Published On: Tue, Jul 9th, 2024

18 देशों के बच्चों को मुश्किलों से पढ़ाया, भागलपुर के बेटे को मिली 42 लाख की स्कॉलरशिप


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विश्व के सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी में अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवसिटी शुमार है। इस यूनिवर्सिटी में पढ़ना सपनों के पूरा जैसा होना है। बिहार के भागलपुर के एक बेटे ने इस सपने को पूरा किया है। भागलपुर में इशाकचक इलाके के भीखनपुर निवासी सत्यम मिश्रा को यहां पढ़ने के लिए दाखिला मिला है। ना केवल यूनिवर्सिटी में पीजी स्तर के कोर्स में दाखिला पाया है, बल्कि वहां से 42 लाख रुपये (50000 से ज्यादा डॉलर) की स्कॉलरशिप भी पाई है। इससे पहले उन्होंने 18 देशों के शरणार्थी बच्चों को पढ़ाया है। साथ ही दुनिया के तकरीबन 1200 से अधिक टीचर को प्रशिक्षण भी दे चुके हैं।

सत्यम ने 2006 में माउंट असीसी भागलपुर से 10वीं और 2008 में 12वीं की पढ़ाई पूरी की है। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 2015 में विश्व स्तर पर संकटग्रस्त देशों के रिफ्यूजी कैंप में वंचित बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने वाली संस्था टीच फॉर ऑल के साथ जुड़ गए। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग 18 देशों के बच्चों को रिफ्यूजी कैंप की चुनौतियां से लड़ते हुए पढ़ाने काम किया।

बहरीन के शिक्षकों को दिया प्रशिक्षण सत्यम ने बताया कि 2022 में उन्हें टीच फॉर ऑल के माध्यम से बहरीन के शिक्षा मंत्रालय के साथ काम करने का मौका मिला। उन्हें करीब 800 बहरीन शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए चुना गया। नाइजीरिया में पहली बार आभाषी शिक्षक-प्रशिक्षण सुविधा को डिजाइन करने का काम किया है। इसमें 400 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। उन लोगों ने 12000 से ज्यादा वंचित बच्चों को इसका लाभ पहुंचाया।

ग्लोबल टीचर प्राइज के लिए चुने गये थे शिक्षकों को प्रशिक्षित और बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्होंने यूनेस्को द्वारा दिए जाने वाले विश्व स्तर के ग्लोबल टीचर प्राइज के लिए टॉप 50 में चुना गया था। वे टॉप 50 में पहुंचने वाले पूर्वी भारत के पहले व्यक्ति थे। 2022 में उन्हें अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा फुलब्राइट स्कॉलर के रूप में चुना गया। उन्हें 28 लाख की राशि दी गई थी। उन्हें प्रतिष्ठित नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी द्वारा भी सम्मानित किया गया है। पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में सत्यम ने बताया कि उनके दादाजी पंडित निशिकांत मिश्रा स्वतंत्रता सेनानी थे, जबकि उनके नाना डॉ. मोहन मिश्रा दरभंगा के एक प्रतिष्ठित नेत्र विशेषज्ञ थे।

उनके नाना इंग्लैंड के प्रतिष्ठित एफआरसीएस के लिए अर्हता प्राप्त करने वाले एशियाई डॉक्टर में से एक थे। सत्यम ने कहा कि मास्टर की पढ़ाई के बाद वे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर काम करेंगे।

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