Published On: Fri, Nov 8th, 2024

Himachal Cm Sukhu Meeting With Minister Manohar Lal Khattar In Shimla Discuss On Bbmb Shanan Project – Amar Ujala Hindi News Live


हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और केंद्रीय ऊर्जा व शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच शिमला में ऊर्जा और शहरी विकास की परियोजनाओं को लेकर महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में क्या क्या हुआ जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर…

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himachal cm sukhu meeting with minister manohar lal khattar in shimla discuss on BBMB Shanan project

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और केंद्रीय ऊर्जा तथा आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी



विस्तार


राज्य सरकार ने बिजली परियोजनाओं से रॉयल्टी के मामले में एसजेवीएन को 15 जनवरी तक का अल्टीमेटम देते हुए अंतिम जवाब मांगा है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वीरवार को शिमला में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ हुई बैठक में दो टूक कहा कि एसजेवीएन प्रदेश की ऊर्जा नीति की अनुपालना नहीं कर रहा है। इस स्थिति में सरकार 210 मेगावाट के लुहरी चरण-एक, 382 मेगावाट के सुन्नी और 66 मेगावाट के धौलासिद्ध प्रोजेक्ट को अपने अधीन लेने के लिए तैयार है।

 

राज्य सरकार परियोजनाओं पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति एसजेवीएन को देने के लिए भी तैयार है। केंद्रीय मंत्री खट्टर ने राज्य सरकार को आश्वासन दिया कि दो महीने में मामले का हल निकाल लिया जाएगा। बीबीएमबी में हिमाचल की 7.9 प्रतिशत हिस्सेदारी के दावे पर खट्टर ने कहा कि यह कई राज्यों से जुड़ा हुआ मामला है। इस पर पंजाब से बातचीत की जाएगी। जल्दी हिमाचल के साथ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान की भी बैठक होगी। 

मुख्यमंत्री सुक्खू ने केंद्रीय मंत्री से बीबीएमबी को नवंबर 1996 से अक्तूबर 2011 तक की अवधि के लिए हिमाचल को बकाया 13,066 मिलियन यूनिट बिजली का एरियर जारी करने के निर्देश देने का आग्रह किया। सर्वोच्च न्यायालय के हिमाचल के हक में आए निर्णय के बावजूद प्रदेश को अभी तक संबंधित राज्यों ने उचित हिस्सा नहीं दिया है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि 100 साल की लीज अवधि खत्म होने के बाद अब शानन परियोजना पर हिमाचल का हक है। उन्होंने शानन परियोजना का पंजाब से अधिग्रहण सुनिश्चित करने में केंद्र सरकार की सहायता के लिए आग्रह किया। सीएम सुक्खू ने कहा कि शानन प्रोजेक्ट का क्षेत्र कभी भी पंजाब का हिस्सा नहीं रहा है, इसलिए यह परियोजना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अधीन नहीं आती है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पंजाब सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई है। इस संबंध में किसी का पक्ष नहीं लिया जाएगा और एक्ट पढ़कर कोर्ट में शपथपत्र दिया जाएगा।

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