3 घंटे की धीमी आंच, लकड़ी की भट्ठी और मावे की घुटाई से बनते हैं चिड़ावा के पेड़े – News18 हिंदी

राजस्थान के चिड़ावा शहर के पेड़े आज सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि परंपरा और मेहनत का स्वाद बन चुके हैं. लकड़ी की भट्ठी, गांव का ताजा दूध और तीन घंटे लंबी घुटाई की प्रक्रिया से बनने वाले ये पेड़े आज भी मशीनों से नहीं, बल्कि हाथों से बनाए जाते हैं. बीते 45 वर्षों से यह पारंपरिक विधि ही चिड़ावा के पेड़ों को खास बनाती है. मावा, चाशनी, इलायची और केसर से बनी यह मिठास हर कौर में देसी स्वाद का अनुभव कराती है. बिना गैस, बिना मशीन – सिर्फ शुद्धता, श्रम और स्वाद से बनी एक अनोखी मिठाई की कहानी है.