4 पॉइंट से समझिए धनखड़ क्यों ‘RSS के एकलव्य’: आतंकी घटनाओं के दाग हटाए, राममंदिर केस में भूमिका, उपराष्ट्रपति चयन के दौरान संघ रहा सक्रिय – Rajasthan News

‘मैं RSS (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) का एकलव्य बनकर रह गया। मन में एक टीस सदा रही कि मैंने प्रथम वर्ष क्यों नहीं किया, द्वितीय वर्ष क्यों नहीं किया, तृतीय वर्ष क्यों नहीं किया?’
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 2 जुलाई 2024 को राज्यसभा में ये बयान दिया था। इसी बयान को राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अविश्वास प्रस्ताव का एक कारण बताया है। विपक्षी दलों ने 10 दिसंबर को राज्यसभा में उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया।
भास्कर ने मामले में RSS के पूर्व प्रचारक और उनके साले हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रवीण बलवदा से बात कर धनखड़ का BJP-RSS से जुड़ाव समझने की कोशिश की। साथ ही ये भी जाना कि धनखड़ खुद को RSS का एकलव्य क्यों कहते हैं।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

पीएम नरेंद्र मोदी के साथ उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़।
1. बचपन में नहीं रहा RSS से संबंध, राजनीति से भी दूरी
जगदीप धनखड़ किठाना (झुंझुनूं) गांव में प्राइमरी तक की पढ़ाई के बाद चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल चले गए थे। फिर वे जयपुर आ गए। इस बीच धनखड़ का NDA में चयन हुआ, लेकिन नहीं गए। महाराजा कॉलेज से ग्रेजुएशन की और इसके बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई पूरी की।
जयपुर में ही रहकर वकालत शुरू की थी। हिन्दी-इंग्लिश पर अच्छी कमांड होने के कारण वकालत शुरू से ही अच्छी रही। थोड़े ही समय बाद उनका नाम बड़े वकीलों में शुमार हो गया।
उनकी शादी 1 फरवरी 1979 को हुई थी। 1981 में उनके साले प्रवीण बलवदा पढ़ने के लिए उनके ही पास जयपुर आ गए। बलवदा का जुड़ाव RSS से था और शाखा में जाते रहे थे।
बलवदा के अनुसार धनखड़ जयपुर में आने के बाद संघ से सीधे जुड़े हुए थे। वकालत के दौरान संघ और जनता दल के नेताओं से संपर्क हो गया था। उन नेताओं के कहने पर 1988-89 में जनता दल की ओर से झुंझुनूं से सांसद का चुनाव लड़ा। वे भारी मतों से जीते और पहली बार सांसद बनते ही केंद्रीय कानून मंत्री भी बनाए गए।
उस दौरान वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण अडवाणी से भी मिले। इसके बाद जनता दल से टिकट नहीं मिला तो वे कांग्रेस में चले गए। उन्होंने कांग्रेस से अपना पहला चुनाव 1991-92 में अजमेर लोकसभा सीट से लड़ा और हार गए। फिर कांग्रेस की टिकट पर ही उन्होंने 1993 में किशनगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बने।
पूर्व प्रचारक और बलवदा के अनुसार सांसद बनने के बाद दिल्ली बीजेपी और विधायक बनने के बाद राजस्थान के संघ से जुड़े बीजेपी नेताओं से उनके अच्छे संबंध हो गए। एक-दूसरे के घर आना-जाना शुरू हो गया। धनखड़ पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के भी काफी नजदीक रहे हैं।

2. RSS-BJP पर लगे आतंकी घटनाओं के दाग हटाए
वर्ष 2007 में RSS-BJP के नाम को आतंकी घटनाओं से जोड़ा जा रहा था। कांग्रेस और अन्य संगठन भी RSS-BJP पर निशाना साध रहे थे। ऐसे में जगदीप धनखड़ ने लीगली काफी सहयोग दिया। हालांकि सीधे तौर पर पर्दे के आगे नहीं आए।
वर्ष 2007 में हैदराबाद में मक्का मस्जिद, वर्ष 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव बम ब्लास्ट हो या फिर समझौता एक्सप्रेस या अजमेर दरगाह बम ब्लास्ट, सभी को लेकर संगठन अपनी बदनामी को लेकर चिंतित थे। तब धनखड़ ने डिफेंस लॉयर टीम को बाहर से काफी सपोर्ट किया। हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील और धनखड़ के साले प्रवीण बलवदा ने भी इसकी पुष्टि की।
अपने जीजा धनखड़ के साथ वकालत में सक्रिय रहे बलवदा ने बताया कि लीगल टीम के साथ धनखड़ ने विभिन्न मामलों की चार्जशीटों की कमियों को ढूंढा और सबूतों के अभाव को साबित करवाने में काफी सहयोग दिया। इससे संगठन के पक्ष में फैसले हुए। इसके बाद RSS-BJP उन्हें कानूनी संकट मोचक मानते रहे हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी धनखड़ से प्रभावित रहे।

जब अमित शाह BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, तो उन्होंने धनखड़ को लीगल सेल का संयोजक भी बनाया।
3. राम जन्मभूमि केस में भी पर्दे के रहे पीछे, देते रहे जरूरी इनपुट
रामजन्म भूमि RSS-BJP का कोर इश्यू रहा था। इस मुद्दे पर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में NDA की सरकार बनी थी। तब धनखड़ बीजेपी में शामिल नहीं हुए थे, लेकिन RSS-BJP के इस मुद्दे पर वे उनके साथ थे। 2003 में बीजेपी में शामिल होने के बाद धनखड़ ने रामजन्म भूमि मामले में भी पर्दे के पीछे रहते हुए काफी काम किया।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या मामले में फैसला दिया था कि जमीन को राम जन्मभूमि मंदिर बनाने के लिए एक ट्रस्ट को सौंपा जाए। राम जन्मभूमि से जुड़े इस मामले में भी धनखड़ का रोल भी अहम रहा था, लेकिन इस बार भी पर्दे के पीछे।
प्रवीण बलवदा ने बताया धनखड़ ने लीगल टीम तक कई जरूरी इनपुट पहुंचाए थे। उन्होंने कहा कि राम जन्म भूमि पर फैसला आने के सप्ताह भर पहले धनखड़ के एक बयान से उनकी भूमिका की गहराई बताई जा सकती है। धनखड़ ने कहा था- मंदिर तो बनेगा ही। विकल्प के तौर पर संसद में कानून लाकर राम मंदिर बनाया जा सकता है।
4. उपराष्ट्रपति पद के चयन के दौरान RSS भी रहा सक्रिय
दो साल पहले जब राष्ट्रपति पद के लिए कुछ नामों का चयन किया जा रहा था। उस समय RSS भी काफी सक्रिय रहा था। RSS की राजस्थान के झुंझुनूं में 7 से 9 जुलाई, 2022 के बीच बैठक हुई थी।
इस बैठक को ही धनखड़ का नाम तय करने के लिए प्रमुख भूमिका निभाने वाले पहलुओं में गिना जा रहा था। बैठक के ठीक 7 दिन बाद धनखड़ का नाम उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए घोषित कर दिया गया।

सलमान खान के साथ जगदीप धनखड़। उन्होंने काला हिरण शिकार प्रकरण में सलमान को बेल दिलाई थी।
धनखड़ कई हाई-प्रोफाइल केसों में जुड़े रहे
जगदीप धनखड़ ने कई हाई प्रोफाइल मामलों की पैरवी भी की है। सलमान खान के कारण 1998 से अब तक चर्चा में रहने वाले जोधपुर के काले हिरण शिकार प्रकरण में भी लीगल एडवाइस के कारण धनखड़ का नाम जुड़ता है। मीडिया में छाए इस मामले में वे सलमान की ओर से वकील रहे थे।
तब काले हिरण शिकार मामले में सलमान 6 दिन जेल में रहे। धनखड़ ने केस लड़ा और बेल दिलाने में सफल हुए। बेल दिलाने के बाद जगदीप धनखड़ का सलमान के साथ एक फोटो भी है। ये फोटो जोधपुर के वकील देवानंद गहलोत के साथ इंटरनेट पर भी मौजूद है।
इसके अलावा भी धनखड़ ने हाईकोर्ट में कई हाई प्रोफाइल मुकदमों की पैरवी की। जेपी आंदोलन के दौरान भी धनखड़ सक्रिय रहे थे।
इस बैठक के दौरान शामिल होने आए आरएसएस के पदाधिकारी धनखड़ के पैतृक गांव किठाना (झुंझुनूं) पहुंचे थे। धनखड़ के फार्म हाउज के केयर टेकर महिपाल ने बताया कि इसके चलते धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ भी अचानक गांव पहुंची थीं। उन्होंने RSS के बड़े पदाधिकारियों के लिए खुद अपने हाथों से खाना भी बनाया था।
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राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA ब्लॉक ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं। पूरी खबर पढ़िए…
2. उपराष्ट्रपति बोले-डिग्री पर डिग्री लेने से कुछ नहीं होगा:RSS के कृष्णगोपाल ने कहा-15 हजार के लिए युवा देशभर में जा रहे, ये मॉडल सही नहीं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल को भी स्थान दिया गया है। डिग्री पर डिग्री लेने से कुछ नहीं होगा। किसी काम का कौशल रखने से आप समाज को अपना योगदान दे सकते हैं। उपराष्ट्रपति बुधवार को सीतापुरा (जयपुर) में लघु उद्योग भारती की ओर से सोहन सिंह स्मृति कौशल विकास केंद्र के लोकार्पण समारोह में पहुंचे थे। पूरी खबर पढ़िए…