Published On: Wed, Jun 4th, 2025

3 accused sentenced in 22 year old wheat scam | 22 साल पुराने गेहूं घोटाले में 3 आरोपियों को सजा: एफसीआई से गरीबों का गेहूं खरीदकर करोड़ों का किया था गबन, कई अधिकारी भी शामिल थे – Sikar News



सीकर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 22 साल पुराने एफसीआई गेहूं घोटाले में तीन आरोपियों को 3-3 साल की जेल और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। आरजेएस विकास कुमार स्वामी की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। मामले में फतेहपुर महिला प्राथमिक सहकार

.

अभियोजन अधिकारी व सरकारी वकील विजयानंद थलिया ने बताया- 13 जून 2003 को एसीबी झुंझुनू कैंप, सीकर को शिकायत मिली थी कि फतेहपुर महिला प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार लिमिटेड, सीकर द्वारा एफसीआई से बीपीएल, एपीएल और सरकारी योजनाओं के तहत गरीबों के लिए आवंटित गेहूं को मार्केट और आटा मिलों में बेचा जा रहा है। फर्जी रजिस्टर प्रविष्टियों और हस्ताक्षरों के जरिए यह गेहूं ब्लैक मार्केट में पहुंचाया गया, जिससे करोड़ों का घोटाला हुआ।

एसीबी ने खोला भ्रष्टाचार का काला चिट्ठा

एसीबी ने गोपनीय सूचना के आधार पर 13 जून 2003 को संस्था के फतेहपुर और सीकर कार्यालयों का औचक निरीक्षण किया। जांच में पाया गया कि संस्था ने रामेश्वरलाल रामनिवास फर्म, मनीष फ्लोर मिल, जांगिड़ फ्लोर मिल, छीतरमल फ्लोर मिल, पारीक फ्लोर मिल और लाला फ्लोर मिल को गेहूं ब्लैक में बेचा। रिकॉर्ड में 77,38,871 रुपए की गेहूं बिक्री की एंट्री दो नंबर की केशबुक में दर्ज थी। इसके अलावा, जिला रसद अधिकारी और अन्य अधिकारियों को 65 हजार रुपए रिश्वत और एक नोकिया मोबाइल देने के सबूत भी मिले।

फर्जी कूपन और गोदाम से जब्ती

निरीक्षण में फतेहपुर कार्यालय से हजारों खाली अकाल राहत कूपन बरामद हुए, जो मजदूरों को गेहूं वितरण के लिए थे। ये कूपन संस्था के व्यवस्थापक सुशील कुमार की पत्नी माया देवी की उचित मूल्य की दुकान से मिले, जो फर्जी समायोजन का हिस्सा थे। रामेश्वरलाल-रामनिवास के गोदाम से 108 बोरी एफसीआई गेहूं (2003-04 मार्का) जब्त किया गया, जिसका फर्म मालिक ओमप्रकाश अग्रवाल कोई जवाब नहीं दे सका।

कोर्ट में 22 साल चली सुनवाई

एसीबी ने हरिराम, सुशील कुमार और ओमप्रकाश अग्रवाल के खिलाफ रानोली थाने में मामला दर्ज किया। जांच में कई अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई। आरोपियों ने मामले के विरोध कोर्ट में एप्लिकेशन दी गई, जिसके कारण 21 साल तक किसी भी गवाह के बयान नहीं हो पाए। अभी 1 साल में ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 47 गवाह, 293 दस्तावेज और 149 भौतिक साक्ष्य पेश किए गए। सबूतों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने हरिराम (55) व सुशील कुमार (व्यवस्थापक, फतेहपुर महिला प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार) और ओमप्रकाश अग्रवाल (75, फर्म संचालक) को दोषी ठहराया। तीनों को 3-3 साल जेल व 10-10 हजार जुर्माना लगाया गया।

गेहूं की कालाबाजारी से गरीबों के साथ अन्याय होता- कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि गरीबों के लिए आवंटित गेहूं की कालाबाजारी से लाभार्थियों के साथ अन्याय होता है। कोर्ट ने एसीबी को निर्देश दिया कि मामले में लोक सेवकों की भूमिका और दो नंबर की केशबुक की गहन जांच की जाए, क्योंकि यह घोटाला बिना किसी नेटवर्क के संभव नहीं है।

.



Source link

About the Author

-

Leave a comment

XHTML: You can use these html tags: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>