5 दिन में अंडे, 30 दिन में बर्बादी… जमीन के नीचे है फसलों का काल, सही समय पर करें ये काम वरना कर देगा तबाह!

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Farming Tipe: बीकानेर में मूंगफली की फसल इन दिनों सफेद लट (गुजा लट) नामक कीट से प्रभावित हो रही है, जो उत्पादन में भारी गिरावट ला सकता है. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मानसून की पहली और दूसरी बारिश के बाद क्ल…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- बीबल दिखने के 10-15 दिन बाद दवा डालें.
- सफेद लट मानसून की पहली बारिश के बाद सक्रिय होती है.
- क्लोरपायरीफॉस दवा 750 एमएल प्रति बीघा छिड़कें.
बीकानेर. राजस्थान में सबसे ज्यादा मूंगफली का उत्पादन बीकानेर जिले में होता है. इन दिनों यहां के किसान मूंगफली की बुवाई में जुटे हुए हैं. लेकिन किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती मूंगफली की फसल में लगने वाला एक खास कीट है जिसे सफेद लट या गुजा लट कहा जाता है. यह कीट फसल को नुकसान पहुंचाता है और उत्पादन घटाता है.
समय पर न करें उपाय तो नुकसान तय
डॉ. रैगर ने बताया कि अधिकतर किसान सही समय पर दवा का छिड़काव नहीं करते जिससे कीट तेजी से फैल जाता है. किसानों को सफेद लट के जीवन चक्र की जानकारी होना जरूरी है ताकि समय रहते इसका नियंत्रण किया जा सके. यह कीट मानसून की पहली बारिश के बाद सक्रिय होती है. बारिश के बाद बीबल निकलते हैं जो पौधों पर बैठते हैं. नर और मादा बीबल मेटिंग करते हैं जो दो दिन तक चलती है. इसके बाद मादा जमीन में अंडे देती है.
मादा बीबल जमीन में करीब पांच से सात बिल बनाती है और हर बिल में 10 हजार तक अंडे देती है. इस तरह एक मादा लगभग 50 से 70 हजार अंडे जमीन में छोड़ती है. पांच से छह दिन में इन अंडों से छोटी-छोटी लट निकलती है जो जड़ों को खाकर बड़ी होती है. एक महीने बाद यह लट मूंगफली की मुख्य जड़ों को काटने लगती है जिससे पौधे मरने लगते हैं.
कीट हो जाती है जमीन के भीतर सक्रिय
जब किसान को कीट का पता चलता है तब वह दवा डालता है लेकिन तब तक लट बड़ी हो चुकी होती है. यह दवा डालने पर भी नहीं मरती क्योंकि वह या तो जमीन में गहरे चली जाती है या पास के किसी खेत में छिप जाती है. ऐसे में दवा का असर नहीं होता. इसलिए किसानों को इसका जीवन चक्र समझकर सही समय पर दवा का उपयोग करना चाहिए ताकि नुकसान से बचा जा सके.