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालत के आदेश नहीं मानने पर राज्य सरकार के प्रधान सचिव आरडी नजीम को एक लाख रुपये काॅस्ट लगाई है। प्रधान सचिव को अब यह पैसा स्वयं चुकाना होगा। अदालत ने कहा कि सरकार के रवैये से अदालत का बहुमूल्य समय बर्बाद हो रहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई की। खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि अदालत की वजह से याचिकाकर्ता को न्याय मिलने में देरी न हो। याचिकाकर्ता की मांग गलत नहीं है, वे अपनी सेवाओं का लाभ मांग रहे हैं। अदालत ने कहा कि सरकार ने पहले टिब्यूनल के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी। डबल बेंच ने भी इसे रद्द कर दिया। सरकार फिर फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई।
सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की अपील खारिज कर दी। सरकार की ओर से हाईकोर्ट में दायर एलपीए भी रद्द हो गई। अब याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में एग्जीक्यूशन दायर की है, जिसमें कहा है कि वर्ष 2017 के टिब्यूनल के आदेशों की आज तक अनुपालना नहीं की गई है। अदालत ने गुरुवार को सरकार के रवैये पर कड़ी आपति जताई। आवेदकों को अनुबंध के आधार पर की सेवाओं को उनके नियमितीकरण के बाद वरिष्ठता और अन्य लाभों के उद्देश्य को गिना जाना चाहिए। सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि पदोन्नति का अधिकार मौलिक अधिकार है लेकिन यह निहित अधिकार नहीं है। उन्होंने अदालत को बताया कि डीपीसी 2016 में लागू की गई, जिसके आधार पर वरिष्ठता की सूची तैयार की गई है। अदालत में मामले को लेकर कर्मचारियों ने एक हजार के करीब अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है।