Bail granted to SI paper leak accused, where did the mistake happen? | SI पेपर लीक के आरोपियों को जमानत, कहां चूक हुई?: एक्सपर्ट बोले- एसओजी ने जांच में छोड़ीं कई कमियां, हाईकोर्ट में नहीं टिक पाईं दलीलें – Rajasthan News
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एसआई भर्ती 2021 पेपर लीक मामले की जांच कर रही एसओजी को उस समय झटका लगा जब हाईकोर्ट ने 22 नवंबर को 10 ट्रेनी एसआई को जमानत दे दी। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 9 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी।
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अब एसओजी हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रही है। वहीं कानून के जानकार इस मामले में एसओजी की जांच और उसमें लग रहे अधिक समय पर सवाल उठा रहे हैं।
एक्सपर्ट की मानें तो हाईकोर्ट के इस आदेश का असर पेपर लीक के अन्य आरोपियों पर भी होगा। आखिर किन आधार पर ट्रेनी एसआई को जमानत मिली? एसओजी की ओर से कोर्ट में क्या तर्क व दलीलें पेश की गईं? पढ़िए- संडे बिग स्टोरी में…
सबसे पहले हम आपको उन ट्रेनी एसआई के बारे में बताते हैं, जिन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई…
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19 में से 10 ट्रेनी एसआई को मिली जमानत, 9 की खारिज
एसओजी ने पेपर लीक का खुलासा होने के बाद 50 ट्रेनी एसआई को अरेस्ट किया था। उनमें से चंचल नाम की एक आरोपी को पहले ही जमानत मिल गई थी। अब राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिका लगाने वाले 19 में से 10 ट्रेनी एसआई को जमानत दे दी है। वहीं 9 आरोपियों की जमानत खारिज कर दी। कोर्ट में जमानत के पक्ष व विपक्ष में क्या दलीलें दी गई। उन्हें इन तीन उदाहरणों से समझ सकते हैं।
1. आरोपी करणपाल को कैसे मिली जमानत?
पक्ष में दिए गए तर्क: आरोपी करणपाल 5 मार्च 2024 से हिरासत में है। उनके वकील ने कोर्ट में दलील दी कि आरोपी के खिलाफ आरोपों के संबंध में राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम, 1992 की धारा 4 और 5 के तहत अपराध नहीं बनते हैं। आरोपी वास्तविक अभ्यर्थी है। उसने परीक्षा का पेपर ही नहीं खरीदा है।
याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने परीक्षा से ठीक पहले उसी दिन सॉल्वड पेपर मोबाइल पर पढ़ा था। एफआईआर के अनुसार परीक्षा शुरू होने से ठीक 2 घंटे पहले परीक्षा केंद्रों पर ये पेपर प्राप्त हुए थे। अभ्यर्थी को परीक्षा शुरू होने से लगभग 45 मिनट पहले परीक्षा केंद्र में प्रवेश करना होता है।
ऐसे मामले में अभ्यर्थी को इस प्रक्रिया के बीच में मुश्किल से 40 मिनट का समय मिलता है और अभ्यर्थी के लिए पूरा हल किया हुआ पेपर पढ़ना और फिर परीक्षा में उसे हल करना संभव नहीं होता। आम तौर पर हल किए गए प्रश्नपत्र को मोबाइल फोन पर देखना और फिर उन प्रश्नों के उत्तर याद रखना और फिर लिखित परीक्षा में उन्हें हल करना काफी अव्यवहारिक है।
विपक्ष में दिए गए तर्क: विशेष लोक अभियोजक अनुराग शर्मा ने जमानत का विरोध करते हुए एक दस्तावेज प्रस्तुत किया, जिसमें 1.5 लाख रुपए के भुगतान के बारे में लिखा था।
कोर्ट का आदेश : दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने करणपाल की जमानत मंजूर कर दी।
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2. एकता को जमानत कैसे मिली?
पक्ष में दिए गए तर्क: याचिकाकर्ता के वकीलों ने कहा कि एकता की निशानदेही पर किसी भी दस्तावेज की कोई बरामदगी नहीं हुई है। एसओजी के आरोपों के अनुसार आरोपी को पेपर मिलने से एग्जाम शुरू होने तक की समयसीमा में अपराध करना अत्यधिक असंभव है। अगर एकता को सॉल्वड पेपर मिलता तो वह अपनी दो बहनों अलका और अनीता को भी उपलब्ध कराती, जो उसी परीक्षा में शामिल हुई थीं, लेकिन लिखित परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सकीं। एसओजी के पास पैसे के लेन-देन का भी कोई सबूत नहीं है।
इस दौरान वकील ने दलील दी कि उनके पति का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है और उनकी सास ने किडनी दी है। इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। इसके साथ ही घर में एक छोटा बच्चा है। वह धारा 480 बीएनएसएस के तहत स्वतंत्रता की हकदार है।
विपक्ष में दिए गए तर्क: विशेष लोक अभियोजक ने जमानत आवेदन का पुरजोर विरोध किया। कहा- जांच के दौरान एकत्र किए गए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत हैं जो साबित करते हैं कि आरोपी याचिकाकर्ता ने हल किए गए प्रश्न पत्र पढ़े थे, जो अन्य आरोपियों द्वारा लीक किए गए थे।
कोर्ट का आदेश : दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने एकता की जमानत मंजूर कर दी।
![पेपर लीक के आरोपी ट्रेनी सब इंस्पेक्टर को कोर्ट में पेशी पर ले जाती पुलिस।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/11/23/1-103_1732381548.jpg)
पेपर लीक के आरोपी ट्रेनी सब इंस्पेक्टर को कोर्ट में पेशी पर ले जाती पुलिस।
3. डमी अभ्यर्थी गिरधारी राम को क्यों नहीं मिली जमानत?
पक्ष में दिए गए तर्क: गिरधारी राम पर 10 लाख रुपए लेकर अभ्यर्थी विक्रमजीत की जगह परीक्षा देने का आरोप था। वकील ने पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि भर्ती परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की वीडियोग्राफी की जानी थी। जांच एजेंसी ने आरोपों को साबित करने के लिए कोई वीडियोग्राफी प्रस्तुत नहीं की है। गिरधारी राम 18 अप्रैल 2024 से हिरासत में है, जबकि उसका नाम एफआईआर में नहीं है। 13 सितंबर 2024 को वह स्कूल में ड्यूटी पर था, उपस्थिति रजिस्टर से ये स्पष्ट है। उदयपुर की जैन धर्मशाला के प्रबंधक ने अपने बयान में यह नहीं कहा है कि आरोपी याचिकाकर्ता विक्रमजीत के साथ वहां रुका था तथा अतिथि रजिस्टर में भी इस तथ्य का खुलासा नहीं हुआ है।
विपक्ष में दिए गए तर्क: विशेष लोक अभियोजक अनुराग शर्मा ने कहा कि आरोपी याचिकाकर्ता की हस्तलिपि, अभ्यर्थी विक्रमजीत की उपस्थिति पत्रक और ओएमआर शीट पर किए गए हस्ताक्षर एफएसएल विभाग को भेजे गए थे। अभ्यर्थी विक्रमजीत के उपस्थिति पत्रक पर किए गए हस्ताक्षर और अन्य हस्तलिखित सामग्री वर्तमान याचिकाकर्ता की हस्तलिपि से मेल खाती पाई गई, जिससे स्पष्ट है कि आरोपी याचिकाकर्ता विक्रमजीत के डमी अभ्यर्थी के रूप में एसआई परीक्षा में शामिल हुआ था। उन्होंने न्यायालय के समक्ष एफएसएल रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी याचिकाकर्ता और विक्रमजीत दोनों ही परीक्षा से ठीक पहले जैन धर्मशाला, उदयपुर में एक ही स्थान पर रुके थे।
कोर्ट का आदेश : दलीलों को सुनने के बाद जमानत याचिका रद्द कर दी।
![अबतक कुल 11 ट्रेनी एसआई जमानत प्राप्त कर चुके हैं। कुल 39 ट्रेनी एसआई अभी जेल में निरुद्ध हैं।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/11/23/cover-1_1732381622.gif)
अबतक कुल 11 ट्रेनी एसआई जमानत प्राप्त कर चुके हैं। कुल 39 ट्रेनी एसआई अभी जेल में निरुद्ध हैं।
जांच में कमी का अन्य आरोपियों को मिलेगा लाभ
राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील ए.के. जैन का कहना है कि पेपर लीक मामले में एसओजी की कार्रवाई शुरुआत में बहुत प्रभावी लग रही थी। लेकिन अब ऐसा लगता है कि जांच में रही कमियों और कानूनी पेचीदगियों के कारण एक के बाद एक अभियुक्त जमानत पर रिहा हो रहे हैं। जबकि ये गंभीर मामला है। अनुसंधान में कमियां रहने के कारण ही इतने गंभीर मामले में आरोपियों को जमानत मिली है। जबकि पूर्व में जब अनुसंधान शुरू हुआ था, तब सुप्रीम कोर्ट ने भी आरोपियों को जमानत नहीं दी थी।
अधिकांश अभियुक्त पकड़ में नहीं आए हैं, जबकि एसआई भर्ती ट्रेनिंग भी पूरी होने जा रही है। उनका मानना है कि आरोपियों को बार-बार जमानत मिलने से इस केस के निष्तारण और एसओजी की कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह लगेगा। अन्य आरोपियों को भी इसका फायदा होगा।
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अनुसंधान में समय लगने पर जमानत उचित
राजस्थान हाईकोर्ट के वकील बृज बिहारी लाल शर्मा ने हाईकोर्ट के जमानत देने के आदेश को उचित बताया है। उनका कहना है कि जमानत व्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा मुद्दा होता है। अगर किसी जांच एजेंसी को अनुसंधान में समय अधिक लग रहा है तो इस कारण किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित नहीं किया जा सकता। कोर्ट द्वारा जमानत देना, बरी होने का आदेश नहीं है।
जमानत याचिका की सुनवाई पर अगर कोर्ट को ये लगता है कि व्यक्ति की स्वतंत्रता अनुचित रूप से बाधित हो रही है तो कोर्ट उस व्यक्ति को जमानत पर छोड़ने का आदेश दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट भी विभिन्न मामलों में निर्धारित कानून के प्रति सचेत है कि ‘जमानत नियम है और जेल अपवाद है’ और आरोपियों के वकीलों ने भी अपनी दलीलों में इसका जिक्र किया।
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SOG कर रही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का विचार
एसओजी के डीआईजी पारिस देशमुख ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश की 10 ट्रेनी एसआई को जमानत देने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने को लेकर विचार किया जा रहा है। अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। एसओजी के पास अभी समय है, सभी कानूनी पहलुओं पर विचार कर इस पर निर्णय लिया जाएगा।
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क्या है एसआई भर्ती 2021 मामला?
एसओजी ने आरोपियों के खिलाफ 3 मार्च 2024 को पुलिस थाना एसओजी, जयपुर में एफआईआर दर्ज की थी। आराेपियों को धारा 419, 420 और 120 बी आईपीसी, राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 1992 की धारा 4, 5 और 6 और सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 की धारा 66 डी के तहत आरोपी माना था। एसओजी ने अपनी एफआईआर में ट्रेनी एसआई पर पेपर लीक गिरोह से लाखों रुपए में परीक्षा से पहले पेपर खरीदकर एसआई भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण होने का आरोप लगाया। एसओजी इस मामले में अब तक 45 ट्रेनी एसआई को आरपीए से गिरफ्तार कर चुकी है।
चयन के बावजूद इन्होंने नहीं किया ज्वॉइन
अशोक सिंह नाथावत, सिद्धार्थ यादव (जयपुर), प्रवीण विश्नोई (सांचौर) और राजेंद्र यादव उर्फ राजू ने चयन होने के बावजूद अभी तक उप निरीक्षक पद पर ज्वॉइन नहीं किया है। इनके अलावा कई अन्य अभ्यर्थी भी हैं, जिन्होंने चयन के बावजूद ज्वॉइन नहीं किया। एसओजी के अनुसार अशोक और राजेंद्र ने उदयपुर में 5 सितंबर 2021 को परीक्षा दी थी। इससे पहले जगदीश विश्नोई और यूनीक भांभू उर्फ पंकज चौधरी के साइट हैंडलर ने इन्हें होटल में मोबाइल पर सॉल्वड पेपर पढ़ाए थे। इस दौरान बीकानेर की अभ्यर्थी प्रेमसुखी और दो अन्य अभ्यर्थी भी मौजूद थे। इन पांच में से तीन का सलेक्शन हुआ।
![45 ट्रेनी एसआई को जयपुर स्थित राजस्थान पुलिस अकादमी से गिरफ्तार किया गया था।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/11/23/1-102_1732381503.jpg)
45 ट्रेनी एसआई को जयपुर स्थित राजस्थान पुलिस अकादमी से गिरफ्तार किया गया था।
आरपीए में अब केवल 575 एसआई ले रहे ट्रेनिंग
आरपीएससी ने सब इंस्पेक्टर व प्लाटून कमांडर के कुल 859 पदों के लिए भर्ती परीक्षा ली थी। 2021 में 13 से 15 सितंबर तक तीन दिन चली भर्ती परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को आरपीए में ट्रेनिंग देना शुरू किया गया। इस साल मार्च से एसओजी ने इस भर्ती मामले में आरपीए से ट्रेनी एसआई काे गिरफ्तार करना शुरू कर दिया।
एसओजी ने आरपीए से 45 ट्रेनी एसआई सहित 50 को गिरफ्तार किया है। वहीं 5 अभी फरार चल रहे हैं। इसके बाद आरपीए से कुछ ट्रेनी एसआई अनुपस्थित हो गए तो कुछ ने ज्वॉइन ही नहीं किया। आरपीए डायरेक्टर एस सेंगाथिर ने बताया कि अभी 575 ट्रेनी एसआई आरपीए में ट्रेनिंग ले रहे हैं। ट्रेनिंग के दौरान 105 ट्रेनी एसआई ऐसे रहे हैं जो 16 से अधिक दिनों से अनुपस्थित रहे। जिन्हें उनके आवंटित जिलों में भेज दिया गया। अब ऐसे एसआई के बारे में आरपीए में कोई रिकॉर्ड नहीं है।
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