Published On: Fri, May 23rd, 2025

50000 की सब्सिडी, लाखों की कमाई… इस किसान की कहानी में छुपा है भविष्य का फार्मूला! जानिए कैसे


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Farming Tips: दौसा के डोलिका गांव के किसान गिर्राज प्रसाद मीणा ने पारंपरिक खेती छोड़ जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्टिंग को अपनाया. कृषि विभाग की सहायता से 50 हजार की सब्सिडी मिली. अब वे केंचुओं से जैविक खाद और गोबर…और पढ़ें

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डोलिका

डोलिका गांव में किसान 

हाइलाइट्स

  • किसान गिर्राज प्रसाद ने जैविक खेती अपनाई.
  • सरकार से 50 हजार की सहायता राशि मिली.
  • 50 हजार से अधिक की खाद बेच चुके हैं गिर्राज.

दौसा. दौसा जिले में अनेक किसान हैं जो पारंपरिक खेती को छोड़कर तकनीकी या जैविक खेती अपना रहे हैं. ऐसे किसान अब हर साल हजारों से लाखों रुपए की आमदनी कर रहे हैं. इन्हीं में से एक किसान हैं जो कृषि विभाग के अधिकारियों के संपर्क में आने के बाद विभागीय बैठकों में जाने लगे. इसके बाद उन्हें कृषि विभाग से कई प्रकार के लाभ मिले. आज यह किसान जैविक खाद से केंचुए तैयार कर जैविक खाद बेचकर अच्छी आय प्राप्त कर रहा है.

डोलिका गांव निवासी किसान गिर्राज प्रसाद मीणा ने बताया कि वह कृषि विभाग के अधिकारियों के संपर्क में आए. वे लगातार विभागीय बैठकों में भाग लेने लगे. इसके बाद अधिकारियों ने उन्हें जैविक खाद से केंचुए तैयार करने के लिए प्रेरित किया. क्योंकि वह पहले से ही जैविक खेती कर रहे थे, इसलिए उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का सुझाव मिला. केंचुए तैयार करने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है.

सरकार से मिली 50 हजार की सहायता
किसान गिर्राज ने बताया कि राजस्थान सरकार और कृषि विभाग की ओर से उन्हें 50 हजार रुपये की सहायता राशि मिली. इस राशि से केंचुए तैयार करने के लिए बेड बनाए गए. इन बेडों पर चादर लगाई गई ताकि केंचुओं को नुकसान न हो. सरकार की इस सहायता से किसानों पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ता और वे नई तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं.

50 हजार से अधिक की खाद बेच चुके हैं गिर्राज
गिर्राज मीणा ने बताया कि अनुदान राशि से बेड तैयार किए गए और इनमें केंचुए डाले गए. इससे तैयार खाद को किसानों को घर से ही बेचा गया. एक सीजन में उन्होंने 50 हजार से अधिक की खाद बेच दी. साथ ही उन्होंने गोबर गैस का प्लांट भी लगाया है जिससे सैलरी तैयार होती है. इस सैलरी को वह ₹10 प्रति लीटर के हिसाब से बेचते हैं. यह सैलरी खेतों में फसलों के लिए बेहद लाभकारी साबित होती है.

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