Published On: Sat, Nov 16th, 2024

Cyber Crime: सायबर जालसाजों को बैंक खाते बेचने वाला बिहार का गिरोह पकड़ाया, देशभर में 1800 बैंक खाते बेच डाले


Cyber Crime: Bihar gang selling bank accounts to cyber fraudsters caught, sold 1800 bank accounts

भोपाल पुलिस कमिश्नर मिश्र ने मामले का खुलासा किया।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


राजधानी की हनुमानगंज पुलिस ने सायबर जालसाजी से जुड़े एक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करते हुए 6 युवक और 1 महिला समेत कुल सात सदस्यीय गिरोह को गिरफ्तार किया है। बिहार का यह गिरोह फर्जी आधार कार्ड से हजारों सिमकार्ड खरीदकर सैकड़ों की संख्या में बैंक खाते खुलवा चुका है। जालसाजों के भोपाल ठिकानों से मिले दस्तावेजों से 400 बैंक खातों व 1800 सिमें खरीदने का पता चला है। यह गिरोह 10 हजार में फर्जी बैंक खाता साइबर जालसाजों को बेच देता था।

बिहार का यह गिरोह देशभर में करीब 1800 फर्जी दस्तावेजों से खुलवाए बैंक खाते जालसाजों को बेच चुका है। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि भोपाल के पहले यह गिरोह देश के कई बड़े महानगरों में भी इसी प्रकार की वारदातों को अंजाम दे चुका है। आरोपियों के कब्जे से सैकड़ों फर्जी आधार कार्ड, एटीएम कार्ड, पैनकार्ड, सिमकार्ड, 20 मोबाइल फोन, 2 प्रिंटर, 1 लैपटॉप, 1 पैन ड्राइव और 8 हिसाब किताब की कॉपियां जब्त की गई हैं। इस मामले में बैंक कर्मचारियों और डाक विभाग के पोस्टमैनों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि हनुमानगंज पुलिस को सूचना मिली कि तीन-चार दिनों से एक युवक और एक युवती मोबाइल दुकानों पर जाकर अलग-अलग आधार कार्ड पर सिमकार्ड खरीद रहे हैं। सिमकार्ड खरीदने के लिए लगाए जाने वाले आधार कार्ड पर पता अलग-अलग होता है, लेकिन फोटो वही रहता है। मामले की गंभीरता को लेकर पुलिस टीम ने जब जांच की तो शिकायत सही पाई गई। इस पर पुलिस ने धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की।

फ्लैट से पकड़ाया 7 सदस्यीय गिरोह

जांच के दौरान पुलिस ने इब्राहिमगंज स्थित फ्लैट पर छापा मारा तो वहां 6 युवक और 1 युवती मिली। पूछताछ पर उन्होंने अपने नाम शशिकांत उर्फ मनीष, सपना उर्फ साधना पान, अंकित कुमार साहू उर्फ सुनील, कौशल माली उर्फ पंकज, रोशन कुमार, रंजन कुमार उर्फ विनोद, और मोहम्मद टीटू उर्फ विजय बताए। यह सभी बिहार के रहने वाले हैं। उनके कब्जे से बड़ी मात्रा में अपराध में उपयोग किए गए फर्जी आधार कार्ड, पेनकार्ड, सिमकार्ड, बैंक पासबुक, मोबाइल फोन, लैपटॉप, प्रिंटर एवं कॉपी जब्त की गई है।

इस प्रकार देते थे वारदात को अंजाम

आरोपी शशिकांत झारखंड से आधार कार्ड का डाटा लेता था। उसके बाद चेक करता था कि किस आधार कार्ड से पैनकार्ड लिंक नहीं है। जिस आधार कार्ड से पैनकार्ड लिंक नहीं होता था, उसका पैनकार्ड वह बनवा लेता था। उसके बाद लैपटॉप और फोटोशॉप की मदद से अपने साथियों के फोटो आधार कार्ड पर लगाकर कलर प्रिंटर से आधार कार्ड की कॉपी निकाल लेता था। इसी आधार कार्ड की मदद से वह मोबाइल सिम खरीदता था। इस आधार कार्ड और मोबाइल सिम की मदद से बैंकों में खाते खुलवाता था। खाता खुलवाने वाले साथी को वह 2 हजार रुपये देता था और बाद में उक्त खाता सायबर ठगी करने वालों को 10 हजार रुपये में बेच देता था।

तीन महीने बाद छोड़ देते थे शहर, लोन दिलाने के नाम पर भी करते थे ठगी

यह गिरोह अधिकतम तीन से चार महीने तक ही एक शहर में रुकता था। सिमकार्ड खरीदकर खाते खुलवाने के बाद वह शहर छोड़ देता था। गिरोह का मुखिया अपने साथ काम करने वालों को भी बदल देता था। यह गिरोह अभी तक मुंबई, लखनऊ, इंदौर, हैदराबाद, अहमदाबाद समेत देश के कई महानगरों और शहरों में इस प्रकार की वारदातों को अंजाम दे चुका है।

अब तक 400 एकाउंट का हुआ खुलासा

पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि गिरोह ने अभी तक करीब 18 सौ मोबाइल सिम खरीदी हैं, जिनका उपयोग फर्जी बैंक एकाउंट खुलवाने में किया गया है। अभी तक इंदौर शहर में खुलवाए गए करीब 400 बैंक एकाउंट का पता पुलिस को चला है। बाकी शहरों में खुलवाए गए खातों की जानकारी हासिल की जा रही है। गिरोह का सरगना जिन एकाउंट को सायबर जालसाजों को नहीं बेचता, उनका उपयोग वह लोन दिलाने का झांसा देकर ठगी के लिए उपयोग करता था।

बैंककर्मी और पोस्टमैन की भूमिका की जांच

पुलिस कमिश्नर मिश्र ने बताया कि आरोपियों द्वारा सिमकार्ड खरीदने के लिए उपयोग किए जाने वाले असली आधार कार्ड प्राप्त करते थे। यह वे आधार कार्ड होते थे, जो किसी कारण से डिलीवर नहीं हो पाते थे, इसलिए पोस्टमैनों की भूमिका की जांच की जाएगी। इसी प्रकार बैंक में खाता खुलवाने के समय भी कई प्रकार प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें बैंककर्मियों से कहां पर चूक हुई, इसकी जांच की जाएगी। आरोपियों को जिस फ्लैट से दबोचा गया है, उसके मालिक से किराएदारों की जानकारी देने संबंधी मामले को लेकर पूछताछ की जाएगी।

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